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जम्मू-कश्मीर में भाजपा को मिले सबसे अधिक वोट, फिर भी सिकंदर क्यों बनी नेशनल कॉन्फ्रेंस; पढ़ें वजह

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 (Jammu Kashmir Assembly Election 2024) में भारतीय जनता पार्टी ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। पार्टी पहली बार 29 सीट जीतने में सफल रही है। हालांकि सीटों के मामले में भाजपा भले ही नेशनल कॉन्फ्रेंस से पिछड़ गई हो लेकिन मत-प्रतिशत में भाजपा अव्वल रही और जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 08 Oct 2024 11:25 PM (IST)
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जम्मू-कश्मीर में भाजपा को वोट शेयर नेशनल कॉन्फ्रेंस से भी अधिक है।

जागरण संवाददाता, जम्मू। अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

पार्टी पहली बार 29 सीट जीतने में सफल रही। 2014 चुनाव में भाजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था और 25 सीटों पर जीत दर्ज की थीं। मगर इस बार पार्टी के वोट प्रतिशत के साथ सीटों में भी इजाफा हुआ है।

हालांकि, सीटों के मामले में भाजपा भले ही नेकां से पिछड़ गई हो पर मत-प्रतिशत में भाजपा अव्वल रही और जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 25.64 प्रतिशत वोट मिले, जबकि नेकां 23.43 प्रतिशत लेकर 42 सीटें जीतने में सफल रही। कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर 12 प्रतिशत से भी नीचे जा पहुंचा।

2008 के बाद लगातार बढ़ा भाजपा का वोट बैंक

2008 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सीटों की संख्या और वोट प्रतिशत में लगातार इजाफा देखा गया है। 2008 में भाजपा 12.45 प्रतिशत वोट लेकर 11 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी, लेकिन उसके बाद उसका वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता गया। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का मत-प्रतिशत बढ़कर 22.98 प्रतिशत हो गया और सीटों की संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़ गई।

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2014 में भाजपा 25 सीटें जीतकर प्रदेश में बड़ी ताकत के तौर पर उभरी थी। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का मत प्रतिशत 24.6 प्रतिशत रहा था। इस विधानसभा चुनाव में यह लगभग एक प्रतिशत और बढ़ गया।

पीर पंजाल के पहाड़ नहीं चढ़ पाई भाजपा

गुज्जर और पहाडि़यों को साथ लेकर पीर पंजाल की पहाडि़यों को फतह करने निकली भाजपा को बड़ा झटका लगा। राजौरी और पुंछ जिलों की आठ सीट में से भाजपा के खाते में एक सीट ही आई। जबकि केंद्र सरकार ने पहाड़ी समुदाय की तीन दशक पुरानी अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग को पूरा किया था।

चुनाव के दौरान भाजपा ने अन्य पार्टियों को छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कई बड़े नेताओं को उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे भी हार गए। और तो और नौशहरा से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना और प्रदेश महासचिव विबोध गुप्ता को भी हार का सामना करना पड़ा। किसी सीट पर भाजपा को पहाड़ी समुदाय के वोट नहीं मिले।

बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 10 लाख पहाड़ी समुदाय की आबादी है। इस समुदाय की राजौरी, हंदवाड़ा, अनंतनाग, पीर-पंजाल, पुंछ व बारामुला जैसे इलाकों में खासी संख्या है। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने पूरा ध्यान पहाडि़यों व गुज्जरों पर रखा हुआ था।

हर जनसभा में भाजपा नेता व स्टार प्रचारक केंद्रीय मंत्री यही कहते रहे कि हमने गुज्जरों व बक्करवालों का हक काटे बिना पहाडि़यों को उनका हक दिया है। भाजपा को उम्मीद थी कि पीर पंजाल क्षेत्र की आठ में से छह सीटों पर भाजपा कब्जा कर लेगी। कुछ नेता तो आठ की आठ सीटों पर कब्जा करने का दावा ठोक रहे थे।

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