Budget 2024: फरवरी में इस दिन में पेश होगा जम्मू कश्मीर का अंतरिम बजट, 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 31 जनवरी से शुरू
Jammu-Kashmir Interim Budget केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फरवरी के पहले सप्ताह में जम्मू कश्मीर के लिए छह माह तक चलने वाला अंतरिम बजट पेश करेंगी। जम्मू कश्मीर वित्त विभाग के मुताबिक प्रदेश सरकार ने साल 2024-25 के लिए 1.20 लाख करोड़ रुपये का बजट बनाया है जबकि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट 118500 करोड़ रुपये था।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण(Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) फरवरी के पहले सप्ताह में जम्मू कश्मीर के लिए छह माह तक चलने वाला अंतरिम बजट जिसे लेखानुदान मांग और वोट आन एकाउंट भी कहा जाता है, पेश करेंगी। जम्मू कश्मीर वित्त विभाग के अनुसार प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए 1.20 लाख करोड़ रुपये का बजट बनाया है, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट 1,18,500 करोड़ रुपये था।
मौजूदा 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 31 जनवरी से शुरू
इससे पहले वर्ष 2022-23 में यह 112950 करोड़ रुपये था। मौजूदा केंद्र सरकार अगले चंद महीनों में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली है और उससे पहले देश में लोकसभा चुनाव होंगे। मौजूदा 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 31 जनवरी को शुरू हो रहा है। जम्मू कश्मीर वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री पूरे देश के लिए अंतरिम बजट पहली फरवरी को संसद में पेश कर सकती हैं।
पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद हो सकता है पेश
जम्मू कश्मीर का अंतरिम बजट(Jammu-Kashmir Interim Budget 2024) भी उसी दिन या उसके एक दिन बाद पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सत्र में जम्मू कश्मीर के लिए या देश के लिए पूर्ण बजट पेश नहीं किया जाएगा। पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद संभवत: जून-जुलाई में पेश किया जाएगा। संविधान के मुताबिक, जब किसी सरकार का कार्यकाल समाप्त होने में चार से छह माह का समय होता है तो वह पूर्ण बजट पेश करने की स्थिति में नहीं होती।यह भी पढ़ें: Jammu: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और गणतंत्र दिवस के दिन बिना इस दस्तावेज के मिले बाहर घूमते, हिरासत में ले सकती है पुलिस
इसके राजनीतिक एवं नैतिक निहितार्थ भी हैं क्योंकि जिस सरकार के पास पूरे साल शासन चलाने का जनादेश नहीं है तो उसे पूरे साल का वित्तीय विवरण पेश करने से भी बचना होता है। ऐसे में उसे नयी सरकार के सत्तासीन होने तक सरकारी खर्च चलाने का प्रबंध करना होता है।
इसलिए वह कुछ महीनों का खर्च चलाने के लिए वोट आन एकाउंट जिसे लेखानुदान मांग, अंतरिम बजट और आम भाषा में मिनी बजट भी कहा जाता है, पेश करती है। जम्मू कश्मीर में निर्वाचित सरकार न होने के कारण संसद ही जम्मू कश्मीर का वार्षिक बजट पारित करती है। जम्मू कश्मीर की विधानसभा में अंतिम बजट वर्ष 2018 में पारित हुआ था।
उसके बाद से संसद ही जम्मू कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख प्रदेश का बजट पारित कर रही है। जम्मू कश्मीर वित्त विभाग के अनुसार, सभी संबंधित विभागों और संस्थानों के साथ प्रदेश प्रशासन अपनी बजट बैठकें कर चुका है। इन बैठकों के आधार पर बजट अनुमान, लेखानुदान व अन्य संबंधित विषयों को तय कर लिया गया है।
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