आतंकियों का काल है 'अस्मि', सेना के बेड़े में शामिल हुईं 550 पिस्तौल; एक बार में करती है 33 राउंड फायर
भारतीय सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए 550 स्वदेशी रूप से विकसित अस्मि मशीन पिस्तौल शामिल की हैं। यह 100% भारतीय निर्मित हथियार का पहला बैच है जिसे नजदीकी लड़ाई और विशेष अभियानों के लिए विशेष बलों को लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अस्मि पिस्तौल 100 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकती है।
पीटीआई, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी वारदातों पर दुश्मन को सबक सिखाने के लिए सेना ने कमर कस ली है। दहशतगर्दों के मंसूबों को नेस्तनाबूद करने के लिए जांबाजों के बेड़े में एक ऐसी पिस्तौल को शामिल किया है, जो पल भर में दुश्मन को ढेर कर देगी।
वजन में हल्की और कैरी करने में आसान व अनेकों खूबियों से लैस भारतीय निर्मित 'अस्मि' पिस्तौल सेना की उत्तरी कमान को मिल गई है। उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी सुचिंद्र कुमार ने शुक्रवार को नई शामिल की गई 'अस्मि' मशीन पिस्तौल की समीक्षा भी की। भारतीय सेना ने इस महीने की शुरुआत में उत्तरी कमान में 550 स्वदेशी रूप से विकसित अस्मि मशीन पिस्तौल शामिल की थीं।
टोटली 'मेड इन इंडिया' है ये पिस्तौल
खास बात है कि अस्मि पिस्तौल 100 फीसदी भारतीय निर्मित हथियार है। अस्मि को उत्तरी थिएटर में नजदीकी लड़ाई और विशेष अभियानों के लिए इस्तेमाल करना है। उत्तरी कमान में ऑपरेशनल तैयारियों को तेजी देने के लिए आधुनिक हथियार सेना के बेड़े में शामिल किए जा रहे हैं।अस्मि पिस्तौल से आतंकियों पर लगाम कसना आसान हो जाएगा। भारत में निर्मित हथियार को शामिल करना भारतीय सेना की आत्मनिर्भर भारत के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस हथियार को भारतीय सेना के कर्नल प्रसाद बंसोड़ ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित किया है।
सब-मशीन गन भी है यह पिस्तौल
हथियार का निर्माण हैदराबाद में लोकेश मशीन्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से किया जा रहा है। सेना ने कहा कि पिस्तौल का अनूठा सेमी-बुलपप डिजाइन जवान को एक हाथ से संचालन करने को आसान बनाता है। यह पिस्तौल और सब-मशीन गन दोनों के रूप में कार्य कर सकती है।विनिर्देशों के अनुसार इस बंदूकमें आठ इंच की बैरल और 9 मिमी गोला बारूद फायर करने वाली 33-राउंड मैगजीन है, उत्तरी कमान के परिचालन क्षेत्र में नजदीकी लड़ाई और विशेष अभियानों के लिए विशेष बलों को हथियार देने के लिए तैयार है।
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- 100 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकती है
- एक मैगजीन 33 गोलियां आती है
- मशीन पिस्टल के लोडिंग स्विच दोनों तरफ है, जिससे इसे पिस्टल भी बना सकते हैं और सब-मशीन गन भी।
- यह गन पूरी तरह से 'मेड इन इंडिया' है
- जवान इस गन को आसानी से छिपा भी सकता है