जम्मू कश्मीर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए नहीं होगा एंट्रेंस टेस्ट, जानिए क्या है वजह
Jammu Kashmir Engineering Colleges जम्मू कश्मीर में अंडर ग्रेजुएट में आर्ट्स में दाखिला लेना तो चुनौती है लेकिन इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला मिलना मुश्किल नहीं है। इंजीनियरिंग के इच्छुक अधिकतर विद्यार्थी जेईई-मेन्स करके बाहरी राज्यों की तरफ रुख कर रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 18 Jun 2023 06:54 PM (IST)
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के सरकारी व प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए इस बार एंट्रेंस टेस्ट नहीं होगा। बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन ने यह फैसला किया है। सीटों की संख्या अधिक व आवेदन करने वालों की संख्या कम होने को देखते हुए यह फैसला किया गया है।
बोर्ड बारहवीं कक्षा के अंकों के मेरिट पर सूची तैयार करने के बाद दाखिला प्रक्रिया को अंजाम देगा। काउंसलिंग की अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। इस बार करीब 2100 विद्यार्थियों ने इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया है जबकि सीटों की संख्या 2500 के लगभग है।
12वीं के अंकों के आधार पर तैयार होगी मेरिट लिस्ट
बोर्ड ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि परिणाम में देरी के कारण जो विद्यार्थी अपनी बारहवीं कक्षा की मार्क्स शीट अपलोड नहीं कर पाए हैं उनको बोर्ड के कार्यालय में जाकर या वेबसाइट पर मार्क्स शीट को अपलोड करना चाहिए। बोर्ड बारहवीं के अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करके इसे जारी करेगा। उसके बाद काउंसलिंग का शेड्यूल जारी किया जाएगा।एडमिशन के लिए आवेदन इतने कम क्यों?
बताते चलें कि इंजीनियरिंग के इच्छुक अधिकतर विद्यार्थी जेईई-मेन्स करके बाहरी राज्यों की तरफ रुख कर रहे हैं। इससे जम्मू कश्मीर के इंजीनियरिंग कॉलेजों को झटका लगा है। जम्मू कश्मीर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले 2100 विद्यार्थियों में से तीन सौ से अधिक तो प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना में चले जाएंगे।कहने का यह मतलब है कि चाहे मेरिट कम होगा मगर हर एक को दाखिला मिल जाएगा। हालात ऐसे बन रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में अंडर ग्रेजुएट में आर्ट्स में दाखिला लेना तो चुनौती है, लेकिन इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला मिलना मुश्किल नहीं है। कोई समय था जब बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन की तरफ से कामन एंट्रेंस टेस्ट में 12-13 हजार से अधिक विद्यार्थी बैठते थे और विद्यार्थियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता था।
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