Farooq Abdullah के घर विपक्ष ने बनाई केंद्र सरकार के खिलाफ रणनीति, 10 अक्टूबर को जम्मू में प्रदर्शन
यह बैठक लगभग तीन घंटे चली। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में फारूक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सभी संवैधानिक अधिकार निलंबित हैं यहां संविधान भी निलंबित रखा गया है। लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। सभी मुद्दों पर चर्चा के बाद ही हम सभी ने सरकार की नीतियों के खिलाफ 10 अक्टूबर को जम्मू में रोष रैली का फैसला किया है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू: नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूक अब्दुल्ला के निवास पर मंगलवार को जम्मू में प्रदेश के सभी विपक्षी दलों की बैठक का सार निकला है कि वह सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे। प्रदर्शन जम्मू में होगा और इसमें सरकार की नीतियों का विरोध व प्रदेश में चुनाव की मांग उठाई जाएगी। फारूक ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब यहां आम लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर होंगे।
प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य, नगर निकाय और पंचायत चुनाव टाले जाने की अटकलें और जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किए जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए फारूक ने सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक अपने निवास पर बुलाई थी।
इसमें पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) और आइएनडीआइए के घटकों के अलावा डोगरा सदर सभा, डोगरा स्वाभिमान पार्टी, शिवसेना उद्धव ठाकरे, मिशन स्टेटहुड जम्मू समेत शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, डोगरा सदर सभा के चेयरमैन गुलचैन सिंह चाढ़क, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी एवं कार्यकारी अध्यक्ष रमण भल्ला, अवामी नेशनल कान्फ्रेंस के मुजफ्फर शाह व माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी भी शामिल हुए।
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बैठक लगभग तीन घंटे चली। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में फारूक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सभी संवैधानिक अधिकार निलंबित हैं, यहां संविधान भी निलंबित रखा गया है। लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
सभी मुद्दों पर चर्चा के बाद ही हम सभी ने सरकार की नीतियों के खिलाफ 10 अक्टूबर को जम्मू में रोष रैली का फैसला किया है। गुलाम नबी आजाद और सैयद अल्ताफ बुखारी की पार्टी को बैठक में न बुलाए जाने पर फारूक ने कहा कि यह दोनों पार्टियां सरकारी हैं। हमने यहां विपक्षी दलों को बुलाया था।
पूछा-चुनाव से क्यों डर रही सरकार
फारूक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर में हालात के सामान्य होने का बार-बार दावा करते हैं। जब यहां जी-20 सम्मेलन कराना है तो हालात ठीक हैं, लेकिन चुनाव के लिए ये लोग हालात ठीक नहीं बताते।
विधानसभा चुनाव तो दूर, नगर निकायों और पंचायत चुनाव भी टालने की बात हो रही है। प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार यहां चुनावों से क्यों डर रही है? हमने चुनाव आयोग से भी इस विषय में मुलाकात की थी, चुनाव आयोग ने भी कहा है कि यहां राजनीतिक शून्यता है।
बोले-वे लोग जल्द देखेंगे सड़क पर सरकार का विरोध
अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली पर फारूक ने कहा कि हमें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा। जो लोग कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ लोगों ने कोई विरोध नहीं किया, वह जल्द ही यहां लोगों को सड़क पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते देखेंगे। गुलाम जम्मू कश्मीर के खुद व खुद भारत में शामिल हो जाने और वहां के हालात के सवाल पर कहा कि पहले हमें जम्मू कश्मीर में स्थिति को देखना चाहिए।
माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी कहते हैं कि,
केंद्र सरकार कहती है कि उसने जम्मू कश्मीर का पूरे भारत के साथ एकीकरण कर दिया है। अगर ऐसा है तो फिर यहां के लोगों को निर्वाचित सरकार के अधिकार से क्यों वंचित किया गया है? यहां लोगों की पहचान, हमारी संस्कृति, हमारे संवैधानिक अधिकारों को मिटाया जा रहा है।