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Jammu Kashmir News: सुरक्षाबलों पर हमलों के लिए योजनाएं बनाता है पीएएफएफ, टीआरएफ देता है टार्गेट किलिंग को अंजाम; यहां-यहां हुए आतंकी हमले

पीएएफएफ उन आठ आतंकी संगठनों में एक है जो पांच अगस्त 2019 के बाद सामने आए हैं। पीएएफएफ और गजनवी फोर्स को जैश ए मोहम्मद का छद्म संगठन और हिट स्क्वाड माना जाता है। जैश को अल-कायदा और तालिबान का पाकिस्तानी मुखौटा भी माना जाता है। पीएएफएफ ने उत्तरी कश्मीर में तीन स चार आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है।

By Jagran News Edited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 22 Dec 2023 11:58 PM (IST)
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सुरक्षाबलों पर हमलों के लिए योजनाएं बनाता है पीएएफएफ

नवीन नवाज, जम्मू। सुरनकोट में गुरुवार शाम को सैन्य वाहन पर हमले में पांच सैन्यकर्मियों के बलिदानी होने के साथ ही एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) की तरफ गया है। तीन वर्ष पूर्व 22 जुलाई 2020 को दक्षिण कश्मीर के फर्रा कुलगाम में जब एक पुलिसकर्मी की टार्गेट किलिंग की जिम्मेदारी पीएएफएफ ने ली थी तो उस समय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे सिर्फ एक घोस्ट आतंकी संगठन मानकर खारिज करने का प्रयास किया था। लेकिन कुलगाम में पुलिसकर्मी की हत्या से पूर्व पीएएफएफ ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया था जिसमें एक आतंकी को यूबीजीएल से ग्रेनेड दागते दिखाया गया था। वह वीडियो राजौरी या पुंछ में किसी जगह का था।

पीएएफएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक वीडियो जारी किया था

कुलगाम में पुलिसकर्मी की हत्या के लगभग एक माह बाद 19 अगस्त 2020 को उत्तरी कश्मीतर के करीरी में सुरक्षाबलों पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में पांच सुरक्षाकर्मी बलिदानी हुए थे । जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकी मारे गए थे। पीएएफएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक वीडियो जारी किया था। इसके बाद 2021 में श्रीनगर-बारामुला राष्ट्रीय राजमार्ग पर लावेपोरा में सीआरपीएफ के गश्तीदल पर हुए हमले में भी पीएएफएफ का नाम आया था।

पीएएफएफ ने उत्तरी कश्मीर में तीन स चार आतंकी वारदातों को अंजाम दिया

पीएएफएफ उन आठ आतंकी संगठनों में एक है, जो पांच अगस्त 2019 के बाद सामने आए हैं। पीएएफएफ और गजनवी फोर्स को जैश ए मोहम्मद का छद्म संगठन और हिट स्क्वाड माना जाता है। जैश को अल-कायदा और तालिबान का पाकिस्तानी मुखौटा भी माना जाता है। पीएएफएफ ने उत्तरी कश्मीर में तीन स चार आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। इसके अलावा इसने दक्षिण कश्मीर के हालन कुलगाम में इसी वर्ष अगस्त में एक सैन्य दल पर घात लगाकर हमला किया था,जिसमें तीन सैन्यकर्मी बलिदानी हुए थे। इसी वर्ष 20 अप्रैल और पांच मई को पुंछ व राजौरी में सुरक्षाबलों पर हमले भी इसी संगठन ने किए थे। वर्ष 2021-22 में राजौरी-पुंछ में सुरक्षाबलों पर हमले भी इसी संगठन की कारस्तानी माने जाते हैं।

पीएएफएफ की गतिविधियों का अगर आकलन किया जाए तो यह लश्कर ए तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले टीआरएफ से एक कदम आगे है और इसमें शामिल आतंकी जंगल वारफेयर और गुरिल्ला युद्ध में पूरी तरह से प्रशिक्षित नजर आते हैं। अगर टीआरएफ भीड़ भरे इलाकों में, आवासीय बस्तियों में टार्गेट किलिंग और ग्रेनेड हमलों के लिए हे तो पीएएफएफ सुरक्षाबलों पर बड़े और सनसनीखेज हमलों के लिए तैयार किया गया संगठन है।

इलाकों में पीएएफएफ ने अधिकांश हमले किए हैं

इसके अलावा जिन इलाकों में पीएएफएफ ने अधिकांश हमले किए हैं, वहां हरकत उल अंसार व हरकत-उल जिहादी इस्लामी, तहरीक उल मुजाहिदीन जैसे संगठन और इनसे संबधित विदेशी आतंकी सबसे ज्यादा सक्रिय रहे हैं। पीरंपजाल की पहाडिय़ों के साथ सटे राजौरी-पुंछ, रामबन, शोपियां-कुलगाम व डोडा-किश्तवाड़ और एलओसी के साथ सटे इलाकों में ही इन संगठन का प्रभाव ज्यादा रहा है। इसके अलावा जब जैश ए मोहम्मद बनी तो हरकत, हुजी , टीयूएम का कैडर उसमें शामिल हुआ था।

