Jammu: पहली बार रेलवे की पार्किंग निजी हाथों में; टैक्सी यूनियन ने किया विरोध; एक सितंबर से शुरू होगी वसूली
रेल प्रबंधन ने स्टेशन परिसर में निजी वाहनों टैक्सी बस और सवारी आटो स्टैंड की पार्किंग को निजी हाथों पर एक वर्ष के लिए सौंप दिया है। पार्किंग का ठेका 1.18 करोड़ रुपये (1.03 करोड़ रुपये ठेका-15 लाख रुपये जीएसटी) तय हुआ है। पहली सितंबर से शुल्क वसूली शुरू हो जाएगी। रेलवे के फैसला का रेलवे टैक्सी यूनियन ने विरोध शुरू कर दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 10 Aug 2023 07:00 AM (IST)
जम्मू, दिनेश महाजन। रेल प्रबंधन ने स्टेशन परिसर में निजी वाहनों, टैक्सी, बस और सवारी आटो स्टैंड की पार्किंग को निजी हाथों पर एक वर्ष के लिए सौंप दिया है। पार्किंग का ठेका 1.18 करोड़ रुपये (1.03 करोड़ रुपये ठेका-15 लाख रुपये जीएसटी) तय हुआ है। पहली सितंबर से शुल्क वसूली शुरू हो जाएगी। रेलवे के फैसला का रेलवे टैक्सी यूनियन ने विरोध शुरू कर दिया है। यूनियन पदाधिकारियों का कहना है कि वह रेलवे स्टेशन में ठेकेदार की मनमर्जी नहीं चलने देंगे।
वर्ष 1972 में जम्मू रेलवे स्टेशन बना था, तब से रेलवे टैक्सी, बस और सावरी आटो वालों से पार्किंग स्थल का प्रयोग करने के लिए रेल प्रबंधन स्वयं मासिक शुल्क वसूलता आ रहा है। 52 वर्ष बाद रेलवे ने ठेका निजी हाथों में दिया है। हालांकि निजी वाहनों के पार्किंग स्थल को रेलवे वर्षों से निजी ठेकेदार को ठेका पर देता आ रहा है, लेकिन इस वर्ष पूरे पार्किंग परिसर को निजी हाथों में सौंपने का रेलवे ने फैसला गलत है।
पार्किंग के लिए आनलाइन मांगे गए थे टेंडर
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिरोजपुर डिवीजन के अधीन आने वाले जम्मू रेलवे स्टेशन में इस बार निजी वाहनों, टैक्सी स्टैंड, आटो स्टैंड और बस स्टैंड में पार्किंग शुल्क वसूलने के लिए आन लाइन टेंडर जारी हुआ था। सबसे अधिक टेंडर राजेंद्र सिंह मन्हास 1.18 करोड़ ने भरा था, जिससे रेलवे ने एक वर्ष के लिए ठेका दे दिया था।नहीं चलने देंगे ठेकेदार की मनमर्जी
रेलवे टैक्सी यूनियन के प्रधान देवेंद्र चौधरी का कहना है कि 50 वर्षों से वह जम्मू रेलवे स्टेशन में काम कर रहे है। उनका रेलवे के साथ एक गहरा रिश्ता बन गया है। टैक्सी वाले रेलवे को एडवांस में किराये देते हैं। अब भी 31 अगस्त तक का किराया उन्होंने रेलवे को दे दिया है। यदि रेलवे ने टैक्सी स्टैंड को निजी हाथों में देने का फैसला लिया है, जो उन्हें मंजूर नहीं है। नया ठेकेदार उनके काम में दखल देता रहेगा। ठेकेदार की मनमर्जी उन्हें मंजूर नहीं है। किसी सूरत में टैक्सी वाले ठेकेदार को सहयोग नहीं करेंगे।
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