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कश्मीर में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण पर आज HC में सुनवाई, देखभाल के लिए अलग से विभाग बनाने की है मांग

दैनिक जागरण से बातचीत में समाजसेवी गौतम आनंद ने कहा कि बीते 30-40 वर्ष के दौरान आतंकियों और जिहादी तत्वों ने कश्मीर समेत जम्मू संभाग के डोडा रामबन व किश्तवाड़ में कई मंदिरों को क्षति पहुंचाई है। कई मंदिर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं और कई जीर्णशीर्ण अवस्था में है।

By naveen sharmaEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 18 Oct 2023 06:45 AM (IST)
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कश्मीर में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण पर आज उच्च न्यायालय में सुनवाई (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, जम्मू: आतंकियों, जिहादी तत्वों और अन्य असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण तथा मंदिरों की जमीन व अन्य संपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने का मामला अब जम्मू कश्मीर व लद्दाख उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। इस मामले में समाजसेवी गौतम आनंद की जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी।

गौतम आनंद ने कहा कि कश्मीर में मंदिरों के संरक्षण के लिए जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है। सिर्फ योजनाएं बनती हैं या फिर आदेश जारी होते हैं जो सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। इसलिए छह सितंबर, 2023 को जनहित याचिका दायर की है।

याचिका में उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि वह केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन को प्रदेश के सभी मंदिरों व अन्य हिंदू धर्मस्थलों के प्रबंधन, संरक्षण व देखभाल के लिए अलग से विभाग या फिर कोई एक श्राइन बोर्ड गठित करने के लिए कहे।

दैनिक जागरण से बातचीत में गौतम आनंद ने कहा कि बीते 30-40 वर्ष के दौरान आतंकियों और जिहादी तत्वों ने कश्मीर समेत जम्मू संभाग के डोडा, रामबन व किश्तवाड़ में कई मंदिरों को क्षति पहुंचाई है। कई मंदिर पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं और कई जीर्णशीर्ण अवस्था में है। कई मंदिरों में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग चुकी है। वर्तमान में कई जगह तो मंदिरों का निशान भी नजर नहीं आता। कई मंदिरों की जमीन पर कब्जा हो चुका है।

550 मंदिर क्षतिग्रस्त हुए, अधिकतर खंडहर हुए

गौतम आनंद ने कहा कि उन्होंने विभिन्न स्रोतों से ऐसे कई मंदिरों का पता लगाया है। डोडा, रामबन, किश्तवाड़ क्षेत्र में लगभग एक दर्जन मंदिर बीते 35 वर्ष में क्षतिग्रस्त हुए हैं। कश्मीर में पुलिस ने 96 मंदिरों के आतंकी हिंसा, आगजनी या फिर किसी अन्य कारण से नष्ट होने संबंधी एफआइआर दर्ज की है।

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मेरी जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में लगभग 550 मंदिर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश खंडहर की स्थिति में हैं। मैंने राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, उपराज्यपाल शिकायत निवारण कक्ष, मंडलायुक्त कश्मीर समेत विभिन्न सरकारी कार्यालयों में मंदिरों के संरक्षण के संदर्भ में आग्रह किया, पत्र लिखे, आरटीआइ के आवेदन किए।

संरक्षण से कश्मीरी हिंदुओं की वापसी लायक माहौल बनेगा

याचिकाकर्ता ने बताया कि कश्मीर में मंदिरों ही नहीं, हिंदुओं के श्मशान घाट की जमीन पर भी कब्जा हुआ है। कश्मीर में सनातन संस्कृति और परंपरा को नुकसान पहुंचाने के लिए यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है। अगर हम कश्मीर में मंदिरों का संरक्षण करते हैं, उन्हें फिर से जीवंत बनाते है तो न सिर्फ कश्मीरी हिंदुओं की वापसी लायक वातावरण बनेगा बल्कि घाटी के धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन भी मिलेगा। कश्मीर में मंदिरों का प्रयोग गुरुकुल और विश्वविद्यालय के तौर पर भी किया जा सकता है।

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