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आपके पास अपनी जमीन नहीं है तो बन सकते हैं फैमिली किसान, फैमिली डाक्टर की तरह मिलेगी फीस

जम्मू के कृषि विभाग में इस संबंध में एक बैठक भी हुई जिसमें पूरे मामले पर चर्चा की गई। सीएफए आर्गेंनिक फार्मिंग के एडवाइजर अरुण खजुरिया ने बताया कि वैसे किसान जिनके पास अपनी जमीन नहीं है वे भी इस तरह की खेती कर सकेंगे।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Tue, 28 Dec 2021 03:33 PM (IST)
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फैमिली किसान अपने तरीके से सोच बनाएगा कि एक घर के अंदर किस तरह से सब्जियां उगाई जा सकती है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : जैसे एक परिवार का कोई फैमिली डाक्टर होता है जो पूरे परिवार की सेहत की देखभाल करता है, उसी तर्ज पर अब फैमिली किसान का कंसेप्ट भी लोगों में प्रचलित हो रहा है। गुजरात में तो यह काफी लोकप्रिय है, पर अब इसे जम्मू-कश्मीर में भी चलन में लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत अब हर कालोनी के एक भाग में या आवासीय कांप्लेक्स में एक किसान लोगों के घरों के आंगन, छत व गैलरी में सब्जियों की खेती करने की जिम्मेदारी उठाएगा और लोगों को ताजी सब्जियां घर पर ही उपलब्ध कराएगा। बदले में किसान भी वैसे ही फीस लेगा, जैसे फैमिली डाक्टर लेता है।

जम्मू के कृषि विभाग में इस संबंध में एक बैठक भी हुई, जिसमें पूरे मामले पर चर्चा की गई। सीएफए आर्गेंनिक फार्मिंग के एडवाइजर अरुण खजुरिया ने बताया कि वैसे किसान, जिनके पास अपनी जमीन नहीं है, वे भी इस तरह की खेती कर सकेंगे। उनको लोगों के घर आंगन, छत, गैलरी के हिस्से को संभालना होगा और वहां पर सब्जियां उगानी होगी। इसके लिए गमलों का इस्तेमाल भी होगा और जहां आंगन में मिट्टी उपलब्ध होगी, वहां पर सब्जियों की खेती की जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि भूमिहीन किसानों को खेती का काम मिल जाएगा और लोगों को घरों पर ही ताजी सब्जियां मिल जाएगी।

गुजरात राज्य इस तरह की खेती में काफी आगे निकल चुका है और अन्य राज्यों में भी जोर दिया जा रहा है। अब इस तरीके को जम्मू-कश्मीर में भी आजमाया जा रहा है। फैमिली किसान अपने तरीके से सोच बनाएगा कि एक घर के अंदर किस तरह से सब्जियां उगाई जा सकती है। कुछ किसान मिलकर भी इसमें काम कर सकते हैं। खजुरिया ने बताया कि देश में ऐसे कई किसान हैं, जिनके पास अपनी जमीन नहीं है। इन किसानों के लिए यह कांसेप्ट बहुत ही कारगर होगा। भूमिहीन किसानों को अब जल्दी ही जागरूक किया जाएगा।

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