Roshni Act: 'रोशनी' के नाम पर सत्ता में बैठे लोगों ने खाई मलाई, पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री रहे द्राबू और उनके रिश्तेदारों को भी मिली जमीन
जम्मू-कश्मीर में इस एक्ट के नाम पर हुए 25000 करोड़ रूपये के घाेटाले में अब रियासत के पूर्व मंत्रियों नौकरशाहों व्यापारियों और इनके रिश्तेदारों के नामों का खुलासा हुआ है। इन लोगों ने इस एक्ट के नाम पर कई कनाल सरकार भूमि अपने कब्जे में ली है।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Tue, 24 Nov 2020 07:23 AM (IST)
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी भूमि घोटाले में किस तरह बंदरबांट हुई थी इसका पर्दाफाश अब होने लगा है। हाई कोर्ट के आदेश में सोमवार को उन नेताओं की पहली सूची सार्वजनिक हुई है, जिन्होंने सरकार की संपत्ति को अपनी और परिवार की संपत्ति में बदल दिया था। जांच में पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री रहे डा. हसीब द्राबू समेत कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व मंत्रियों, नौकरशाहों, व्यापारियों और इनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। इन्होंने गरीबों के घर रोशन करने के नाम पर बनाए गए कानून की आड़ लेकर करोड़ों की सरकारी जमीन हड़प ली। बताया जाता है कि अभी तीन से चार और सूची आएंगी। जाहिर है कि कई और नाम सामने आएंगे।
हाई कोर्ट ने नौ अक्टूबर को अपने आदेश में तमाम आवंटनों को रद करते हुए सीबीआइ को घोटाले की जांच सौंपी थी। इसके बाद सीबीआइ ने घोटाले की परतें उघेडऩा शुरू कर दिया है।
पहली सूची में कई बड़े लोगों के नाम :
जांच में सार्वजनिक हुई पहली सूची में पीडीपी नेता रहे हसीब द्राबू और उनके परिजनों का नाम है। पूर्व गृहमंत्री सज्जाद किचलू, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, असलम गोनी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता व पूर्व मंत्री सईद आखून और जेके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान नाम प्रमुख हैं।किसने कितनी जमीन कराई अपने नाम :
सूची के अनुसार हसीब द्राबू के नाम एक कनाल जमीन हस्तांतरित की गई। यही नहीं उन्होंने मां शहजादा बानो, भाइयों एजाज हुसैन द्राबू और इफ्तिखार अहमद द्राबू के नाम भी एक-एक कनाल भूमि करवाई थी। कश्मीर के प्रसिद्ध व्यवसायी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके आमला के नाम पर 11 कनाल से अधिक सरकारी भूमि निकली। कश्मीर के प्रमुख होटल व्यवसायी मुश्ताक अहमद चाया ने 10 कनाल 4 मरले भूमि अपने नाम की। पूर्व आइएएस अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित ने एक कनाल दो मरले अपने नाम व एक कनाल भूमि पत्नी दिगत पंडित के नाम करवाई थी। कश्मीर के सईद मुजफ्फर आगा ने दो कनाल एक मरला भूमि एक्ट के तहत अपने नाम करवाई। पूर्व नेकां नेता सईद आखून पूर्व कांग्रेस नेता अब्दुल मजिद वानी पूर्व एडवोकेट जनरल व नेकां के पूर्व नेता असलम गोनी, पूर्व नेकां नेता अरुण चौधरी ने एक से तीन कनाल तक भूमि अपने और परिवार के नाम कर ली। नेकां के पूर्व मंत्री सज्जाद किचलू व तनवीर किचलू ने 20 कनाल सरकारी भूमि नाम करवाई। यही हाल जम्मू क्षेत्र में रहा।
क्या है रोशनी एक्ट भूमि घोटाला:गरीबों के घरों को रोशन करने के नाम पर नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने जम्मू और कश्मीर भूमि एक्ट 2001 लागू किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने वर्ष 1990 से हुए अतिक्रमण को इस एक्ट के दायरे में लाकर नियमित करने का फैसला किया। सरकार का कहना था कि इसका फायदा सीधा उन किसानों को मिलेगा जो सरकारी भूमि पर कई वर्षों से खेतीबाड़ी करते थे। इससे होने वाली आमदनी से जम्मू-कश्मीर में बिजली पैदा कर गरीबों के घर रोशन किए जाने थे। मगर एक्ट का फायदा उठाकर राजनेताओं, नौकरशाहों और व्यवसायियों ने सरकारी और वन भूमि की बंदरबांट की। वर्ष 2005 में मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार ने योजना का दायरा 2004 तक हुए कब्जों तक सीमित कर दिया। वहीं, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे वर्ष 2007 तक सीमित किया। योजना के तहत सरकारी जमीन को नियमित करने के लिए कई नए अतिक्रमण हुए।
कैसे खुली परतें : 2014 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में 25 हजार करोड़ के घोटाले का जिक्र किया और हंगामा मच गया। इस दौरान कई याचिकाएं भी लगीं। वर्ष 2016 में एडवोकेट अंकुर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 13 नवंबर 2018 को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रोशनी एक्ट के तहत हर तरह के लेनदेन पर रोक लगा दी। चंद दिन बाद, 28 नवंबर 2018 को तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में प्रदेश प्रशासनिक परिषद ने भी रोशनी एक्ट के तहत हर तरह के लेनदेन पर रोक लगा दी।
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