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Jammu Kashmir Election 2024: सोशल मीडिया पर फेक खबरों पर EC का शिकंजा, न्यूज पोर्टल और यूट्यूब चैनल पर रहेगी पैनी नजर

जम्मू-कश्मीर में चुनावी तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। केंद्रशासित प्रदेश में सोशल मीडिया के जरिए यदि फेक न्यूज फैलाई गई तो कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए आयोग ने नोडल अफसरों को तैनात किया है जो हर तरह की फर्जी गतिविधियों पर नजर रखेंगे। वहीं निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जानकारी भी मांगी है।

By rahul sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 23 Aug 2024 09:19 AM (IST)
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ईसी ने झूठी-भ्रामक जानकारियों पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं (जागरण फोटो)

जागरण संवाददाता, जम्मू। विधानसभा चुनाव में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के अलावा न्यूज पोर्टल, यूट्यूब चैनल पर झूठी-भ्रामक जानकारियों पर नजर रखने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।

सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स हैंडल आदि का सावधानी से प्रयोग करना होगा। चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर जारी होने वाली हर सूचना पर चुनाव आयोग सहित जिला निर्वाचन कार्यालय की भी पैनी नजर रहेगी।

प्रदेश प्रशासन ने विधानसभा चुनाव के दौरान एसएमएस या सोशल मीडिया के जरिए आपत्तिजनक संदेश फैलने से रोकने के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्तियां की है।

सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्मों पर रहेगी नजर

चुनाव में फैलाई जाने वाली झूठी व भ्रामक जानकारियों पर रोकथाम के लिए प्रत्येक जिले में प्रभावी टीम तैनात होगी, जो चुनाव के दौरान राजनीतिक हलचल के साथ प्रत्याशियों, उनके स्वजन और राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों के सोशल मीडिया से जुड़े सभी प्लेटफार्मों पर निगरानी रखेगी।

आयोग का मानना है कि सोशल मीडिया की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर गठित टीमें इंटरनेट गतिविधियों पर पैनी नजर रखेगी। निष्पक्ष चुनाव के साथ चुनावी प्रक्रिया पर विश्वसनीयता के लिए जरूरी है कि चुनाव से जुड़ी प्रत्येक झूठी व भ्रामक खबरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

प्रत्याशियों को इस बार शपथ-पत्र को भरते समय अपना मोबाइल फोन नंबर व मेल आइडी के साथ परिजनों के भी सोशल मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी साझा करनी होगी।

सोशल मीडिया पर भी रहेगी नजर

जिला प्रशासन सोशल मीडिया, न्यूज पोर्टल, यूट्यूब चैनल पर चुनाव संबंधी कवरेज पर भी नजर रखे हुए हैं। विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है जिसमें आइटी से जुड़े अधिकारियों के अलावा मीडिया क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधि सहित अन्य अधिकारी शामिल हैं।

सोशल मीडिया पर चलने वाले राजनीतिक प्रोग्राम, खबरों के अलावा समाचारपत्रों में छपने वाली खबरें भी इनके दायरे में हैं। हर दिन जिला स्तर पर समाचारपत्रों में छपने वाली खबरों, चैनल में चलने वाले राजनीतिक कार्यक्रमों की समीक्षा भी होगी। अगर कोई आचार संहिता का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी।

आचार संहिता का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

जिला निर्वाचन अधिकारी की टीम न केवल सोशल मीडिया पर जारी सूचना की जांच करेगी बल्कि आचार संहिता का उल्लंघन होने पर कार्रवाई भी करेगी। आयोग ने सोशल मीडिया को आचार संहिता पालन करते हुए ही चुनाव या उससे संबंधित कवरेज करने की हिदायत दी है।

जिला निर्वाचन अधिकारियों ने अभी से जिला स्तर पर राजनीतिक दलों से जुडे़ प्रत्येक पदाधिकारी के सोशल मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी जुटाने की हिदायत दे दी है।

झूठी और भ्रामक जानकारियों के फैलाने के पीछे प्रत्याशियों के साथ उनके परिजनों या फिर दलों से जुड़े पदाधिकारियों की अहम भूमिका देखने को मिलती है।

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