Jammu Kashmir: महंगा है पर गुुणकारी है जामुन, जानें कौन-कौन से रोग का करता है खात्मा
जम्मू के बाजार में जामुन उतरने लग है। रेहड़ी पर कहीं कहीं यह फल दिख रहा है और इन दिनों 140 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। मगर रसीले व मिठास से भरे जामुन खाने के लिए चंद एक दिन का और इंतजार करना पड़ेगा।
By Vikas AbrolEdited By: Updated: Wed, 30 Jun 2021 11:01 AM (IST)
जम्मू, जागरण संवाददाता । जामुन के फलों का सीजन आ चुका है। चंद दिनों के इस सीजन में हर कोई जामुन खाना जरूर चाहेगा क्योंकि यह फल गुणों से भरपूर है। वहीं दूसरी ओर पूरी तरह से जैविक हैं क्योंकि पेड़ पर किसी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं होता। पेड़ पर ही फल पकता है और इन्ही बारिश के दिनों में फल रस से भरपूर बनता है ।
जम्मू के बाजार में जामुन उतरने लग है। रेहड़ी पर कहीं कहीं यह फल दिख रहा है और इन दिनों 140 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। मगर रसीले व मिठास से भरे जामुन खाने के लिए चंद एक दिन का और इंतजार करना पड़ेगा। बारिश के साथ ही यह फल एकदम से पक जाते हैं और रस भरे हो जाते हैं। हालांकि इस बार अपेक्षाकृत जामुन की पैदावार कम है लेकिन लोगों को इंतजार है कि अच्छा पका हुआ फल उन तक जरूर पहुंचेगा।क्या है इस फल में गुण
बागवानी अधिकारी संजीव कुमार का कहना है कि जामुन बेहद गुणकारी है। खासकर मधुमेह के रोगियों को इससे फायदा होता है। फल ही नहीं इसकी गुठली भी सूखाकर पीस कर सेवन की जाती है जोकि मधुमेह रोगियों के लिए अच्छी मानी गई है। वहीं जामुन का सेवन करने से पाचन क्रिया ठीक रहती है। जामुन के सेवन से त्वचा में भी निखार आता है। पाचन क्रिया के लिए जामुन बहुत फायदेमंद होता है। जामुन में कैल्शियम, पोटाशियम, आयरन, विटामिन होते हैं जोकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसका जूस पीने से लीवर को फायदा मिलता है।
शौक के तौर पर ही लगाते हैं जामुन
बडुई गांव के किसान शाम सिंह का कहना है कि किसान जामुन के पेड़ बस शौक के लिए लगाते हैं। व्यापारिक दृष्टि से कोई भी इसके बाग लगाने का इच्छुक नहीं । क्योंकि एक तो 10-15 दिन की ही फसल होती है जो तुरंत पक जाती है। फल चुनना भी आसान नहीं । कुछ लोग मेहनत कर फल को चुनते हैं और बाजार तक पहुंचाते हैं। यह फल शीघ्र नाशवान प्रवृति का है और इसका शीघ्र सेवन भी होना चाहिए।
किसान गौतम सिंह ने कहा कि जम्मू में भी अब जामुन के पेड़ कम हो रहे हैं। किसान इसकी व्यवसायिक खेती नहीं कर रहा। सरकार को सोचना चाहिए कि ऐसी योजना बनाए कि इन फलों की मार्केटिंग की राह अैर आसान बन सके और किसान व्यवसायिक तौर पर जामुन लगाने के लिए काम करें।
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