Jammu: निजी स्कूलों पर HC का शिकंजा, जम्मू कश्मीर में सभी संस्थानों को पढ़ानी होंगी बोर्ड की पुस्तकें
Jammu सभी निजी स्कूलों को स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तकें ही पढ़ानी होंगी। हाईकोर्ट के इस अहम फैसले से लाखों अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है जो कई निजी स्कूलों की किताबों की मनमानी से परेशान हैं। बोर्ड ने 26 अगस्त 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी। निजी स्कूलों को छठी से आठवीं कक्षा तक बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तकें पढ़ाने का निर्देश दिया।
By Prince SharmaEdited By: Prince SharmaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 05:30 AM (IST)
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में सभी निजी स्कूलों को स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तकें ही पढ़ानी होंगी। इस संदर्भ में बोर्ड की ओर से जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
हाईकोर्ट के इस अहम फैसले से लाखों अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है, जो कई निजी स्कूलों की किताबों की मनमानी से परेशान हैं। बोर्ड ने 26 अगस्त 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें पहले चरण में प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को छठी से आठवीं कक्षा तक बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तकें पढ़ाने का निर्देश दिया गया था।
जेएंडके प्राइवेट स्कूल यूनाइटेड फ्रंट ने इस अधिसूचना के खिलाफ याचिका दायर कर कहा कि बोर्ड को ऐसा आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं, हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि नियमानुसार ही सभी स्कूलों को बोर्ड की ओर से निर्धारित पाठ्यक्रम का अनुसरण करने व प्रकाशित पुस्तकों से पढ़ाई करवाने का निर्देश दिया गया है और यह नियम स्कूल शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2002 के तहत बनाए गए थे।
इसी अधिनियम के तहत ही उक्त अधिसूचना जारी की गई है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि बोर्ड के पास ऐसा आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। पेरेंट्स एसोसिशन जम्मू के प्रधान अमित कपूर ने कहा कि बोर्ड की ओर से प्रकाशित पुस्तकों को सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना अच्छा कदम है। इससे उन निजी स्कूलों की मनमानी बंद होगी, जो अभिभावकों से पुस्तकों के नाम पर मोटी लूट खसूट करते हैं।
पांच से दस रुपये में छपने वाली पुस्तकों को पांच से 700 रुपये तक बेचते हैं।
कई निजी स्कूल अपने स्वार्थ के लिए बच्चों पर अतिरिक्त पुस्तकों का बोझ लाद देते हैं। उनमें कुछ पुस्तकें ऐसी भी होती हैं जिनको पूरे वर्ष में एक बार भी पढ़ाया नहीं जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ निजी स्कूलों की प्रकाशकों के साथ भी मिली भगत होती है, जो पांच से दस रुपये में छपने वाली पुस्तकों को पांच से 700 रुपये तक बेचते हैं। इससे स्कूल माफिया की मनमर्जी बंद होगी। बच्चों का बोझ कम होगा और अभिभावकों के पैसे बचेंगे। इस आदेश को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
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