Jammu Kashmir: टेलीमानस-चैटबॉट सेवाएं का बढ़ रहा दिन-प्रतिदिन उपयोग, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं कर रहीं इस्तेमाल
जम्मू-कश्मीर में हर साल बढ़ रहे मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की टेलीमानस और चैटबॉट सेवाएं राहत पहुंचा रही हैं। हैरानी की बात यह है कि पुरुषों के मुकाबले इन सेवाओं का महिलाएं अधिक उपयोग कर रही हैं। 2022 को शुरू हुई टेलीमानस सेवा पर अभी तक 26477 लोग फोन कर चुके हैं। इनमें साठ प्रतिशत महिलाएं ही हैं।
रोहित जंडियाल, जम्मू। कश्मीर में हर वर्ष बढ़ रहे मानसिक रोगियों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की टेलीमानस और चैट-बॉट सेवाएं राहत दे रही हैं। जो लोग सामाजिक कारणों से मनोरोग अस्पतालों में जांच करवाने के लिए नहीं आते थे। अब वे इन सेवाओं का इस्तेमाल कर मानसिक स्वास्थ्य का लाभ उठा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि पुरुषों के मुकाबले इन सेवाओं का महिलाएं अधिक उपयोग कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर में चार नवंबर, 2022 को शुरू हुई टेलीमानस सेवा पर अभी तक 26,477 लोग फोन कर चुके हैं। इनमें साठ प्रतिशत महिलाएं ही हैं। मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान श्रीनगर में टेलीमानस हेल्पलाइन 1800-891-4416 स्थापित की थी। वहीं इसी वर्ष पांच जुलाई को टेलीमानस चैट-बॉट सेवा 9797600601 भी शुरू हुई।
मानसिक स्वास्थ्य होने की स्थिति में विशेषज्ञों से करते हैं व्हाट्सएप पर चर्चा
इसमें लोग व्हाट्सएप के माध्यम से चैट कर अपने मानसिक स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों से चर्चा कर सकते हैं। हालांकि इस पर अधिक लोग नहीं आए हैं। अभी तक 212 लोगों ने ही संपर्क किया है, लेकिन अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त डोगरी और कश्मीरी में भी यह सुविधा उपलब्ध है। इन सेवाओं के शुरू होने से लोगों ने राहत की सांस ली है। टेलीमानस पर अब तक संपर्क करने वाले 2854 लोग ऐसे थे जो कि विभिन्न कारणों से चिंताग्रस्त थे।
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वहीं 2790 उदासी वाले, 2428 घबराहट, 1931 में किसी भी चीज को लेकर रुचि में कमी, 1869 तनाव, 1601 नींद में खलल और 799 आत्महत्या के विचार से ग्रस्त थे। इसके अलावा नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों की भी कॉल आई हैं।
भारत का पहला चैट-बॉट, टू वे कम्युनिकेशन की व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर में टेलीमानस और चैट-बाट सेवाओं के स्टेट कोआर्डिनेटर डा. काजी हारूण का कहना है कि जम्मू-कश्मीर ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए देश में टेलीमानस के लिए अपनी तरह के पहले चैट-बॉट की परिकल्पना की।
इस चैट-बॉट का उद्देश्य प्रदेश के युवाओं तक पहुंचना था। चूंकि आज का युवा अधिक तकनीक प्रेमी है और चैटिंग में रुचि रखता है। यह भारत का पहला चैट-बॉट है। इसमें टू वे कम्युनिकेशन का प्रविधान है। चैट-बाट का उपयोग करने वालों में चिंता संबंधी मुद्दे, अवसाद, मादक द्रव्यों का सेवन और रिश्ते के मुद्दे प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा कि इन दोनों ही सेवाओं के शुरू होने से मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोगों को बहुत लाभ पहुंचा है। यहां पर काउंसलरों से लेकर मनोरोग विशेषज्ञ तक बैठे होते हैं। मरीज की जरूरत के अनुसार ही उनकी विशेषज्ञों से बातचीत करवाई जाती है।
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