Jammu: बच्चों के शारीरिक शोषण में जम्मू जिला सबसे आगे, फास्ट ट्रैक के बावजूद केसों का जल्द नहीं हो रहा निपटारा
बच्चों के शारीरिक शोषण में जम्मू-कश्मीर के अन्य सभी जिलों को पीछे छोड़ते हुए जम्मू सबसे आगे हो गया है। जम्मू-कश्मीर के कार्यवाहक चीफ जस्टिस एवं जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के चेयरमैन जस्टिस ताशी रबस्तान की अध्यक्षता में हुई बैठक में उक्त आंकड़े साझा किए गए।
जागरण संवाददाता, जम्मू: बच्चों के शारीरिक शोषण में जम्मू-कश्मीर के अन्य सभी जिलों को पीछे छोड़ते हुए जम्मू सबसे आगे निकल गया है। जम्मू में बच्चों के शारीरिक शोषण के सबसे अधिक 168 केस दर्ज आज भी कोर्ट में लंबित है। जम्मू-कश्मीर में 31 दिसंबर, 2022 तक पाक्सो एक्ट के तहत कुल 859 केस लंबित थे। बीते साल पाक्सो एक्ट के तहत 278 नए केस दर्ज हुए, जबकि इस दौरान 72 केसों में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
बैठक में साझा किए आंकड़े
पाक्सो एक्ट के तहत हालांकि फास्ट ट्रैक के तहत सुनवाई होती है, इसके बावजूद नए केस दर्ज होने व लंबित केसों के निपटारों में भारी अंतर इसका प्रमाण है कि फास्ट ट्रैक के बावजूद केसों का जल्द निपटारा नहीं हो रहा है।
गत दिवस जम्मू-कश्मीर के कार्यवाहक चीफ जस्टिस एवं जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के चेयरमैन जस्टिस ताशी रबस्तान की अध्यक्षता में हुई बैठक में उक्त आंकड़े साझा किए गए। इस बैठक में पास्को एक्ट के तहत केसों की सुनवाई कर रहे सभी विशेष न्यायाधीश मौजूद रहे।
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177 केसों में नहीं हुआ मुआवजा तय
कार्यवाहक चीफ जस्टिस ताशी रबस्तान ने पाक्सो एक्ट के तहत लंबित केसों की संख्या लगातार बढ़ने का संज्ञान लेते हुए सभी न्यायिक अधिकारियों को एक्ट के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर केसों का निपटारा करते हुए दोषियों को सजा दिलाने व पीड़ितों को मुआवजा दिलाने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दिया।
बैठक में जानकारी दी गई कि वर्ष 2022 में 33 केसों में पीड़ितों को मुआवजा दिया गया था जबकि 177 केसों में कोई मुआवजा तय नहीं हुआ।