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Jammu News: शस्त्र लाइसेंस पर रोक हटी, मजिस्ट्रेट सिर्फ अपने जिले में ही कर सकेंगे जारी

जम्मू कश्मीर में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर लगी रोक को प्रदेश सरकार ने हटा दिया है। इसके साथ ही नए शस्त्र लाइसेंस देने के लिए गाइडलाइन भी जारी गई है। अब जिला मजिस्ट्रेट सिर्फ अपने जिले के निवासियों को ही शस्त्र लाइसेंस जारी कर सकेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 20 Jan 2023 10:14 AM (IST)
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जम्मू कश्मीर में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर लगी रोक हटी
राज्य ब्यूरो, जम्मू: जम्मू कश्मीर में शस्त्र लाइसेंस जारी करने पर लगी रोक को प्रदेश सरकार ने हटा दिया है। इसके साथ ही नए शस्त्र लाइसेंस देने के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। अब जिला मजिस्ट्रेट सिर्फ अपने जिले के निवासियों को ही शस्त्र लाइसेंस जारी कर सकेंगे।

बता दें कि जम्मू कश्मीर से देश भर में फर्जी शस्त्र लाइसेंस देने का मामला सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने चार साल पहले लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी थी। उस रोक हो हटाते हुए सरकार ने लाइसेंस के लिए पहले के नियमों के साथ अतिरिक्त शर्तें जोड़ दी हैं। लाइसेंस लेने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है।

आवेदनकर्ता के चरित्र की जानकारी भी जरूरी

जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने वीरवार को आदेश जारी कर कहा कि सभी जिला मजिस्ट्रेट आर्म्स एक्ट 1950 और आर्म्स नियमों के तहत अब शस्त्र लाइसेंस जारी कर सकते हैं। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को आवेदनकर्ता का आधार कार्ड पहचान पत्र के तौर पर लेना अनिवार्य होगा।

जिला मजिस्ट्रेट केवल उन्हीं आवेदनों पर विचार करेंगे जो कि उनके कार्यक्षेत्र जिलों के रहने वाले होंगे। एक जिले का मजिस्ट्रेट दूसरे जिले के किसी भी व्यक्ति का न तो शस्त्र लाइसेंस बना सकेगा और न ही नवीनीकरण कर सकेगा। आवेदनकर्ता के संबंधित जिले में रहने का सत्यापन पुलिस से करवाया जाएगा।

जिला मजिस्ट्रेट आवेदनकर्ता का चरित्र व अन्य जानकारियां जम्मू कश्मीर पुलिस के सीआइडी विंग से लेंगे। इसका मकसद उनका सामाजिक और सार्वजनिक जिंदगी के बारे में पता करने के अतिरिक्त आंतरिक सुरक्षा के खतरे को देखना भी है।

सत्यापन के लिए बनेगी टीम

सीआइडी के महानिदेशक हर आवेदनकर्ता के सत्यापन के लिए एक टीम बनाएंगे। यह टीम आवेदक के वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को लेकर रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट को देगी। लाइसेंस बनाने व इसके नवीनीकरण, निश्चित जगह से बाहर की समयसीमा बढ़ाने, कारतूस लेने, लाइसेंस लेने वाले का पता बदलने का पंजीकरण करना समेत सभी सेवाएं एनडीएएल और एएलआइएस पोर्टल के माध्यम से पूरी होंगी। इसी पोर्टल से आवेदन जिला मजिस्ट्रेट स्वीकार करेंगे।

लाइसेंस पाने वालों की निगरानी भी होगी

आदेश में यह भी कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट को पुलिस अधीक्षकों के साथ लाइसेंस लेने वालों की निगरानी करनी होगी। उन्हें यह भी सुनिश्चित कराना होगा कि जिस जिले के लिए लाइसेंस जारी किया गया है शस्त्र का इस्तेमाल उसी जिले में हो। जिला मजिस्ट्रेट लाइसेंस जारी करने का अधिकार अपने किसी भी अधीनस्थ अधिकारी को नहीं सौंप सकते हैं।

यह है फर्जी गन लाइसेंस का मामला

करीब 13 वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार ने जानकारी दी थी कि 50 हजार से अधिक गन लाइसेंस राज्य में जारी हुए हैं। इसके बाद पता चला कि इन लाइसेंस में 95 प्रतिशत अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के हैं। इनमें से अधिकांश सेना व अद्धसैनिक से संबंधित हैं। इसके बाद मामले की जांच अपराध शाखा ने शुरू की।

मामले ने तूल तब पकड़ा जब वर्ष 2017 में राजस्थान एटीएस ने तीन शस्त्र विक्रेताओं को फर्जी गन लाइसेंस मामले में पकड़ा। पूछताछ के दौरान तार कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तत्कालीन उपायुक्त राजीव रंजन से जुड़े। 19 अक्टूबर, 2018 को मामला सीबीआइ के हवाले कर दिया गया। सीबीआइ ने अपनी जांच में जम्मू कश्मीर में सेवारत और सेवानिवृत्त करीब एक दर्जन वरिष्ठ नौकरशाहों की संलिप्तता का दावा किया।

जांच में सामने आया कि सुरक्षाबलों के अधिकारियों व जवानों के लाइसेंस बनाने के लिए दलाल 15 से 20 हजार रुपये लेते थे, जबकि अन्य राज्यों के लोगों से दो से तीन लाख रुपये लिए जाते थे। इसके बाद पूछताछ के लिए आइएएस अधिकारी व अन्य को हिरासत में लिया गया। इस मामले की जांच जारी है, लेकिन लाइसेंस जारी करने पर रोक हटा ली गई है।

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