Jammu Terror Attack: पाक ने फिर आंख दिखाई तो मारक प्रहार करेगी सेना की एविएशन कोर, दुश्मन की हर चाल पर रहती है पैनी नजर
इन दिनों जम्मू-कश्मीर में आतंकी वारदातें बढ़ गई हैं। ऐसे में दुश्मन के इरादों और उनकी नापाक हरकतों को विफल करने में एविएशन कोर भली प्रकार भूमिका निभाती है। इन दिनों सेना की यह कोर आक्रमक भूमिका में आ चुकी है। यदि पाक ने फिर कोई नापाक हरकत की तो उसे उसका अंजाम भुगतना होगा। यह कोर जरा भी दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में नहीं चूकती।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। कारगिल युद्ध के दौरान अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे सैनिकों के लिए रसद की आपूर्ति करने वाली भारतीय सेना की एविएशन कोर अब आक्रामक भूमिका में आ चुकी है। पाकिस्तान ने फिर आंख दिखाई तो यह घायलों को निकालने और तोपखाना पहुंचाने के साथ-साथ यह हेलीकॉप्टर दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलें बरसाने से नहीं चूकेंगे।
लद्दाख में कई गुणा मजबूत हुई है एविएशन कोर
कारगिल के 25 साल के बाद अब सेना की एविएशन कोर लद्दाख में कई गुणा मजबूत हो चुकी है। आज भारतीय सेना के बेड़े में एडवांस हेलीकॉप्टर लांसर व रुद्र अब दुश्मन पर मारक प्रहार करने की इसकी क्षमता रखते हैं।
निकट भविष्य में कोर में शामिल हो रहा एएच-64ई अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर भविष्य की चुनौतियों के संदर्भ में हमारी तैयारियों को मजबूती देगा।
सेना ने जोधपुर में अपना पहला अपाचे अटैक स्कवाड्रन बनाया है। 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन की गोलाबारी के बीच कोर के साहसी पायलटों ने अठारह हजार फीट से ऊंची चोटियों पर 2500 से अधिक उड़ानें भरी थी। ये हेलीकॉप्टर हर समय दुश्मन की निगरानी में भी होते थे।
ऑपरेशन विजय में निभाई थी शानदार भूमिका
कठिन हालात में सेना के पायलटों ने भारतीय सेना के 900 के करीब घायलों व बलिदानियों को चोटियों से नीचे पहुंचाया था। कारगिल के ऑपरेशन विजय में शानदार भूमिका के लिए एविएशन कोर की दो स्क्वाड्रनों को सेनाध्यक्ष के यूनिट प्रशस्ति पत्र, दो वीर चक्र और कई अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत विंग कमांडर कमल सिंह का कहना है कि सेना की एविएशन कोर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो रही है। पहले सिर्फ वायुसेना ही अटैक की भूमिका में थी।
अब एविएशन कोर के भी अटैक की भूमिका में आने से युद्ध जैसे हालात में सेना और भी सटीक तरीके से दुश्मन पर प्रहार कर सकती है।
लद्दाख में चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों से निपटने में सेना की एविएशन कोर क्षेत्र उच्चतम पर्वतीय क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
20 हजार फीट की ऊंचाई पर भरते हैं उड़ान
सियाचिन ग्लेशियर पर यह हेलीकॉप्टर नियमित रूप से 20 हजार फीट और उससे ऊपर की ऊंचाई पर उड़ानें भर रहे हैं। लद्दाख के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस सिद्धु का कहना है कि लेह, कारगिल जैसे इलाकों में सेना के हेलीकॉप्टर की भूमिका बहुत अहम है।
ये हेलीकॉप्टर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए लाइफ लाइन है। लद्दाख जैसे इलाकों में प्राकृतिक आपदा के दौरान भी इनकी भूमिका काफी अहम हो जाती है।