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जम्मू कश्मीर की पहली महिला बस चालक समाज और सरकारी बेरुखी से सपने नहीं कर सकी पूरे

पूजा ने कहा कि अभी एक माह पहले ही मैंने दुकान खोली है और मुझे राजनीतिक पार्टियों ने राजनीति में आने का दबाव डालना शुरू कर दिया है। कई पार्टियों ने मुझसे संपर्क किया है वे मुझे टिकट तक देेने को तैयार हैं लेकिन मैंने उन्हें इन्कार कर दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Sat, 09 Apr 2022 09:06 AM (IST)
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पूजा केवल बस या ट्रक ही नहीं क्रेन, ट्राले और जेसीबी मशीन तक चला लेती है।
जम्मू, अश्विनी शर्मा : समाज के तानों और सरकारी बेरुखी ने एक महिला के आत्मनिर्भर बनने के हुनर व सपने को पूरा होने से पहले ही चकनाचूर कर दिया। जम्मू कश्मीर की पहली महिला बस चालक बनकर इंटरनेट मीडिया और मीडिया के जरिये देशभर में सुर्खियों में रही कठुआ जिले के बसोहली की पूजा देवी आज इस चकाचौंध से गायब हो चुकी है। कभी उन्हें महिलाओं के लिए मिसाल बताया गया था। आज वही पूजा अपने बच्चों का पेट पालने के लिए बसोहली के छोटे से गांव में बैंक से ऋण लेकर दुकान चलाने को मजबूर हैं। अपने हालत पर भावुक होते हुए पूजा कहती हैं, अब लगता है मैंने अपने पेशे और मुझे प्रेरणा मानने वाली महिलाओं से दगा दिया है, लेकिन अब भी ड्राइविंग ही मेरा पैशन है और दुकान मजबूरी।

बसोहली के सांदर गांव की पूजा साधारण परिवार से संबंध रखती हैं। बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था। इसलिए घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही। गरीबी के चलते वह ज्यादा पढ़ नहीं पाई। जब ड्राइविंग सीखने की सोची तो सामाजिक तौर पर मुश्किलें झेलनी पड़ीं, लेकिन मामा ने ड्राइविंग सिखाई।

वर्ष 2004 में सांधर गांव में बयाही 34 वर्षीय पूजा तीन बच्चों की मां हैं और उनके पति हैदराबाद में मजदूरी करते हैं। पिछले वर्ष पूजा ने प्रोफेशनल ड्राइवर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। घर के लोग नहीं चाहते थे कि वह बस या ट्रक चलाए, लेकिन पूजा अपने फैसले पर अडिग रही। जब पूजा बस में यात्रियों को सवार कर कठुआ से जम्मू रूट के लिए निकली तो सभी हक्के-बक्के रह गए। कुछ ही दिनों में पूजा महिलाओं की रोल माडल और मीडिया की सुर्खियों में आ गई। पूजा केवल बस या ट्रक ही नहीं क्रेन, ट्राले और जेसीबी मशीन तक चला लेती है।

38 वर्षीय पूजा कहती हैं कि बस चलाने के दौरान मुझे प्रोत्साहन तो मिला पर मौका नहीं। आर्थिक स्थिति पहले की तरह जस की तस रही। जम्मू में किराये का मकान और बच्चों का पालन पोषण और वेतन 12 से 13 हजार रुपये। आप समझ सकते हैं कि इस पैसे में आप कितनी बचत कर सकते हैं। जिन भी लोगों ने मुझे अपनी बस चलाने को दी, उसके पीछे सिर्फ मीडिया में मेरी बढ़ती लोकप्रियता थी। कुछ दिन बाद मुझे उन्हीं बस मालिकों की न सुनने को मिल जाती। वे कहते थे कि पुरुष चालक ही बेहतर हैं। इसके बाद फिर से संघर्ष किया। कहीं स्थायी काम नहीं मिला। लिहाजा परिवार के दबाव और सरकार से आर्थिक मदद नहीं मिलने पर मुझे दोबारा गांव का रुख करना पड़ा। गांव जाकर तभी मेेेरे मन में दुकान खोलने की योजना आई। मैंने घर से करीब 25 किमी दूर जंदरोटा में दो हजार रुपये किराये पर एक दुकान ली। जनरल स्टोर खोलने के लिए बैंक से पांच लाख का ऋण भी लिया।

ड्राइविंग इंस्टीट्यूट खोलने के लिए नहीं मिली जमीन : पूजा ने कहा कि मैं कठुआ प्रशासन की जरूर आभारी रहूंगी। गत वर्ष तत्कालीन उपायुक्त (डीसी) ओम प्रकाश ने मुझे एक कार्यक्रम में सम्मानित कर कठुआ में आत्मनिर्भर बनने के लिए एक ड्राइविंग इंस्टीट्यूट के लिए जमीन देने के लिए जम्मू में मंडलायुक्त के पास प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। इसका कारण बताया गया कि उसकी गांव में भी जमीन है, लेकिन पूजा ने कहा कि वह जमीन दूरदराज गांव में है।

राजनीतिक पार्टियां मुझे देना चाहती है टिकट पर मैं तैयार नहीं : पूजा ने कहा कि अभी एक माह पहले ही मैंने दुकान खोली है और मुझे राजनीतिक पार्टियों ने राजनीति में आने का दबाव डालना शुरू कर दिया है। कई पार्टियों ने मुझसे संपर्क किया है, वे मुझे टिकट तक देेने को तैयार हैं, लेकिन मैंने उन्हें इन्कार कर दिया है।

सरकार मदद करे तो पूरा करूंगी लक्ष्य : पूजा ने कहा कि मेरा सपना जम्मू में महिलाओं की बस ड्राइवर यूनियन बनाना है। लड़कियां ड्राइविंग पेशे में आएं। दूरदराज क्षेत्रों में लड़कियां आत्मनिर्भर बनने की चाह रखती हैं, लेकिन समाज साथ नहीं देता। मैं उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए भी तैयार हूं। जब महिलाएं फाइटर प्लेन उड़ा सकती हैं, तो बस या ट्रक क्यों नहीं। वह ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खोलना चाहती हैं, लेकिन सरकार से मदद की उम्मीद है।

  • पूजा देवी के ड्राइविंग के सपने को प्रशासन पूरा तो नहीं कर पाया, लेकिन बसोहली में एक दुकान खोलने के लिए प्रशासन ने महिला उद्यमिता विकास योजना के तहत ऋण जरूर दिया था। ऋण पर सब्सिडी भी है। -राहुल यादव, डीसी कठुआ
  • मुझे बड़ा दुख हो रहा है कि पूजा देवी जो दूसरों के लिए आइडिल थी, के सपनों को गंभीरता से नहीं लिया गया। जब इस महिला की हालत के बारे में सुना तो मैं दंग रह गई हूं। अलबत्ता इस मसले को परिषद की होने वाली बैठक में उठाकर उसे इंसाफ दिलाया जाएगा। - सुषमा शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार सामाजिक न्याय परिषद नई दिल्ली
  • पूजा ने जब बस चलाने का फैसला किया तो बस यूनियन ने उसका पूरा साथ दिया। उसका मनोबल भी ट्रांसपोर्टरों ने बढ़ाया। कुछ दिन बाद वह खुद ही वापस नहीं आई। अब हमें भी पता चला है कि उसने अपना काम शुरू कर दिया है। सरकार को उसकी मदद करनी चाहिए। - विजय शर्मा, महासचिव, आल जम्मू कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन 
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