Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

लद्दाख में भारतीय सेना का शक्ति प्रदर्शन, हिम ड्रोन-ए-थॉन में 20 से अधिक स्वदेशी ड्रोन निर्माताओं ने लिया भाग

लद्दाख में भारतीय सेना ने हिम ड्रोन-ए-थॉन के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। इस आयोजन में 20 से अधिक स्वदेशी ड्रोन निर्माताओं ने भाग लिया और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। ड्रोन ने निगरानी खोजी अभियान लाजिस्टिक्स और लक्षित प्रहार में अपनी भूमिका का प्रदर्शन किया। इस आयोजन से भारतीय सेना को भविष्य की खरीद के लिए कई उत्पादों को शार्टलिस्ट करने का मौका मिला।

By rohit jandiyal Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 18 Sep 2024 03:26 PM (IST)
Hero Image
लद्दाख में हिम ड्रोनाथान का दूसरा संस्करण हुआ शुरू। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जम्मू। भारतीय सेना ने सैन्य अभियानों में क्रांति लाने और दुर्गम इलाकों में सामरिक श्रेष्ठता हासिल करने के उद्देश्य से मंगलवार को लद्दान में हिम ड्रोनाथान के दूसरे संस्करण का शुभारंभ किया।

लद्दाख में 15 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर आयोजित इस ड्रोनाथान में 20 से अधिक स्वदेशी ड्रोन निर्माता कंपनियों द्वारा निर्मित ड्रोन ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। सभी प्रतिभागियों को उनके नवाचारों के लिए सम्मानित किया गया। लाजिस्टिक्स और एफपीवी (प्रथम व्यक्ति दृश्य) श्रेणियों में विजेताओं को विशेष पहचान दी गई।

यह आयोजन 15 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख के दुर्गम वारी ला में हुआ और इससे आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत स्वदेशी तकनीक के उपयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

भारतीय सेना की ओर से फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से आयोजित ड्रोनाथान के दौरान सैन्य अधिकारियों ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी ड्रोन कंपनियों के लिए अपने ड्रोन की क्षमता प्रदर्शित करने का बेहतर प्रयास है।

इसका लक्ष्य ड्रोन के माध्यम से उच्च व दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में सामरिक क्षमताओं का विस्तार करना है। उन्होंने बताया कि आज के युग में ड्रोन हमारी युद्ध नीति का प्रमुख हिस्सा बन गए हैं। रूस और यूक्रेन के युद्ध में ऐसा देखा गया है। सैन्य अभियानों में उनकी भूमिका बढ़ रही है। निगरानी, खोजी अभियान, लाजिस्टिक्स और लक्षित प्रहार में ड्रोन की भूमिका बढ़ रही है।

अधिकारियों ने बताया कि लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों ने स्वदेशी ड्रोन की क्षमता के प्रदर्शन के लिए एक प्रमाणिक परीक्षण मंच प्रदान किया। इससे भारत के लिए वैश्विक ड्रोन उद्योग में एक प्रमुख भागीदार बनने की राह खुल गई।

इस आयोजन ने भारतीय सेना को भविष्य की खरीद के लिए कई उत्पादों को शार्टलिस्ट करने का मौका दिया, जबकि कुछ उत्पादों में सुधार की भी सिफारिश की गई। यह आयोजन भारतीय सेना के वर्ष 2024 के तकनीक को अंगीकृत करने के तय लक्ष्य का हिस्सा था।

भारतीय सेना ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के सहयोग से ‘हिम-ड्रोन-ए-थॉन’ के दूसरे संस्करण का आयोजन किया। इसका उद्देश्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैन्य अभियानों को ड्रोन तकनीक के उपयोग से क्रांतिकारी रूप से बदलना है।

आयोजन से ड्रोन निर्माता भी उत्साहित

तारा यूएवी के वेंडर आदित्य ने बताया कि हमारे ड्रोन मुख्य तौर अपने देश में ही तैयार हैं और इनका उपयोग निगरानी के साथ लाजिस्टिक्स में भी किया जा रहा है। सेना ने हमें अपने ड्रोन पतकनीक के प्रदश्रन को शानदार अवसर दिया है। निगरानी ओर लाजिस्टिक्स के साथ हमारा लक्ष्य दुर्गम क्षेत्रों में खोजी व राहत कार्य में भी इसका इस्तेमाल करना है।

आइडिया फोर्ज के अंकुश कोकस ने बताया कि हमारे ड्रोन सीमांत क्षेत्रों के पूरे वीडियो देने में सक्षम हैं और उसके आधार पर सेना अपने अभियान तय कर सकती है। वह सेना के लिए काफी समय से ट्रायल दे रहे हैं और ऐसे आयोजन से उन्हें भी लाभ मिलता है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर