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खेत खलिहानः ठंड और कोहरे से फसल को बचाएं किसान, सब्जी के पौधों का भी करें बचाव

अगर खेत में पहले हुई बारिश का पानी समाया हुआ है तो पानी देने की जरूरत नहीं। वहीं खेत के चारों कोने में सूखी घासफूस का ढेर बना लें और धुंए के लिए इस सूखी घासफूस को सुबह शाम जलाएं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Thu, 02 Jan 2020 01:58 PM (IST)
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खेत खलिहानः ठंड और कोहरे से फसल को बचाएं किसान, सब्जी के पौधों का भी करें बचाव
जम्मू, जागरण संवाददाता। इन दिनों जम्मू में सब्जियों का सीजन है। ठंड का प्रकोप बढऩे व कोहरा पडऩे से सब्जियों की फसल पर विपरीत असर पड़ने लगा है। यही कारण है कि फसल खेतों से निकल नहीं पा रही है। अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो ठंड व कोहरा फसलों को बर्बाद कर सकता है।

दरअसल ठंड व कोहरे के कारण पौधा जमीन में पानी पूरी तरह नहीं निकल पाता है। इससे पौधे को जरूरी तत्व प्राप्त नहीं हो पाते। धूप नहीं मिलने से पौधा अपना भोजन भी ठीक प्रकार से नहीं बना पाता। इसलिए इन दिनों पौधे के पत्ते बेरंगे से होने लगते हैं। कृषि विभाग में एग्रोनामिस्ट वेजीटेबल अरविंद्र सिंह रीन का कहना है कि ठंड व कोहरा कुदरत की देन है, लेकिन किसान कुछ उपाय कर ठंड व कोहरे की मार से फसलों को बचा सकते हैं। जहां कहीं सब्जियां व दूसरी फसलें लगी हों, ठंड में पानी देते रहें। इससे तापमान उचित बना रहता है।

अगर खेत में पहले हुई बारिश का पानी समाया हुआ है तो पानी देने की जरूरत नहीं। वहीं खेत के चारों कोने में सूखी घासफूस का ढेर बना लें और धुंए के लिए इस सूखी घासफूस को सुबह शाम जलाएं। इससे पनपी ठंड व कोहरे से निजात मिलेगी और पौधे बचे रहेंगे। अगर संभव हो तो सब्जी के पौधों को इन दिनों पराली से ढांप दिया जाना चाहिए। इससे ठंड व कोहरे से पौधे बचे रहते हैं। कुछ किसान खासकर रीवर बेड में खेती करने वाले किसान तो पालिथसीन की टनल बनाकर पौधों को ढांपते हैं। पॉलिथीन का कुछ ही हिस्सा नंगा रखते हैं ताकि हवा जा जा सके।

कैसे किसान बढ़ाएं आमदनी : अगर किसान सामान्य खेती ही कर रहा है तो उसे कुछ बदलाव लाना चाहिए। खेती के बांध पर फलदायक पौधे लगाए जा सकते हैं। क्योंकि आज कल कई हाईब्रीड वैरायटियां तैयार हैं जिनके पौधे बड़े होने पर ज्यादा फैलते नही और न ही ज्यादा ऊंचाई लेते हैं। इससे सामान्य खेती को कोई असर नही पड़ेगा। क्योंकि कम कद वाले पेड़ से धूप नही रुकती। लेकिन किसानों को आमदन बढ़ सकती है। इसलिए किसान अपने खेत में जहां बांध पर उचित जगह लगती है, फलों के पौधे लगा सकते हैं। आठ दस कनाल खेती रखने वाला किसान 30 से 40 फलों के पेड़ों को बांध वाले क्षेत्र में जगह दे ही सकता है। ऐसे में कुछ साल बीतने पर किसानों को खुशी होगी कि फलों की प्राप्ति से उसकी आमदन में बढ़ोतरी हुई है।

गेहूं की फसल को दें पहला पानी

भले ही सीमांत क्षेत्रों में अभी गेहूं की बिजाई नहीं हो पाई हो, मगर कंडी क्षेत्रों व नहरी इलाकों के कुछ भागों में गेहूं की फसल पनपने लगी हैं। यहां पर फसल तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर गई है। यही समय है जब फसल को पानी व खाद की जरूरत होती है। इस स्टेज को क्राउन रूट इनहेंशन (सीआरआइ) कहते हैं। अगर बिजाई हुए 21 से 25 दिन का समय पूरा हो गया है तो फसल को पहला पानी दे दिया जाना चाहिए। चूंकि हाल ही में बारिश भी हुई थी,इसलिए किसान देख ले कि कहीं खेतों में अतिरिक्त नमीं पहले से मौजूद नही। अगर ऐसा है तो पानी देने का क्रम त्यागा जा सकता है। साथ ही यूरिया की टॉप ड्रेसिंग देने का समय आ गया है। इरीगेटिड बेल्ट में एक कनाल भूमि में तीन किलो यूरिया दिया जा सकता है। खाद की दूसरी ड्रेसिंग तब देनी होगी जब फसल 55 से 60 दिन की हो जाए। कंडी इलाकों में यूरिया खाद की टाप ड्रेसिंग 21 से 25 दिन में देनी चाहिए । यहां एक कनाल भूमि में सवा किलो यूरिया की जरूरत रहेगी। जबकि खाद की अगली ड्रेसिंग पहली बारिश होने के तुरंत बाद देनी होगी। कृषि विशेषज्ञ अरुण जराल का कहना है कि किसान अपने खेतों का निरीक्षण करें और देखे कि कहीं कोई बीमारी तो नही पनप रही।

बादल रहेंगे आसमान पर

अगले सप्ताह भर में आसमान साफ नही रहेगा और पूरी धूप मिलने की कम उम्मीद है। आसमान पर बादल नजर आएंगे और कहीं बारिश के आसार भी दिख रहे हैं। हालांकि चार और पांच जनवरी को आंशिक बारिश के आसार है। सप्ताह भर में अधिकतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा जबकि रात का न्यूनतम तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है। किसानों को मौसम के तेवर देखकर खेतों में काम करना चाहिए। चूंकि तापमान गिरने से मशरूम उत्पादक किसानों को चिंता है। इसलिए उत्पादकों को शेड के अंदर का तापमान 18 से 22 डिग्री तक बनाए रखना चाहिए। इसके लिए बिजली का राड पानी की बाल्टी में डालकर भाव से तापमान बढ़ाया जा सकता है। लेकिन हीटर या ब्लोयर नही जलाए जाने चाहिए। 

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