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Jammu-Kashmir में एनजीओ, मदरसों और अनाथालय प्रशासन के रडार पर, आखिर क्यों चल रही है जांच?

Jammu-Kashmir जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर में निराश्रय और बेसहारा बच्चों के कल्याण के नाम पर सक्रिय विभिन्न एनजीओ मदरसों और अनाथालयों की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी। बता दें इनमें से अधिकांश एक या दो कमरों में चलाए जा रहे हैं। इनमें रखे गए बच्चों को आतंकी हिंसा से पीड़ित बताया जाता है या फिर उन्हें दूरदराज के गांवों से संबंधित बताया जाता है

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Fri, 08 Dec 2023 05:00 AM (IST)
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आतंकी हिंसा से पीड़ित बताया जाता है या फिर उन्हें दूरदराज के गांवों से संबंधित बताया जाता है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर में निराश्रय और बेसहारा बच्चों के कल्याण के नाम पर सक्रिय विभिन्न एनजीओ, मदरसों और अनाथालयों की गतिविधियों की जांच शुरू कर दी। इनमें से कइयों की गतिविधियां संदिग्ध पाए जाने पर इनके वित्तीय स्रोतों का भी पता लगाया जा रहा है और इनके प्रबंधकों व संचालकों की पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है।

सभी गैर पंजीकृत अनाथालय और बाल कल्याण केंद्र बंद किए जाएंगे। सभी को संबंधित शिशु कल्याण समिति के पास अपना पंजीकरण करना होगा। कश्मीर में पिछले तीन दशकों के दौरान कुकुरमुत्तों की भांति अनाथालय, बाल आश्रम और मदरसे अस्तित्व में आए हैं। हर दूसरे मोहल्ले में इनका बोर्ड टंगा नजर आता है। इनमें से अधिकांश एक या दो कमरों में चलाए जा रहे हैं। इनमें रखे गए बच्चों को आतंकी हिंसा से पीड़ित बताया जाता है या फिर उन्हें दूरदराज के गांवों से संबंधित बताया जाता है।

मदरसा और हास्टल चलाने का दावा करते हैं।

इन्हें मजहबी तालीम देने के साथ आवासीय सुविधा प्रदान करने का दावा करते हुए संबंधित संचालक और प्रबंधक विभिन्न लोगों से चंदा जमा करते हैं। कइयों ने एनजीओ बनाई है और बेसहारा बच्चों के लिए मदरसा और हास्टल चलाने का दावा करते हैं। जम्मू कश्मीर गृह विभाग और समाज कल्याण विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, कई एनजीओ की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं हैं और उनके खिलाफ जांच जारी है। इनमें से कुछ ने विदेशों से भी चंदा जमा किया है। कई गैर पंजीकृत हैं।इनमें से कइयों ने इंटरनेट मीडिया पर भी कथित तौर पर कश्मीर में आतंकी हिंसा से प्रभावित बच्चों के कल्याण के लिए अपील कर चंदा जमा किया है। इसलिए इन सभी की जांच की जा रही है

सिर्फ 121 केंद्र ही पंजीकृत

संबंधित अधिकारियों ने बताया कि पूरे जम्मू कश्मीर में सिर्फ 121 शिशु देखभाल केंद्र या बाल आश्रम प्रजीकृत हैं। इनमें से 64 पंजीकृत केंद्र विभिन्न एनजीओ द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, जबकि सरकार के पास 45 का जिम्मा है। 12 अन्य के पंजीकरण की प्रक्रिया जारी है। इनके अलावा सरकार के पास दो आब्जर्वेशन होम, चार ओपन शेल्टर होम और 12 क्रेडल बेबी रिसेप्शन सेंटर भी हैं। वहीं, श्रीनगर में 15 बाल आश्रम पंजीकृत हैं और इनमें से पांच सरकार द्वारा और 10 एनजीओ द्वारा संचालित हैं। अन्य सभी गली-मोहल्लों में गैर पंजीकृत ढंग से ही चल रहे हैं। इन सभी की जांच की जा रही है।

गैर पंजीकृत केंद्रों के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई

शिशु कल्याण समिति श्रीनगर की अध्यक्ष खैरूनिसा ने कहा कि हमने पहले ही गैर पंजीकृत संस्थानों की जांच शुरू कर रखी है। सभी पुलिस थानों व चौकियों को अपने-अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सक्रिय ऐसे सभी बाल केंद्रों, अनाथालयों और मदरसों का रिकार्ड उपलबध कराने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि जो भी बाल केंद्र, बाल आश्रम और शिशु कल्याण केंद्र बिना पंजीकरण होगा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। दोषियों को एक साल की कारावास और एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

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