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J&K Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बसपा के सामने बड़ी चुनौती, क्या फिर से खोई हुई साख पा सकेगी पार्टी?

बहुजन समाज पार्टी (BSP) एक समय जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में मजबूत उपस्थिति रखती थी लेकिन अब पार्टी अपनी खोई हुई साख को फिर से पाने के लिए संघर्ष कर रही है। 1996 में बसपा ने चार सीटें जीती थीं लेकिन 2002 में केवल एक सीट जीत पाई। 2014 में पार्टी ने कठुआ सीट पर कड़ा मुकाबला किया लेकिन दूसरे स्थान पर रही।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 27 Sep 2024 01:23 PM (IST)
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यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायवती। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जम्मू। एक समय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों की भी जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में आवाज गूंजती थी, जो समय के साथ गायब हो गई। उस खोई हुई साख को फिर से पाने के लिए इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में बसपा भी ताकत लगा रही है।

वर्ष 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने चार सीटों पर कब्जा किया था। सांबा से सोमनाथ, कठुआ से सागर चंद, आरएसपुरा से रामचंद भगत और भद्रवाह विधानसभा क्षेत्र से शेख अब्दुल रहमान ने जीत दर्ज की थी।

वहीं, वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में विजयपुर से बसपा प्रत्याशी मंजीत सिंह ही विजयी हुए। इसके बाद वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने कठुआ सीट पर कड़ा मुकाबला किया, लेकिन वह दूसरे स्थान पर रही।

बसपा के पुराने नेताओं से इस बारे में बात करने पर उनका कहना था कि बसपा अब पहले जैसी नहीं रही। पहले पार्टी कांशीराम जी के दिखाए मार्ग पर चलती थी, लेकिन अब वैचारिक स्तर पर इसमें गिरावट आने से पार्टी का यह हाल हो गया है। वहीं, कुछ नेताओं का मानना है कि बसपा फिर अपनी खोई साख जरूर पाएगी।

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