Jammu Kashmir Election जम्मू की राजनीति का गढ़ रहा जम्मू पूर्व विधानसभा में इस बार प्रचार का शोर कम है लेकिन मतदाताओं के मन में कई मुद्दे हैं। भाजपा से नाराजगी है लेकिन स्थानीय राजनीति सक्रियता भी नजर नहीं आती। कांग्रेस बिजली-पानी का मुद्दा उठा रही है तो भाजपा विकास और राष्ट्रवाद पर जोर दे रही है। मतदाता किसको वोट देंगे यह अभी स्पष्ट नहीं है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। पुराना शहर, जहां डोगरा शासकों का दरबार सजता था और सारा कारोबार चलता था, हमेशा से जम्मू की राजनीति का गढ़ रहा है। यह वही पुराना शहर है, जहां चुनाव की आहट लगते ही राजनीतिक सरगर्मियां शुरू हो जाती थीं और महीनों पहले शहर की गलियों-बाजारों में प्रचार का शोर सुनाई देने लगता था।
इस बार अब तक यहां विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर नहीं सुनाई दे रहा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में यहां पहली अक्टूबर को मतदान होना है, जिसमें अब दस दिन से भी कम समय शेष है, इसके बावजूद शहर की गलियों व बाजारों में चुनावी शोर नहीं सुनाई दे रहा है।
दैनिक जागरण की टीम ने टटोली मतदाताओं की नब्ज
दैनिक जागरण की टीम ने जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में जब मतदाताओं की नब्ज टटोलने का प्रयास किया तो सामने आया कि लोगों की परेशानियां बहुत हैं, उनके मुद्दे भी जायज हैं। भाजपा से लोगों को नाराजगी भी है, लेकिन उन्हें स्थानीय राजनीति सक्रियता भी नजर नहीं आती है।
'मतदाताओं के पास कोई बेहतर विकल्प नहीं'
रघुनाथ बाजार बिजनेसमैन एसोसिएशन के महासचिव अमित गोयल से बात करने पर उनका स्पष्ट कहना था कि कई मुद्दों को लेकर सत्तापक्ष के प्रति लोग नाराज अवश्य हैं, लेकिन आज की राजनीतिक परिस्थितियों में मतदाताओं के पास कोई बेहतर विकल्प नहीं है। इसी तरह पुरानी मंडी ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रधान जंग बहादुर शर्मा से बात हुई तो उन्होंने स्मार्ट मीटर से लेकर स्मार्ट सिटी के नाम पर लोगों की प्रताड़ना को उजागर करते हुए कहा कि लोग बहुत दुखी हैं।
कुछ अलग ही है जम्मू की जमीनी हकीकत
कागजों-पत्रों और टीवी चैनलों पर दिखाने के लिए जम्मू में बहुत विकास हुआ, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। जब उनसे वोट देने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी नहीं, उम्मीदवार को देख कर वोट करेंगे। वह तो उसी को वोट देंगे जो उनका परिचित होगा। इसी तरह यहां के अन्य मतदाताओं ने अपने-अपने मुद्दे के आधार पर मतदान करने की बात कही। किसी के लिए आतंकवाद व अलगावाद मुद्दा है तो कोई बिजली के बड़े बिल को कोसता नजर आए।
भाजपा और कांग्रेस-नेकां गठबंधन प्रत्याशी में है सीधा मुकाबला
जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार युद्धवीर सेठी और कांग्रेस-नेकां गठबंधन के प्रत्याशी योगेश साहनी के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन इन दोनों ही पार्टियों के कोई स्टार प्रचारक अब तक इस क्षेत्र में प्रचार के लिए नहीं पहुंचे हैं। रविवार को यहां केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा युद्धवीर सेठी के समर्थन में रोड शो करने आएंगे।
नड्डा का रोड शो परेड चौक से आरंभ होना है और पुरानी मंडी व सिटी चौक से होते हुए रघुनाथ मंदिर चौक पर संपन्न होगा। इसलिए भाजपा की ओर से रोड शो मार्ग पर झंडियां लगाकर माहौल को कुछ चुनावी रंग दिया गया है, लेकिन मजेदार बात यह है कि जहां-जहां भाजपा ने अपनी झंडियां लगाई हैं, वहां कांग्रेस ने भी लगा दिए हैं।शहर के इन बाजारों में एक ही दुकान पर दोनों ही पार्टियों के झंडे लगे दिखे। ऐसे में यह भी समझ नहीं आता कि लोग किसका समर्थन कर रहे हैं। शहर में चुनावी माहौल भले ही गर्म नहीं हो, लेकिन मतदाता पूरी तरह स्पष्ट दिख रहे हैं। चाहे वे अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हों, लेकिन उन्होंने मन बना लिया है कि वे किसे वोट देंगे।
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कांग्रेस उठा रही बिजली-पानी का मुद्दा, भाजपा गिना रही उपलब्धियां
जम्मू पूर्व विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का प्रचार बिजली-पानी और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के आसपास घूम रहा है। कांग्रेस जानती है कि लोग स्मार्ट मीटर लगने के बाद बढ़े बिजली बिल और इसके बावजूद बिजली कटौती से राहत न मिलने से परेशान हैं।
शहर के लोगों को प्रापर्टी टैक्स और पानी के मीटर लगने का डर भी सता रहा है। ऐसे में कांग्रेस का प्रचार इन्हीं मुद्दों के आसपास घूम रहा है। नेकां अनुच्छेद 370 बहाली का वादा कर रही है तो कांग्रेस का इस पर मौन समर्थन है।वहीं भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवाद व विकास को ही अपना मुख्य एजेंडा बनाया है। भाजपा, कांग्रेस को नेकां के साथ गठबंधन करने पर घेर रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में जो सबसे बड़ा अंतर लोगों को बताया जा रहा है, वह यह कि भाजपा उम्मीदवार यहां के स्थानीय निवासी हैं और कांग्रेस उम्मीदवार बाहरी क्षेत्र के।
भाजपा उम्मीदवार युद्धवीर सेठी दशकों से यहां लोगों के बीच रहकर काम कर रहे हैं और कांग्रेस के उम्मीदवार योगेश साहनी एक बार इस क्षेत्र में तीन संगठनों की लड़ाई में जीत का स्वाद चख चुके हैं, लेकिन उसके बाद कभी क्षेत्र में सक्रिय नजर नहीं आए।
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