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जम्मू-कश्मीर में सिर्फ पहरेदार नहीं बल्कि प्रहारक भी बनेंगे 'वीडीजी' के सदस्य, आतंक के खिलाफ अभियान को मिलेगी नई धार

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सहयोग से ग्राम रक्षा समूहों (वीडीजी) के सदस्यों का बल मजबूत करने की तैयारी कर ली है। वीडीजी सदस्यों को अब थ्री नॉट थ्री राइफल के बजाय एसएलआर और असाल्ट राइफल जैसे हथियार दिए जाएंगे। उन्हें अत्याधुनिक सूचना उपकरण और नाइट विजन डिवाइस भी उपलब्ध कराए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में ग्राम रक्षा समूह जिन्हें पहले ग्राम सुरक्षा समितियां (वीडीसी) कहा जाता रहा है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 19 Jul 2024 05:45 AM (IST)
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जम्मू-कश्मीर में सिर्फ पहरेदार नहीं बल्कि प्रहारक भी बनेंगे 'वीडीजी' के सदस्य

नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सहयोग से ग्राम रक्षा समूहों (वीडीजी) के सदस्यों का बल मजबूत करने की तैयारी कर ली है। वीडीजी सदस्यों को अब थ्री नॉट थ्री राइफल के बजाय एसएलआर और असाल्ट राइफल जैसे हथियार दिए जाएंगे। उन्हें अत्याधुनिक सूचना उपकरण और नाइट विजन डिवाइस भी उपलब्ध कराए जाएंगे। क्षेत्र विशेष की परिस्थितियों के आधार पर उन्हें आतंकरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

बता दें कि डोडा में मंगलवार की रात को वीडीजी के सदस्यों ने अपनी थ्री नाट थ्री राइफलों के सहारे ही आतंकियों को जान बचाकर भागने पर मजबूर कर दिया था। जम्मू-कश्मीर में ग्राम रक्षा समूह जिन्हें पहले ग्राम सुरक्षा समितियां (वीडीसी) कहा जाता रहा है।

आतंकरोधी अभियानों में शामिल होते रहे हैं वीडीजी

आतंकियों के खिलाफ अभियान में जनभागीदारी सुनिश्चित करने और दूरदराज के पर्वतीय इलाकों में जहां सुरक्षाबलों की मौजूदगी अपेक्षाकृत कम थी, वहां स्थानीय ग्रामीणों की मदद से वीडीसी का गठन 1995 में किया गया था। वीडीसी के सदस्यों ने सेना और पुलिस के साथ मिलकर आतंकरोधी अभियानों में डोडा, ऊधमपुर, रामबन, किश्तवाड़, रियासी, कठुआ और राजौरी-पुंछ में आतंकियों को सफाए में अहम भूमिका निभाई है।

आतंकियों ने राजौरी-पुंछ में फिर से सिर उठाना शुरू किया

वर्ष 2002 के बाद वीडीसी की भूमिका को सीमित कर इन्हें पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया गया था। वर्ष 2020 में जब आतंकियों ने राजौरी-पुंछ में फिर से सिर उठाना शुरू किया तो वीडीसी को सक्रिय करने पर विचार शुरू किया। वर्ष 2022 में वीडीसी का नाम और संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करते हुए इसे वीडीजी किया गया।

वीडीसी काफी महत्वपूर्ण

गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 4,153 वीडीजी सदस्य और 32,355 एसपीओ जिला पुलिस अधीक्षकों या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की प्रत्यक्ष निगरानी में विभिन्न जिम्मेदारियों में लगे हुए हैं। वीडीसी योजना में केवल एसपीओ को भुगतान किया जाता था, लेकिन 2022 के बाद वीडीजी के सभी सदस्यों को मानदेय दिया जाता रहा है।

अब सिर्फ पहरेदार नहीं बल्कि प्रहारक भी बनेंगे

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वीडीजी के प्रशिक्षण और साजोसामान में आवश्यक सुधार किया जा रहा है। हर जगह थ्री नाट थ्री आतंकियों पर भारी नहीं पड़ सकती। इसलिए इन्हें एसएलआर व असाल्ट राइफलें दी जाएंगी। सभी वीडीजी को एक साथ यह हथियार नहीं मिलेंगे, बल्कि क्षेत्र विशेष की परिस्थितियों के आधार पर दिए जाएंगे। प्रत्येक वीडीजी को अत्याधुनिक संचार उपकरण और रात में देखने में समर्थ दूरबीन जिसे नाइट विजन डिवाइस कहते हैं, उपलब्ध कराई जाएंगी।

वीडीजी के सदस्यों को युद्धक प्रशिक्षण देंगे

सेना व सीआरपीएफ अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सक्रिय वीडीजी के सदस्यों को युद्धक प्रशिक्षण देंगे। मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें दो से तीन दिन के लिए सिर्फ हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन अब उन्हें नाका लगाने, गश्त करने और आतंकियों के ठिकाने पर हमला करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वह अब सिर्फ पहरेदार नहीं बल्कि प्रहारक भी बनेंगे।

आधुनिक हथियारों की लंबे अर्से से मांग कर रहे थे वीडीजी

बसंतराज वीडीजी वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष बसंतराज परिहार ने कहा कि थ्री नॉट थ्री का जमाना लद चुका है। हम एक लंबे अर्से से मांग कर रहे हैं। वीडीजी को असाल्ट राइफलों से लैस किया जाए। कम से कम एसएलआर राइफलें ही दी जाएं। हम लोग अपने मुल्क, गांव और लोगों की जान बचाने के लिए, देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए वीडीजी में स्वेच्छा से शामिल हुए हैं। हमें बस हथियार और कुछ सहयोग चाहिए, हम आतंकियों को पनपने नहीं देंगे।