World Tourism Day 2023: पर्यटकों को आकर्षित करने को तैयार हैं 35 ऐतिहासिक स्मारक, विरासत से होंगे रूबरू
स्मारकों के संरक्षण से उन स्थलों के अतीत से जोड़ने में अभूतपूर्व आनंद की अनुभूति होगी। पर्यटक संबंधित स्थलों के अतीत में खो जाएंगे। जम्मू कश्मीर के इन ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण रिवाइवल रेस्टोरेशन प्रिजरवेशन एंड मेंटेंनस ऑफ आर्किटेक्चर एंड हेरिटेज इन जम्मू कश्मीर योजना के तहत किया जा रहा है। इसके तहत केंद्र सरकार ने सौ करोड़ जम्मू केे लिए जबकि सौ करोड़ कश्मीर के लिए जारी किया है।
अशोक शर्मा, जम्मू: प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत जम्मू कश्मीर सदियों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। अब जम्मू कश्मीर के 35 ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण कार्य जारी है। इनमें जम्मू के 18 और कश्मीर के 17 स्मारक शामिल हैं।
इससे पर्यटक विभिन्न पर्यटन स्थलों के इतिहास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इन ऐतिहासिक स्मारकों से अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे।
इन स्मारकों के संरक्षण से उन स्थलों के अतीत से जोड़ने में अभूतपूर्व आनंद की अनुभूति होगी। पर्यटक संबंधित स्थलों के अतीत में खो जाएंगे। जम्मू कश्मीर के इन ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण रिवाइवल, रेस्टोरेशन, प्रिजरवेशन एंड मेंटेंनस ऑफ आर्किटेक्चर एंड हेरिटेज इन जम्मू कश्मीर योजना के तहत किया जा रहा है। इसके तहत केंद्र सरकार ने सौ करोड़ जम्मू केे लिए जबकि सौ करोड़ कश्मीर के लिए जारी किया हुआ है।
सुमह मंदिर, अखनूर, गुरुद्धारा सुंदर सिंह, जम्मू, जिला कठुआ में थेन किला कठुआ, जसरोटा किले के नजदीक जगन्नाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, जसरोटा किले के नजदीक, जसमेरगढ़ किला, जांडी हीरानगर, घोडा गली गूल, रामबन, सलाल किला बटल गाला रियासी, बरूदखाना सलाल किला रियासी, भीमगढ़ फोर्ट रियासी, स्नान घाट ढेरा बाबा जी रियासी,बामुचक्क मंदिर, सांबा, महोरगढ़ किला सांबा, क्रिमची किला ऊधमपुर, जगानु किला, ऊधमपुर, चिडयाई मुत्तल ऊधमपुर, लडन कोटली किला ऊधमपुर...
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इन सभी स्मारकों के सरंक्षण एवं जीर्णोद्धार का अधिकतर कार्य पूरा हो चुका है। अब दूसरे चरण के कार्य शुरू होने का इंतजार है।
पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी
डुग्गर मंच के प्रधान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मोहन सिंह सलाथिया ने कहा कि ऐतिहासिक स्मारकों के सरंक्षण से जम्मू कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। आज दुनिया भर में बहुत से पर्यटक ऐसे हैं, जो विरासत को जानने के उद्देश्य से ही यात्रा करते हैं।
जम्मू कश्मीर के ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण से दुनिया को डोगरा विरासत के बारे में काफी कुछ समझने का मौका मिलेगा। हमारी युवा पीढ़ी के लिए यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें हमारी ऐतिहासिक विरासत को फिर से देखने का मौका मिल सकेगा।
सहायक निदेशक अभिलेखागार, पुरातत्व एवं संग्रहालय डा. संगीता शर्मा ने बताया कि जीर्णोद्धार कार्य की पूरी कवायद में धन की कोई समस्या नहीं है। जीर्णोद्धार कार्य तेजी से जारी है। इन स्मारकों की मूल वास्तुकला को बनाए रखा जाएगा। इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इस योजना के तहत हमारा गौरवशाली अतीत जीवंत हो उठेगा। प्रथम चरण में 35 साइटें, 18 जम्मू में और 17 कश्मीर में कवर किए जा रहे हैं।
इन स्मारकों के संरक्षण से इन ऐतिहासिक स्थलों की वास्तुकला और डिजाइन का संरक्षण हो सकेगा।इससे हम अपनी युवा पीढ़ी को दर्शा सकेंगे कि जब हमारे पास वास्तुकला के लिए कोई इंजीनियरिंग नहीं थी। कंप्यूटर नहीं थे।
आधुनिक निर्माण तकनीक जैसी कोई सुविधा नहीं थी, उस समय भी हम निमार्ण, वास्तुकला में कितने समृद्ध थे। इन स्मारकों के संरक्षण से हमें अपनी बहुआयामी संस्कृति और कला, डिजाइनिंग और वास्तुकला आदि गौरवशाली अतीत पर गर्व होगा। इससे पर्यटकों का आकर्षण भी बढेगा।