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Indian Army का मास्टर प्लान! लद्दाख में 'पत्थर' भी रख रहे दुश्मन पर नजर, नापाक मंसूबे होंगे ध्वस्त

लद्दाख के अत्याधिक ठंडे माहौल में भी अंदर से गर्म रहने वाले इस बोल्डर के अंदर सेना का एक शार्प शूटर अपनी स्नाइपर राइफल के साथ मोर्चा संभाल सकता है। बोल्डर को तैयार करने वाली सेना की 12 जैकलाई के सैन्यकर्मी सुखवीर का कहना है कि हम ऐसे बोल्डर लद्दाख में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह बोल्डर लद्दाख के पत्थरों से पूरी तरह से मेल खाता है।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 20 Sep 2023 06:30 AM (IST)
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लद्दाख में 'पत्थर' भी रख रहे दुश्मन पर नजर (फाइल फोटो)

विवेक सिंह, जम्मूः बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख मेें चीन, पाकिस्तान की साजिशों को नकारने के लिए सीमा से सटे इलाकों में पत्थर भी दुश्मन पर कड़ी नजर रखे हैं। लद्दाख पर बुरी नजर रखने वाले पड़ोसी देशों के मंसूबे नकाराने के लिए भारतीय सेना छलावरण की रणनीति भी अपना रही है।

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सर्विलांस बोल्डर के जरिये निगरानी

दुश्मन लद्दाख की नंगी पहाड़ियों पर सैनिकों की गतिविधियों को दूर से देख सकता है, ऐसे में स्थायी निगरानी करने वाली चौकियां उसे सावधान करती हैं। दुश्मन दूर से इन चौकियों को निशाना भी बना सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना ने बिना दुश्मन को सचेत किए, उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बड़े कृत्रिम पत्थर बनाए हैं, इन्हें सर्विलांस बोल्डर कहा जाता है।

लद्दाख में चट्टानों, दूर तक बिखरे पत्थरों के बीच इस बोल्डर (गोल पत्थर को) दुश्मन का ड्रोन, सेटेलाइट या थर्मल इमेजर से तलाशा नहीं जा सकता है। और तो और पशु, पक्षी भी इसे पहचान नही सकते हैं। सेना की राक आधुनिक यंत्रों व दुर्गम हालात में डयूटी देने वाले सैनिकों की सूझ बूझ का मिला हुआ रूप है।

इसमें लगे हाइ डेफिनेशन कैमरों, थर्मल इमेजर, सेंसर्स से दिन रात, मिलने वाली लाइव फीड को भारतीय सैनिक आठ किलाेमीटर तक की दूरी से अपने कंट्रोल पैनल से देख सकते हैं। बोल्डर में लगी बैटरी एक बार चार्ज करने पर पंद्रह घंटे तक काम कर सकती है। इसके उपर एक वायरलैस एंटीना है जिसकी रेंज आठ किलोमीटर तक है।

लद्दाख के अत्याधिक ठंडे माहौल में भी अंदर से गर्म रहने वाले इस बोल्डर के अंदर सेना का एक शार्प शूटर अपनी स्नाइपर राइफल के साथ मोर्चा संभाल सकता है। बोल्डर को तैयार करने वाली सेना की 12 जैकलाई के सैन्यकर्मी सुखवीर सिंह का कहना है कि हम ऐसे बोल्डर लद्दाख में इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि यह बोल्डर लद्दाख के पत्थरों से पूरी तरह से मेल खाता है। उन्होंने बताया कि बोल्डर को चीनी, फेवीकोल के साथ गत्ते को मिलाकर इसका लेप कर बोल्डर को तैयार किया गया है। बेस व उपरी भाग को स्पोर्ट देने के लिए पाइप इस्तेमाल की गई है।

बोल्डर के मध्य में अल्मूनियम फायल लगाई गई है ताकि दुश्मन के थर्मल इमेजर इसका पता न लगा पाएं। ठंड से बचने के लिए अंदर फोम की शीट के साथ स्लीपिंग बैग के कवर लगाए गए हैं। इसके अंदर ठंड से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें आग नही लगती है व बीस किलो से कम होने के कारण इसे उठाकर कहीं भी फिट किया सकता है।

इसे बनाने पर महज बीस हजार रूपये का खर्च आया है। सेना की उत्तरी कमान इस समय सुरक्षा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे में सेना की कई बटालियनें दुश्मन द्वारा पैदा की जा रही चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छे व सस्ते विकल्प तलाश रही हैं।

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