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जम्मू-कश्मीर की वन-बूटियों से बनी चाय है खास, जायके के साथ पाएं अच्छी सेहत

पेड़ परिचर्चा अभियान की टीम ने राज्य भर के जंगल क्षेत्र का भ्रमण कर तकरीबन दो दर्जन किस्म की चाय का विवरण एकत्र किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Wed, 23 Jan 2019 04:27 PM (IST)
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जम्मू-कश्मीर की वन-बूटियों से बनी चाय है खास, जायके के साथ पाएं अच्छी सेहत
जम्मू, गुलदेव राज। वैसे तो अंग्रेजी चाय का बाेलबाला है मगर जम्मू-कश्मीर के जंगलों में पाए जाने वाली विशेष बूटियों से बनी चाय खास है। इस चाय का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है। खास पेड़ पौधों से बनने वाली यह चाय सेहत को तरोताजा करने के साथ कई प्रकार की बीमारियों से भी दूर रखती है। आपको यह जानकर हैरत होगी कि यह चाय हदृय रोग से बचाव करती है और कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है।

पेड़ परिचर्चा अभियान की टीम ने राज्य भर के जंगल क्षेत्र का भ्रमण कर तकरीबन दो दर्जन किस्म की चाय का विवरण एकत्र किया है। बहुत कम लोग अर्जुन छाल पेड़ के बारे में जानते हैं जिसके छाल की चाय बन सकती है जोकि दिलो दिमाग को तरोताजा कर देगी। दर्जनाें कार्यक्रमों में यह चाय बनाकर पिलाई जा चुकी है। पेड़ के छाल को पानी में डालकर उबालना है। बाद में चीनी, दूध मिलाना है। बहुत कम लोग जानते हैं कि यह चाय हदृय रोग से बचाती है व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है।

टीम वन-बूटियों से बनने वाली चाय का रहस्य जुटाने के साथ इसका फायदा आम लोगों तक पहुंचे इसको लेकर जागरूक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है। अभी तक इस तरह के वह सात सौ कार्यक्रम कर चुकी है। लोगों को वन बूटियों की चाय बनाने की विधियां भी बताई जा रही हैं। पर्यावरण से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए वन बूटियों की चाय की खूबियों से जनता को अवगत कराया जा रहा है। चाय की वास्तविकता का पता चल सके, इसके लिए कार्यक्रम में लोगों को वन बूटियों की चाय की चुस्कियां लेने का माैका भी मिल जाता है।

आयुर्वेदिक डाक्टर तरन सिंह जोेकि पेड़ परिचर्चा अभियान के सक्रिय सदस्य हैं, का कहना है कि दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोग, जहां वन बूटियों की भरमार है, को यह चाय नित्य बनाने के लिए और इसको बढ़ावा देने के लिए जोर दिया जा रहा है। स. मंजीत सिंह जोकि पिछले 10 सालों से पेड़ परिचर्चा अभियान टीम का हिस्सा हैं, पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों के दौरान लोगों को वन बूटी की चाय बनाकर पिला रहे हैं। इसके जायके से भी अवगत करा रहे हैं।

वन बूटियाें से भरपूर जम्मू-कश्मीर

पेड़ परिचर्चा अभियान के प्रमुख डा. ओम प्रकाश शर्मा का कहना है कि वन बूटियों की चाय से सेहत को फायदा मिलता है। हमारे जम्मू-कश्मीर में तरह-तरह की जड़ी बूटियों की भरमार है। ऐसे में अगर हम जान जाएं कि इनकी चाय कैसे बनती है तो लोगों का रुझान इस तरफ बढ़ेगा और इन वन बूटियों की अहमियत और बढ़ जाएगी। वन बूटियों की चाय में राज्य का एक बड़ा नाम बना सकता है। बूटियों की यहां कोई कमी नही। वहीं इस कार्यक्रम के जरिए पेड़ पौधाें के सरंक्षण को भी बल मिलेगा।

यह चाय हो रही लोकप्रिय

अर्जुन छाल के अलावा और भी कई वन बूटियों से चाय बन सकती है। अक्टूबर 2018 में कश्मीर के राज्य वानिकी अनुसंधान संस्थान में गिंको बाइलोवा पेड़ की पत्तियों से बनी चाय लोगों को पिलाई गई। इसका स्वाद निराला था। लोगों ने इस चाय को सराहा। पारिजात (गुल जाफरी) पेंड के फूलों की पत्तियों को सूखाकर चाय बनाई जा सकती है। जोड़ों के दर्द में यह चाय आराम देगी है। बिच्छू बूटी से भी चाय बन सकती है। इसके अलावाखैर व ककुआ के शाल कही बनी चाय गठिया, व जोड़ों के दर्द में लाभकारी है। मोतिया फूलों व कचनार के पेड़ों के शाल की चाय सेहत के लिए बड़ी अच्दी है। बुरांस के फूलाें की चाय से सर्दी जुकाम से निजात मिलती है। 

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