Omar Abdullah: 'अगर 1996 में चुनाव हो सकते हैं तो अब क्यों नहीं', आतंकी हमलों से चुनावों में देरी पर बोले उमर अब्दुल्ला
एक सार्वजनिक रैली में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बढ़े हुए आतंकी हमलों से चुनावों में देरी करने को सही नहीं ठहराया जा सकता है। साल 1996 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था तब भी तो चुनाव कराए गए थे। हम बंदूकधारी ताकतों के सामने झुक रहे हैं और अपनी सेनाओं के बलिदान को नजर अंदाज करने के अलावा हार स्वीकार कर रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि हाल के दिनों में आतंकी हमलों में बढ़ोतरी से विधानसभा चुनाव में देरी करने को सही नहीं ठहराया जा सकता। साल 1996 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, तब भी चुनाव हुए थे। कुछ लोग कह रहे हैं कि स्थिति खराब हो गई है और इसलिए चुनाव नहीं होना चाहिए। क्या हम इतने कमजोर हैं या हालात इतने खराब हो गए हैं कि चुनाव होने के आसार नहीं हैं।
जब 1996 में चुनाव कराए थे तो अब क्यों नहीं- उमर अब्दुल्ला
उमर ने कहा कि हमने 1996 में चुनाव कराए थे और आपको इस बात से सहमत होना होगा कि उस समय और आज की स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर है। जो लोग जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराना चाहते हैं, उन्हें बताना चाहिए कि हम बंदूकधारी ताकतों के सामने झुक रहे हैं और अपनी सेनाओं के बलिदान को नजर अंदाज करने के अलावा हार स्वीकार कर रहे हैं। आप हमारे दुश्मनों से कह दीजिए कि हम बिना लड़े ही लेट जाएंगे। अगर आप ऐसी ताकतों के सामने झुकना चाहते हैं तो विधानसभा चुनाव में न जाएं। हमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह चुनाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रहा है जिसने 30 सितंबर की समय सीमा तय की है।
हम उन ताकतों के सामने झुक रहे हैं- उमर अब्दुल्ला
आपने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि स्थिति विधानसभा चुनाव कराने के लिए अनुकूल नहीं है। ऐसा कहकर हम उन ताकतों के सामने झुक रहे हैं जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में हमारे 55 बहादुरों को बलिदानी कर दिया। यदि आप उनके बलिदानों को नजरअंदाज करना और बर्बाद करना चाहते हैं तो हम चुपचाप फैसले को सहन कर लेंगे। हम और कुछ नहीं कर सकते हैं। उमर अब्दुल्ला ने सांबा जिले के गुढ़ा सलाथिया में एक सार्वजनिक रैली के मौके पर पत्रकारों से यह कहा। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में ऐसी ताकतें हैं जो दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं चाहतीं।एलजी मनोज सिन्हा की भी की आलोचना
उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि वे अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आएंगे लेकिन किसी तरह हमें भी सतर्क कर दिया गया। उन्होंने बढ़ रही आतंकी घटनाओं से निपटने की रणनीति बनाने के लिए शनिवार को जम्मू में आयोजित संयुक्त उच्च स्तरीय बैठक में देरी करने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की आलोचना की। उमर ने कहा कि बैठक पहली आतंकी घटना के बाद बुलाई जानी चाहिए थी।
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इन ताकतों का बहादुरी से करना होगा सामना- उमर अब्दुल्ला
इससे पहले एक सभा को संबोधित करते हुए उमर ने कहा कि हमें इन ताकतों का बहादुरी से सामना करना होगा लेकिन उनके शासन में इसकी उम्मीद नहीं है। जनवरी 2015 में जब उन्होंने हमसे सत्ता संभाली तो स्थिति बिल्कुल अलग थी क्योंकि हमने जम्मू क्षेत्र के सभी क्षेत्रों को आतंकवाद से मुक्त कर दिया था।
अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, उसके बाद किए गए उनके दावों के बावजूद ऐसी कोई जगह नहीं है जो आतंकी हमलों के खतरे का सामना नहीं कर रही हो। न केवल वे जम्मू-कश्मीर के विकास को सुनिश्चित करने में विफल रहे बल्कि हमारी सुरक्षा से भी समझौता किया गया।उमर ने कहा कि कठुआ से रियासी और राजौरी से डोडा तक शायद ही कोई दिन गुजरता हो जब सेनाओं पर आतंकी हमले की खबर न आती हो।
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