चार साल बाद नजरबंदी से मुक्त हुए हुर्रियत नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारूक, जामिया मस्जिद में करेंगे नमाज अदा
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक चार सालों की नजरबंदी के बाद आज शुक्रवार 22 सितंबर 2023 को मुक्त हुए हैं। उन्हें अगस्त 2019 में एहतियात के तौर पर घर में नजरबंद बनाया गया था। वह नमाज-ए-जुम्मा अदा करने के लिए ऐतिहासिक जामिया मस्जिद (Jamia Masjid) भी जा सकते हैं। मीरवाइज मौलवी उमर फारूक कश्मीर के प्रमुख मजहबी नेताओं में गिने जाते हैं।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। Jammu-Kashmir News: ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक (Mirwaiz Maulvi Umar Farooq) चार सालों की नजरबंदी के बाद आज शुक्रवार 22 सितंबर 2023 को मुक्त हुए हैं। वह नमाज-ए-जुम्मा अदा करने के लिए ऐतिहासिक जामिया मस्जिद (Jamia Masjid) भी जा सकते हैं। मीरवाइज को नजरबंदी से मुक्त करने के संदर्भ में अधिकारिक तौर पर पुलिस या प्रशासन ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
जामिया मस्जिद में नमाज अदा करेंगे मीरवाइज
मीरवाइज के करीबियों ने बताया कि पहले भी कई बार प्रशासन उन्हें नजरबंदी से मुक्त करने का एलान कर चुका है, लेकिन उन्हें मस्जिद तक नहीं जाने दिया जाता। आज दोपहर को उन्हें जामिया मस्जिद जाने और वहां नमाज में शामिल होने का अवसर मिला है।
यदि वह वहां जाते हैं तभी नजरबंदी को हटाए जाने के वास्तविकता का पता चलेगा। फिलहाल, उन्हें कहा गया है कि वह नजरबंदी से मुक्त है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आज चार साल बाद जामिया मस्जिद में मीरवाइज मौलवी उमर साहब का खुतबा होगा।
2019 से नजरबंद मीरवाइज मौलवी उमर फारूक
मीरवाइज मौलवी उमर फारूक कश्मीर के प्रमुख मजहबी नेताओं में गिने जाते हैं। उन्हें अगस्त 2019 में एहतियात के तौर पर घर में नजरबंद बनाया गया था। इसके बाद पुलिस व नागरिक प्रशासन ने कई बार उनकी रिहाई का दावा किया, लेकिन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने सरकार के दावे को नकारते हुए कहा कि उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता।
Kashmiri separatist Mirwaiz Umar Farooq will be allowed to offer Friday prayers at Srinagar's Jamia Masjid after 4 years of house arrest: Mosque management committee
(File photo) pic.twitter.com/uJDjmTaNc1— ANI (@ANI) September 22, 2023
आतंकी हमले के खतरे के चलते नजरबंद हुए फारूक
बीते माह भी उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से जब इस विषय में कहा था कि मीरवाइज मौलवी उमर फारूक देश के किसी अन्य नागरिक की तरह पूरी तरह स्वतंत्र हैं। वह एक संरक्षित नागरिक हैं। उन पर आतंकी हमले का खतरा है, इसलिए उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रशासन की है। कानून व्यवस्था बनाए रखने में उन्हें भी सहयोग करना चाहिए।
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20 अगस्त को सरकार को जारी किया नोटिस
उपराज्यपाल के इस दावे के बाद मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को जब नमाज ए जुम्मा के लिए घर से निकलने की आज्ञा नहीं मिली तो उन्होंने 20 अगस्त को सरकार को नोटिस भेजा था। उन्होंने स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की। मीरवाइज की याचिका पर उच्च न्यायालय ने बीते सप्ताह जम्मू कश्मीर प्रशासन और पुलिस को नोटिस जारी कर उनकी नजरबंदी, सुरक्षा व अन्य मामलों पर अपना पक्ष रखने को कहा था।
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