पीएएफएफ के आतंकियों के पास आधुनिक हथियार

इन्हीं संगठनों का कैडर अफगानीस्तान में तालिबान के साथ मिलकर पहले रूसी फौज और उसके बाद नाटो सेनाओं के खिलाफ लड़ चुका है । पीएएफएफ के आतंकियों के पास पास स्टेयर एयूजी जैसी घातक अत्याधुनिक एसाल्ट राइफल के अलावा एम4 कार्बाइन जैसे हथियार हैं। एम4 कार्बाइनल राइफल को जैश व उससे जड़े संगठन ही इस्तेमाल करते आए हैं। लश्कर के पास यह हथियार नहीं है। गत वीरवार को सुरनकोट में हुए हमले में भी इसका इस्तेमाल हुआ है।

जैश, टीयूएम और हुजी जैसे संगठनों के कई कश्मीरी आतंकी इस समय पाकिस्तान में बैठे हैं। इसके अलावा इन संगठनों से जुड़े पुराने गाईड और ओवरग्रज्ञउंड वर्कर भी एलओसी के दोनों तरफ सक्रिय हैं। इसलिए पीएएफएफ को अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में स्थानीय स्तर पर हर संभव मदद मिलती है तो वहीं उसके कैडर को जंगल और उसके साथ सटी आवासीय बस्तियों में ठिकाना बनाने में देर नहीं लगती। पीएएफएफ हमला करने के लिए वही जगह चुनता है,जहां से उसका कैडर आसानी से भाग सके।

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इसका आप्रेशनल कमांडर कोई कश्मीरी आतंकी ही है

इसके अलावा उसका कैडर सोशल मीडिया पर भी अपनी पहचान उजागर नहीं करता और न अपने स्थानीय नेटवर्क के साथ ज्यादा संपर्क रखता है। संबधित सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो इसके कैडर कुछ ऐसे कश्मीरी लड़कों के शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता,जो वैध पासपोर्ट पर पाकिस्तान या किसी अन्य मुल्क में गए हैं और फिर वहां से जिहादी कैंप में पहुंचे हों। इसका कश्मीर में आप्रेशनल कमांडर कोइ्र कश्मीरी है या विदेशी आतंकी है, यह भी अभी तक रहस्य है, लेकिन कुछ लोग जुलाई 2020 में पीएएफएफ के जारी वीडियो के आधार पर दावा करते हैं कि इसका आप्रेशनल कमांडर कोई कश्मीरी आतंकी ही है।

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यहां यहां हुए हमले

  • सात जुलाई 2021 को सुंदरबनी सेक्टर में मुठभेड़ में तीन विदेशी घुसपैठिए मारे गए और एक जेसीओ समेत दो जवान बलिदान हो गए। सूत्रों ने उस समय घुसपैठियों के अफगानिस्तान कनेक्शन का दावा किया था।
  • छह अगस्त 2021 को थन्नामंडी में दो आतंकी मारे गए। पीएएफएफ ने दोनों आतंकियों को अपना बताया था।
  • 19 अगस्त 2021 इस क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जेसीओ समेत दो जवान शहीद हो गए। एक आतंकी मारा गया।
  • 13 सितंबर2021 को राजौरी के मंजाकोट में मुठभेड़ में शोपियां का एक आतंकी मारा जाता है। पीएएफएफ इसे अपना आतंकी बताता है।
  • 11 अक्टूबर 2021को सुरनकोट में जेसीओ समेत पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए। अगले दिन अल-कायदा का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होता है।
  • 14 अक्टूबर 2021 को पुंछ में हमले में जेसीओ समेत दो जवान शहीद हो गए।
  • 16 दिसंबर 2022 : राजौरी में सैन्य शिविर के बाहर दो युवाओं की आतंकियों ने हत्या कर दी।
  • 20 अप्रैल, 2023 : पुंछ में सैन्य वाहन को घेरकर निशाना बनाया, जिसमें पांच जवान बलिदान।
  • 5 मई, 2023 : राजौरी के केसरी हिल क्षेत्र में आतंकी हमले में पांच जवान बलिदान।
  • 22-23 नवंबर, 2023 : राजौरी के बाजीमाल क्षेत्र में मुठभेड़ में सेना के दो कैप्टन व तीन जवान बलिदान।

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