चीन को अब उसकी भाषा में जवाब देंगे भारतीय जवान, चीनी सीख रहे सैनिक; बढ़ रही सैन्य ताकत
लद्दाख में भारतीय सेना के जवान और अधिकारी चीनी भाषा सीख रहे हैं। इसका उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों से बेहतर संवाद और निगरानी करना है। सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर मुख्यालय लेह में तीन दिवसीय कार्यशाला चल रही है। चीनी भाषा जानने वाले लद्दाखियों को भारतीय सेना की ओर से रोजगार भी दिया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना के अधिकारियों व जवानों को चीनी भाषा सिखाई जा रही है।
लद्दाख में चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पड़ौसी देश के सैनिकों से संवाद करने के साथ उनकी निगरानी करने के लिए चीनी भाषा की जानकारी होना बहुत जरूरी है। सेना पूरी कोशिश कर रही है कि भारतीय सैनिकों को चीनी भाषा में समझने में कोई दिक्कत न हो।
तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू
ऐसे में चीनी भाषा का ज्ञाण रखने वाले लद्दाखियों को सेना की ओर से रोजगार भी दिया जा रहा है। सैन्यकर्मियों को चीनी भाषा सिखाने के मकसद के साथ सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर मुख्यालय लेह में सोमवार को तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हो गई।सेना की उत्तरी कमान की देखरेख में आयोजित हो रही इस कार्यशाला का मकसद भारतीय सेना के कर्मियों को पड़ौसी देश के सैनिकों की भाषा बोलने व समझने में दक्ष बनाना है। सोमवार को कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेष भल्ला ने हिस्सा लिया। उन्होंने कार्यशाला का उद्घाटन करने के साथ चीनी भाषा पर हो रही इस कार्यशाला को सैन्यकर्मियों के लिए अहम करार दिया।
भारतीय सैनिकों के लिए चीनी भाषा सीखने की जरूरत
इसी बीच बुधवार को चीनी भाषा पर इस कार्यशाला के समापन समारोह में सेना की उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार हिस्सा लेंगे। वह अपने संबोधन के दौरान पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा में तैनात भारतीय सैनिकों के लिए चीनी भाषा सीखने की जरूरत पर प्रकाश डालेंगे। उनके साथ चीनी भाषा की जानकारी रखने वाले लद्दाख विश्वविद्यालय के शिक्षक व सैन्यकर्मी भी मौजूद रहेंगे।पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीनी सेना के साथ हिंसक संघर्ष के बाद भारतीय सेना क्षेत्र में हर लिहाज से खुद को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रही है। भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पड़ौसी देश की सेना की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हैं।ऐसे में अपने सैनिकों को चीन भाषा की जानकार बनाना भी भारतीय सेना की आपरेशनल तैयारियों का ही हिस्सा है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रखने वाले भारतीय चरवाहों के साथ तिब्बतन से पलायन कर लद्दाख में बस गए तिब्बती भी चीनी भाषा की जानकारी रखते हैं। ऐसे में वे भी भारतीय सैनिकों के लिए अहम हैं।
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