Jammu Kashmir News: प्रशासन ने चार सरकारी कर्मचारियों को किया बर्खास्त, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में थे संलिप्त
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिप्त होने के चलते चार सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में दो पुलिसकर्मी शिक्षा विभाग का जूनियर असिस्टेंट और एक ग्राम सेवक शामिल है। बता दें कि प्रशासन बीते दो साल में सरकारी तंत्र में छिपकर आतंकी व अलगाववादी इकोसिस्टम में लिप्त रहने वाले कई कर्मचारियों को बर्खास्त कर चुका है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू- कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त चार सरकारी कर्मियों को सेवामुक्त कर दिया है। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में दो पुलिसकर्मी, एक स्कूल शिक्षा विभाग का जूनियर असिस्टेंट और ग्रामीण विकास विभाग का ग्राम सेवक शामिल है।
सरकारी तंत्र में छिपे राष्ट्रविरोधी तत्वों के सफाए के अपने अभियान को जारी रखते हुए प्रदेश प्रशासन ने मंगलवार को चार और सरकारी कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें दो पुलिसकर्मी हैं। बर्खास्त गए किए गए इन चार कर्मियों में से तीन नार्को टेरर माडयूल में शामिल हैं जबकि एक पुलिसकर्मी आतंकियों के लिए हथियार व अन्य साजो सामान का प्रबंध करता था।
बीते पांच सालों में 63 सरकारी कर्मी हो चुके बर्खास्त
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व मे प्रदेश प्रशासन ने बीते पांच वर्ष में 63 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में सलिंप्तता के आधार पर सेवामुक्त कर चुकी है। इनमें डीएसपी देवेंद्र सिंह भी शामिल है जो वर्ष 2020 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी नवीद मुश्ताक संग काजीगुंड के पास पकड़ा गया था। इसके अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के एक अधिकारी आदिल मुश्ताक भी आतंकियों की मदद के आरोप में निलंबित है।आदिल मुश्ताक ने सात फरवरी 2023 को 31.65 लाख रुपये की नकदी संग पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के तीन ओवर ग्राउंड वर्करों उमर आदिल डार, बिलाल अहमद सिद्दीकी और सालिक मेहराज के खिलाफ जांच में सबूतों के साथ छेड़खानी की। उसने इन तीनों से मिले सुरागों के आधार पर दो महिला अलगाववादी नेताओं यासमीन राजा औरजमरुदा हबीब को गिरफ्तार करने और उनके मोबाइल फोन को जांच के लिए भेजने में जानबूझ कर देरी की।
प्रशासन ने चार कर्मचारियों को किया बर्खास्त
उसने इसी मामले में एक आरोपित मुजम्मिल डार को भी बचाने के लिए न सिर्फ उसकी मदद की बल्कि उसे उन अधिकारियों के खिलाफ भी पत्र लिखकर दिए जो जांच में शामिल थे। मुजम्मिल ने खुद अपनी पूछताछ में स्वीकार किया है कि उसने इस मामले में मदद के लिए डीएसपी आदिल मुश्ताक को 2.73 लाख रुपये दिए हैं। आज बर्खास्त किए गए चार सरकारी कर्मियों में दो पुलिस कांस्टेबल हैं और एक स्कूल शिक्षा विभाग का जूनियर असिस्टेंट हैं और एक अन्य ग्राम विकास एवं पंचायत राज मामले विभाग का ग्राम सेवक है।उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन्हें आतंकियों और अलगाववादियों व उनके पारिस्थितिक तंत्र के खिलाफ अपनी शून्य सहिष्णुता की नीति के आधार पर भारतीय संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत प्राप्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकारी सेवा से बर्खास्त किया है।संबधित अधिकारियों ने बताया कि आज बर्खास्त किए गए चारों सरकारी कर्मियों को लेकर विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने नकारात्मक रिपोर्ट प्रदान करते हुए बताया कि यह सभी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। यह आतंकियों के साथ प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग कर रहे हैं और इस संदर्भ में एजेंसियों ने सभी आवश्यक साक्ष्य भी उपलब्ध कराए। खुफिया एजेंसियों और पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर इन्हें सेवामुक्त करने की सिफारिश की गई और उपराज्यपाल ने उस पर सहमति की मुहर लगा दी।
उन्होंने बताया कि सेवामुक्त किए गए दो पुलिसकर्मियों में से एक इम्तियाज अहमद लोन दक्षिण कश्मीर में गामराज त्राल,पुलवामा का रहने वाा है। वह आतंकियों को हथियार व अन्य साजो सामान उपलब्ध कराने के अलावा उनके लिए सुरक्षित ठिकानों का भी प्रबंश करता था। वह कई बार आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का भी काम करता था।
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