Jammu Kashmir : जम्मू-कश्मीर सरकार ने नहीं दिया 10 हजार करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब
CAG Report Jammu Kashmir कैग के मुताबिक 30 सितंबर 2019 तक जारी अनुदान के लिए 3215 उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं कराए गए हैं जबकि 31 मार्च 2021 तक 10076.58 करोड़ रूपये की राशि के इस्तेमाल से संबधित उपयोगिता प्रमाणपत्र अभी भी लंबित पड़े हुए हैं।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 12:51 PM (IST)
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार 31 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार को 10 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा के अनुदान के उपयोगिता प्रमाणपत्र सौंपने में असमर्थ रही है। यह जानकारी भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने दी है।
कैग के अनुसार, उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का मतलब है कि संबधित प्रशासन यह नहीं बताना चाहता कि जम्मू कश्मीर में पैसे का इस्तेमाल कब और कहां हुआ है। कैग ने गत सोमवार को ही जम्मू कश्मीर की वित्तीय मामलों से संबधित 31 मार्च 2021 तक की अपनी रिपोर्ट जारी की है। अपनी रिपोर्ट में कैग न समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न कराए जाने के लिए जिम्मेदार तत्वों को चिह्नित करने के लिए कहा है।
कैग के मुताबिक , 30 सितंबर 2019 तक जारी अनुदान के लिए 3215 उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं कराए गए हैं जबकि 31 मार्च 2021 तक 10076.58 करोड़ रूपये की राशि के इस्तेमाल से संबधित उपयोगिता प्रमाणपत्र अभी भी लंबित पड़े हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018-19 के दौरान 5725.99 करोड़ रूपये के अनुदान से संबधित 1461 उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं किए गए थे जबकि 2019-20 के दौरान 124.21 करोड़ रूपये के अनुदान के इस्तेमाल के प्रमाणपत्र जमा नहीं किए गए हैं। वर्ष 2020-21 के दौरान 3102 करोड़ रूपये के अनुदान के इस्तेमाल से संबाधित 3215 उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा कराए जाने हैं।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में विभाग वार ब्यौरा देते हुए बताया कि लंबित पड़े उपयोगिता प्रमाणपत्रों में से 83.90 प्रतिशत चार विभागों से संबधित हैं और इनमें से 57.07 प्रतिशत सिर्फ शिक्षा विभाग से ही है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने का मतलब है कि संबधित प्रशासन उन विषयों अथवा कार्याें का खुलासा नहीं करना चाहता जिन पर संबधित वर्षाें के दौरान आबंटित निधियां और अनुदान खर्च हुआ है। कैग के अनुसार, उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न करने की स्थिति में संबधित निधियों और अनुदान के दुरुपयोग की आशंका रहती है, इसलिए सरकार को इस मामले की कड़ी निगरानी और जांच करनी चाहिए।
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