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Ladakh में मंडरा रहे IAF के लड़ाकू विमान, दुश्मन देशों में पैदा कर रहे खौफ; G-20 से पहले चल रहा त्रिशूल अभ्यास

Ladakh Trishul Exercise लद्दाख में भारतीय वायुसेना त्रिशूल अभ्यास कर रही है। इस एक्सरसाइज में सभी फाइटर विमानों की जमीन से आसमान तक वार करने वाली मिसाइलें की मारक क्षमता जांची जा रही है। इसी के साथ अभ्यास में हाइब्रिड युद्ध साइबरस्पेस और कंप्यूटिंग से आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी हो रही है। थल सेना भी वायु सेना के अभ्यास दौरान अलर्ट मोड पर है।

By vivek singhEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 05 Sep 2023 10:57 PM (IST)
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लद्दाख में मंडरा रहे आईएएफ के लड़ाकू विमान, दुश्मन देशों में पैदा कर रहे खौफ। (फाइल फोटो)

जम्मू, राज्य ब्यूरो। Indian Air Force Trishul Exercise जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मंडरा रहे भारतीय वायुसेना के फाइटर विमान चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में खौफ पैदा कर रहे हैं। देश में जी-20 की बैठक से पहले भारतीय वायुसेना की पश्चिमी एयर कमान की त्रिशूल एक्सरसाइज जारी है। इस एक्सरसाइज में सभी फाइटर विमानों की जमीन से आसमान तक वार करने वाली मिसाइलें की मारक क्षमता जांची जा रही है।

बता दें कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के सभी एयरफोर्स स्टेशन इदस दिवसीय ट्रेनिंग एक्सरसाइज में हिस्सा लेकर ऑपरेशनल चुनौतियों का सामने करने की अपनी तैयारी दिखा रहे हैं। 14 सितंबर तक चलने वाली भारतीय वायुसेना की त्रिशूल ट्रेनिंग एक्सारसाइज, चीन और पाकिस्तान के संयुक्त हवाई अभ्यास शाहीन एक्स को एक कड़ा जवाब भी है।

भारतीय सेना भी अलर्ट

इस अभ्यास में भारतीय सेना भी उच्चतम स्तर की सतर्कता बरत रही है। इस समय पड़ोसी देशों की वायु सेनाएं उत्तर पश्चिमी चीन के जिउक्वान और यिनचुआन शहरों में संयुक्त युद्ध अभ्यास कर रही हैं। ऐसे में लद्दाख में पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा और चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सभी फाइटर विमानों साथ बड़े मालवाहक विमान सी-17, आइएल-76, सी-130, बड़े चिनूक हेलीकॉप्टरों दिन-रात उड़ानें भर कर युद्ध की स्थिति में की जाने वाली कार्रवाई का परिचय दे रहे हैं।

भारतीय सेना के विमानों की ताकत

भारतीय वायुसेना के बड़े विमान व चिनूक जैसे हेलीकॉप्टर युद्ध जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए लद्दाख में टैंक, बख्तरबंद वाहनों, तोपों, आधुनिक उपकरणों व सेना के जवानों को चंद घंटों में देश के किसी भी हिस्से से वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब बने एडवांस लैंडिग ग्राउंड तक पहुंचाने में सक्षम हैं। वायुसेना ने चार साल पहले गलवान में चीन सेना से हिसंक संघर्ष के बाद क्षेत्र में ऑपरेशनल तैयारियों को तेजी देने के लिए 68 हजार सैनिकों, इन्फैंटरी के 330 वाहनों और 90 टैंकों के साथ आर्टिलरी की तोपों को पूर्वी लद्दाख में पहुंचाया था।

ऐसे में भारतीय वायुसेना का यह युद्ध अभ्यास देश की हवाई सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की व्यापक रक्षा रणनीति बनाने की दिशा में बड़ी कार्रवाई है। इस वायु अभ्यास में हाइब्रिड युद्ध, साइबरस्पेस और कंप्यूटिंग से आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने की तैयारी हो रही है। वहीं, वायुसेना के साथ भारतीय सेना भी दिल्ली में हो रही जी-20 की बैठक को लेकर नियंत्रण रेखा व वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उच्चतम स्तर की सतर्कता बरत रही है। बीते दिनों थलसेना प्रमुख ने जम्मू संभाग के सीमावर्ती राजौरी व पुंछ जिलों का दो दिवसीय दौरा कर ऑपरेशनल तैयारियों का निरीक्षण करने के साथ जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के मौजूदा सुरक्षा हालात जाने थे।

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