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जम्मू-कश्मीर में विकसित होंगे 16 दुग्ध गांव, दो मिल्क चिलिंग प्लांट भी खोले जाएंगे; 1500 को मिलेगा रोजगार

Milk Villages in Jammu Kashmir जनजातीय मामलेे विभाग के सचिव डा. शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि इस परियोजना के पहले चरण में करीब 1500 जनजातीय युवाओं को रोजगार के अलावा डेयरी उद्योग के लिए आवश्यक ढांचा तैयार किया जाएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 21 Aug 2021 07:44 AM (IST)
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आवश्यक सामान की खरीद और बाजार के साथ तालमेल बनाने लिए 80-80 लाख रुपये की राशि आवंटित की जाएगी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : अनुसूचित जनजातियों के युवाओं को आर्थिक रूप से समर्थ बनाने और डेयरी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश में 16 दुग्ध गांव विकसित किए जाएंगे। दो मिल्क चिलिंग प्लांट भी खोले जाएंगे। इस संंबंध में परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। दुग्ध गांव और मिल्क चिलिंग प्लांट जनजातीय आबादी वाले इलाकों में ही विकसित किए जाएंगे। इस परियोजना का मकसद प्रदेश को दुग्ध उत्पादन के मामले में अग्रणी बनाना है।

जनजातीय मामलेे विभाग के सचिव डा. शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि इस परियोजना के पहले चरण में करीब 1500 जनजातीय युवाओं को रोजगार के अलावा डेयरी उद्योग के लिए आवश्यक ढांचा तैयार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले 10 दुग्ध गांव मंजूर किए गए थे, अब छह और किए गए हैं। इनमें से दो शोपियां जिले में होंगे। पुलवामा, राजौरी, गांदरबल व पुंछ में एक-एक दुग्ध गांव तैयार किया जाएगा। प्रत्येक दुग्ध गांव में गौवंश को बेहतर बनाने, आवश्यक सामान की खरीद और बाजार के साथ तालमेल बनाने लिए 80-80 लाख रुपये की राशि आवंटित की जाएगी।

प्रत्येक दुग्ध गांव में 80 लाख खर्च होंगे: जनजातीय मामलेे विभाग के सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार की जनजातीय कल्याण योजना के तहत राजौरी, अनंतनाग, पुंछ, जम्मू, शोपियां, रियासी, कुपवाड़ा और बडग़ाम में आठ जनजातीय गांवों को वित्तपोषित किया जा रहा है। प्रत्येक गांव को 80 लाख की राशि से विकसित किया जाएगा। संगरवानी पुलवामा और अरगी राजौरी के लिए 90 लाख रुपये की राशि पहले ही मंजूर की जा चुकी है।

मिल्क चिलिंग प्लांट पर 100 लाख खर्च होंगे: डा. शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि मिल्क चिलिंग प्लांट की स्थापना पर 100 लाख रुपये खर्च होंगे। एक प्लांट गांदरबल में और दूसरा शोपियां के लिए मंजूर किया गया है। जनजातीय मामले विभाग ने उन गांवों को भी चिह्नित करना शुरू किया है जहां दूध आपूॢत, गोवंश उत्पाद प्रबंधन व अन्य सुविधाओं के विकास की संभावना है। इसके अलावा विभाग पहली बार गोवंश और अन्य माल मवेशियों के विकास, प्रबंधन, डीपीआर तैयार करने, आकलन व सर्वे के लिए जनजातीय अनुसंधान संस्थान को शोध अनुदान भी दे रहा है।