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    जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा ढांचे में बड़ा फेरबदल: CRPF संभालेगी आंतरिक सुरक्षा, राष्ट्रीय राइफल्स होगी LoC पर तैनात

    जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ढांचे को लेकर केंद्र सरकार बड़े बदलाव करने पर विचार कर रही है। राष्ट्रीय राइफल्स को नियंत्रण रेखा पर फिर से तैनात किया जाएगा और सीआरपीएफ को आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी। रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच चर्चा जारी है। उधमपुर और कठुआ जिलों में पहले ही सीआरपीएफ की तीन बटालियन तैनात की गई हैं। घुसपैठ रोकना और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है।

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma Updated: Mon, 25 Aug 2025 04:42 PM (IST)
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    सरकार इसे घाटी की स्थिति में सुधार के रूप में देखती है।

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा ढांचे में बड़े फेरबदल पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) को धीरे-धीरे अंदरूनी इलाकों से हटाकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर फिर से तैनात करने की योजना है। जबकि आने वाले दिनों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को आंतरिक सुरक्षा में बड़ी भूमिका सौंपी जाएगी।

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    वरिष्ठ सरकारी सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच इसको लेकर चर्चा जारी है। अभी तक हालांकि कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह खुलावा एक अधिकारी ने समाचार चैनल में बातचीत के दौरान किया। उन्होंने बताया कि दोनों मंत्रालय विचार-विमर्श कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है।

    सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि एक बार औपचारिक निर्णय हो जाने के बाद बल जम्मू-कश्मीर के अन्य इलाकों में भी आतंकवाद विरोधी कर्तव्यों को संभालेगा। यह कदम हाल ही में जम्मू के उधमपुर और कठुआ जिलों में आरआर इकाइयों की जगह सीआरपीएफ की तीन बटालियनों को तैनात किए जाने के बाद उठाया गया है।

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    प्रत्येक बटालियन में लगभग 800 कर्मी होते हैं और जम्मू से कमान हस्तांतरण पूरा होने के बाद कश्मीर में भी इसी तरह के बदलाव की उम्मीद है। अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद बढ़ती घुसपैठ की चिंताओं के बीच नियंत्रण रेखा पर सैनिकों की इस पुनर्तैनाती का उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है।

    जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि हमलावर हमले से महीनों पहले पाकिस्तान से सीमा पार कर आए थे। अधिकारियों ने बताया कि इस योजना पर लगभग दो साल से विचार किया जा रहा है और यह उस व्यापक सुरक्षा खाके का हिस्सा है जिसे सरकार अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद घाटी की स्थिति में "उल्लेखनीय सुधार" के रूप में देखती है।

    वहीं सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस विचार का व्यापक रूप से स्वागत किया है। बीएसएफ के पूर्व डीआईजी एसएस कोठियाल ने कहा कि सीआरपीएफ को आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जबकि सेना का सबसे अच्छा उपयोग सीमाओं की रक्षा के लिए किया जाता है।

    आंतरिक सुरक्षा विशेषज्ञ प्रकाश सिंह ने सुझाव दिया कि 1990 के दशक के दौरान कश्मीर में आतंकवाद विरोधी कार्यों के लिए जिम्मेदार बीएसएफ पर भी विचार किया जाना चाहिए।

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    1990 के दशक में एक विशेष आतंकवाद-रोधी बल के रूप में गठित राष्ट्रीय राइफल्स ने कश्मीर में चरम आतंकवाद के दौरान अग्रिम पंक्ति में भूमिका निभाई थी। लेकिन गृह मंत्रालय के आँकड़े हाल के वर्षों में हिंसा में भारी गिरावट दर्शाते हैं: आतंकवाद से संबंधित घटनाएँ 2019 में 286 से घटकर 2024 में 40 हो गईं जबकि इसी अवधि में सुरक्षा बलों की मृत्यु दर 77 से घटकर केवल सात रह गई।