Jammu News: फर्जी एनकाउंटर मामले में हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मी को दी जमानत, 18 साल से हवालात में कट रही थी जिंदगी
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक पुलिसकर्मी को फर्जी एनकाउंटर में राहत देते हुए जमानत दे दी है। वह साल 2006 से एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या के मामले में जेल में था। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस समय आरोपित को जमानत न देना कानून का उल्लंघन होगा क्योंकि देरी के चलते वह पहले ही 18 वर्ष जेल में काट चुका है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। वर्ष 2006 से एक फर्जी मुठभेड़ मामले में जेल में बंद पुलिसकर्मी को जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख हाई कोर्ट ने 18 वर्ष बाद जमानत दी है।
आरोपित पुलिसकर्मी 56 वर्षीय बंसी लाल मौजूदा समय सेंट्रल जेल कोट भलवाल में बंद है और उसने अपनी जमानत अर्जी कोर्ट में पेश करते हुए दलील दी वह पिछले 18 वर्षों से न्यायिक हिरासत में है और इस मामले में कभी कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है। आरोपित ने बताया कि कुछ महीने पहले उसे अंतिम जमानत जरूर दी गई थी।
निर्दोष व्यक्ति की हत्या के मामले में बनाया था आरोपी
बंसी लाल को वर्ष 2006 में एक निर्दोष व्यक्ति हत्या के मामले में आरोपित बनाया गया था जिसे एक आतंकवादी बताते हुए मारा गया था। इस फर्जी मुठभेड़ मामले में 72 गवाह थे जिनमें से 28 की गवाही कि पिछले 17 वर्षों में ली जा सकी है। वहीं कोर्ट ने भी मामले में गवाहों की गवाही में देरी पर एतराज जताया।18 साल से जेल में था पुलिसकर्मी
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कहा कि इस समय आरोपित को जमानत न देना कानून का उल्लंघन होगा क्योंकि देरी के चलते वह पहले ही 18 वर्ष जेल में काट चुका है।
कोर्ट ने मामले की देरी को देखते हुए आरोपित पुलिस कर्मी को 50 हजार के निजी मचल के पर जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के स्तर पर मुकदमे में देरी हो रही है। ऐसे में इस मामले में देरी के लिए आवेदक को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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