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Jammu News: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल JKDFP पर लगा पांच साल का प्रतिबंध

जम्मू कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों के पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट करने के अभियान को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने वीरवार को प्रमुख अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी को भी प्रतिबंधित कर दिया है। इससे पहले जमाते इस्लामी जम्मू कश्मीर और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को प्रतिबंधित किया जा चुका है। अनंतनाग में काडीपोरा के रहने वाले शब्बीर अहमद शाह कश्मीर के सबसे पुराने अलगाववादियों में एक हैं।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Fri, 06 Oct 2023 02:00 AM (IST)
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राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल जेकेडीएफपी पर पांच साल का प्रतिबंध (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो,श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सक्रिय अलगाववादियों के पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट करने के अभियान को आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने वीरवार को प्रमुख अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीएफपी) को भी प्रतिबंधित कर दिया है। जेकेडीएफपी के चेयरमैन शब्बीर अहमद शाह आतंकी फंडिंग के मामले में वर्ष 2017 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। बीते चार वर्ष के दौरान केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर प्रतिबंधित किए जाने वाला जेकेडीएफपी तीसरा संगठन है।

इससे पहले जमाते इस्लामी जम्मू कश्मीर और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को प्रतिबंधित किया जा चुका है। अनंतनाग में काडीपोरा के रहने वाले शब्बीर अहमद शाह कश्मीर के सबसे पुराने अलगाववादियों में एक हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेकेडीएफपी को पांच वर्ष के लिए प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जेकेडीएफपी को विधिविरुद्ध संगठन के रूप में घोषित करती है।

केंद्र सरकार उक्त अधिनियम की धारा 3 की उप-धारा (3) के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निदेश देती है कि यह अधिसूचना उक्त अधिनियम की धारा 4 के अधीन किए गए किसी आदेश के अध्यधीन रहते हुए राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, 1998 में शब्बीर अहमद शाह द्वारा गठित जेकेडीएफपी एक प्रमुख अलगाववादी, भारत विरोधी एवं पाकिस्तान समर्थक संगठन है।

इसके संस्थापक शब्बीर अहमद शाह हमेशा ही कश्मीर को विवादास्पद बताते हैं और भारतीय संविधान को चुनौती देते हैं। यह संगठन हमेशा ही जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को अवैध बताने के साथ ही कश्मीर को एक अलग इस्लामिक राष्ट्र बनाने के एजेंडे को प्रचारित करता है। इसके नेता और सदस्य कश्मीर में आतंकी गतिविधियों, सुरक्षाबलों पर पथराव को सही ठहराने के अलावा आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।

अगर तत्काल ही इस पर पाबंदी नहीं लगाई गई तो यह देश की एकता और अखंडता व सुरक्षा के लिए एक नया संकट पैदा कर सकता है। कश्मीर के प्रमुख अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी (जेकेडीएफपी) के शब्बीर अहमद शाह कश्मीर के सबसे पुराने अलगाववादियों में एक हैं। अनंतनाग में काडीपोरा के रहने वाले शब्बीर शाह ने सबसे पहले यंग मैन्स लीग संगठन बनाया था।

इसके बाद पकड़ने जाने पर वह जेल पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात कश्मीर के पहले आतंकी संगठन अल-फतेह से जुड़े नजीर अहमद वानी, यूथ लीग के अब्दुल मजीद पठानल, स्टुडेंटस इस्लामिक आर्गेनाइजेशन के अल्ताफ खान उर्फ आजम इंकलाबी और गुलाम कादिर हागरु व शेख हमीद और फजल हक कुरैशी सरीखे अलगाववादियों के साथ हुई।

जेल में इन्होंने एक नया संगठन बनाने का फैसला किया और वर्ष 1974 में शब्बीर शाह जेल में थे,लेकिन उनके अन्य साथियों ने जम्मू कश्मीर पीपुल्स लीग का गठन किया। इस संगठन 1975 में कश्मीर में इंदिरा शेख समझौते के खिलाफ रैलियां की थी। उन्होंने 1982 में क्विट कश्मीर मूवमेंट का एलान किया और पांच दिन तक कश्मीर में हड़ताल रही थी। वर्ष 1986 में उन्होंने कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिए जाने की मांग करते हुए अएक अदांलन चलाने का एलान किया।

वर्ष 1987 में उन्होंने मुस्लिम यूनाइटेडफ्रंट कश्मीर बनाने में अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1989 में उन्हें पुलिस ने रामबन में एक आतंकी के साथ गिरफ्तार किया था। उन्होंने 1993 में हुर्रियत के गठन में भी योगदान किया और पीपुल्स लीग में मतभेदों के चलते उन्होंने उससे व हुर्रियत कान्फ्रेंस से किनारा कर लिया।

उन्होंने 1998 में जेकेडीएफपी का गठन किया। वह तहरीके हुर्रियत कश्मीर के महासचिव भी रहे। अगस्त 2008 में कश्मीर में श्री अमरनाथ श्राईण बोर्ड को जमीन दिए जाने के खिलाफ हड़ताल में भी वह पूरी तरह सक्रिय रहे। इसी दौरान एक अलगाववादी नेता शेख अजीज की मुजफ्फराबाद चलो मार्च के दौरान बारामुला के पास हत्या हो गई। यह हत्या लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने की थी और जांच में शब्बीर शाह का नाम भी सामने आया था।

शब्बीर शाह की शादी डा बिलकीस से हुई है और उनकी दो बेटियां हैं। शब्बीर शाह के खिलाफ दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उन पर हवाला, आतंकी फंडिंग के मामले भी दर्ज हैं। हवाला के एक मामले में इडी ने उनकी संपत्ति भी अटैच कर रखी है।