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Jammu Kashmir Politics: मजबूरी या पार्टी में विरोध, अपना गढ़ छोड़ बारामूला सीट से चुनाव क्यों लड़ रहे उमर अब्दुल्ला?

Jammu Kashmir Politics कश्मीर की तीन सीटों पर बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उम्मीदवारों की घोषणा की। पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला इस बार श्रीनगर से नहीं बल्कि बारामूला से चुनाव लड़ेंगे। अब्दुल्ला के फैसले से सभी हैरान हैं क्योंकि यह सीट उनकी खानदानी है। ऐसे में सीट बदलना सभी को हैरत में डाल रहा है। उमर का बारामूला से चुनाव लड़ने का निर्णय विशुद्ध राजनीतिक कारणों से लिया गया।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 13 Apr 2024 03:29 PM (IST)
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Jammu Kashmir Politics: अपना गढ़ छोड़ बारामूला सीट से चुनाव क्यों लड़ रहे उमर अब्दुल्ला?
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर l Jammu Kashmir Politics: अपने गढ़ एवं खानदानी श्रीनगर लोकसभा सीट छोड़ने के नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के फैसले से सभी हैरान हैं, लेकिन नेकां सूत्रों के मुताबिक उमर का बारामूला सीट (Baramulla Lok Sabha Seat) से लड़ने का निर्णय विशुद्ध राजनीतिक कारणों से लिया है। उत्तरी कश्मीर में टिकट के बंटवारे को लेकर दो गुट उभरने लगे थे, जिसे रोकना जरूरी हो गया था।

दो पूर्व मंत्री चौधरी मोहम्मद रमजान और मीर सैफुल्ला के समर्थक टिकट के लिए दबाव बढ़ाने लगे थे। इन दोनों में से किसी एक को टिकट देने पर कुपवाड़ा में नेकां कार्यकर्ताओं का एक वर्ग की नाराजगी का डर था।

परिसीमन से बदला सीटों का भौगोलिक परिदृश्य

इसके अलावा, परिसीमन से दोनों सीटों के भौगोलिक व सामाजिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव ने भी उमर को उत्तरी कश्मीर का रुख करने को मजबूर किया। इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग का एक बड़ा वोट बैंक हैं, जिसमें गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ी समुदाय के अलावा दार्द शीना समुदाय भी है।

बांडीपोरा और बारामूला के गुज्जर-बक्करवाल व पहाड़ी समुदाय में नेकां की पकड़ अपने प्रतिद्वंदियों से अधिक है। इस क्षेत्र में बसे गुज्जर-बक्करवाल व पहाड़ी समुदाय के अधिकांश लोग मियां अल्ताफ को धर्मगुरु मानते हैं।

पार्टी मुख्यालय में उम्मीदवारों की घोषणा के बाद पत्रकारों से बातचीत में उमर ने भाजपा को चुनौती दी कि वह कश्मीर में चुनाव लड़कर दिखाए। अगर भाजपा के उम्मीदवारों की जमानत जब्त न हुई तो राजनीति छोड़ दूंगा।

भाजपा को कश्मीर की सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए: उमर अब्दुल्ला

उन्होंने कहा कि भाजपा आए दिन कश्मीर में विकास और सामान्य स्थिति का ढोल पीटती है, अगर यह सही है तो भाजपा को कश्मीर की संसदीय सीटों पर चुनाव जरूर लड़ना चाहिए।

भाजपा द्वारा नेकां, पीडीपी और कांग्रेस पर जम्मू कश्मीर के विकास व हालात में बेहतरी के लिए कुछ भी नहीं करने के आरोपों पर उमर ने कहा कि मैं ऐसे बेतुके आरोपों पर प्रतिक्रिया देने में यकीन नहीं रखता।

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प्रधानमंत्री ने जो कहा है अगर वह सब सही है तो भाजपा को यहां उम्मीदवार खड़े करने चाहिए। भाजपा नेता तरुण चुग की अपनी पार्टी के चेयरमैन अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन के बीच बैठक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने बहुत अच्छा काम किया है।

अगर लोग उसके साथ हैं तो हमें हराने के लिए तरुण चुग को बुखारी और लोन को एक जगह जमा करने की जरूरत क्यों पड़ रही है। भाजपा यहां कभी ए, कभी बी तो कभी सी टीम तैयार करने में लगी रहती है।

राज्य का दर्जा कोई अहसान नहीं: उमर अब्दुल्ला

राज्य दर्जे को लेकर केंद्र कोई अहसान नहीं कर रहा जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा प्रदान करने और विधानसभा चुनाव कराने संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एलान पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार हम पर कोई अहसान नहीं कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद यहां चुनाव कराना केंद्र सरकार की मजबूर है।

जहां तक राज्य का दर्जा बहाल किए जाने की बात है तो मुझे यह बात आज तक समझ में नहीं आयी कि आखिर उन्होंने इसे समाप्त ही क्यों किया। अनुच्छेद 370 उनके चुनाव घोषणापत्र का हिस्सा था, लेकिन किसी राज्य का दर्जा घटाकर से केंद्र शासित प्रदेश बनाना कहां का इंसाफ है।

रुहुल्ला के खानदान का प्रभाव पहुंचाएगा उमर को फायदा

बारामूला-बांडीपोरा क्षेत्र में शिया समुदाय का अच्छा खासा वोट है। पीपुल्स कान्फ्रेंस के प्रत्याशी सज्जाद लोन का इस क्षेत्र में काफी प्रभाव बताया जाता है, खासतौर पर 2009 के बाद से।

उनके साथ जो शिया नेता इमरान रजा अंसारी है, उनका प्रभाव बारामूला के आसपास बसे शिया समुदाय में ज्यादा है, जबकि आगा रुहुल्ला के खानदान का प्रभाव इस पूरे क्षेत्र में बसे शियाओं में सबसे ज्यादा है, जो उमर को फायदा पहुंचाएंगे।

आगा को उमर ने श्रीनगर से उम्मीदवार बनाकर संकेत दिया है कि वह एक शिया नेता को सांसद बनाने जा रहे हैं। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में भी शिया मतदाताओं की संख्या बारामूला-कुपवाड़ा में बसे शिया समुदाय से ज्यादा है।

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