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Jammu Terror Attack: आतंकियों के सफाए के लिए चलेंगे अभियान, सेना के टारगेट पर हैं जम्मू के 55 स्थान

जम्मू संभाग में आतंकी वारदातों पर विराम लगाने के लिए सेना विशेष अभियान चलाएगी। राजौरी पुंछ रियासी रामबन ऊधमपुर किश्तवाड़ व कठुआ में भी अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी। सोमवार देर रात जवानों पर आतंकी हमले से जाहिर हो गया है कि जम्मू में भी आतंकी अपनी पैठ जमा चुके हैं। इनके खात्मे के लिए सेना का तलाशी अभियान जारी है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 17 Jul 2024 03:40 PM (IST)
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Jammu Terror Attack: जम्मू संभाग में आतंकियों की तलाश में जुटे सुरक्षाकर्मी

नवीन नवाज, जम्मू। राजौरी-पुंछ के बाद कठुआ और डोडा के पर्वतीय इलाकों में पैर पसार रहे आतंकियों के सफाए के लिए सेना की फिर से वापसी की जा रही है। इसके अलावा पुलिस और केंद्रीय बल की अतिरिक्त टुकड़ियों की तैनाती भी बढ़ेगी।

यह सुरक्षाबल न सिर्फ आतंकियों को खोजकर उनके सफाए के लिए अभियान चलाएंगे बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी आतंकियों व उनके पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट करने के अभियान में भागीदारी बनाएंगे।

जम्मू संभाग में भौगोलिक परिस्थितियों और आतंकी गतिविधियों के आधार पर आठ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, रामबन, डोडा, किश्तवाड़, उधमपुर व कठुआ के पहाड़ों में लगभग 55 स्थानों को चिह्नित किया गया है।

नई रणनीति के तहत जम्मू कश्मीर पुलिस भीतरी क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका के साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियों के बीच मुख्य समन्वयक की भूमिका निभाएगी।

ITBP के विशेष दस्ते भी होंगे अभियान में तैनात

निचले क्षेत्रों में सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती अधिक रहेगी। सेना की राष्ट्रीय राइफल्स की टुकड़ियों को भी फिर से तैनात किया जाएगा। आइटीबीपी के विशेष दस्तों को भी पर्वतीय इलाकों में आतंकरोधी अभियानों में शामिल किया जाएगा।

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उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि यह निर्णय सोमवार रात डोडा के जंगल में आतंकी हमले में चार जवानों के बलिदान होने के बाद उपजे हालात का जायजा लेने के बाद लिया गया है।

रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को इस विषय में आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। सेना, पुलिस और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल से जुड़े अधिकारियों को संवेदनशील दर्रों व पहाड़ी चोटियों में अतिशीघ्र नाके, शिविर और चौकियां स्थापित करने की प्रक्रिया पूरा करने को कहा गया है।

उन्होंने बताया कि प्रस्तावित चौकियां और शिविर एक दूसरे से समान दूरी पर होंगे और उसमें सुरक्षा ग्रिड मजबूत बनाकर उन क्षेत्रों में पूरा नियंत्रण मजबूत बना कर रखें।

केंद्र सरकार ने तीन वर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमलों का आकलन करते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और राष्ट्रीय राइफल्स के आतंकरोधी प्रशिक्षण में भी आवश्यक सुधार पर जोर दिया है।

जंगल की लड़ाई के साथ पहाड़ पर लड़ाई के लिए भी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। आतंकियों के खिलाफ तैनात सुरक्षाबलो को अत्याधुनिक ड्रोन, विस्फोटकों का पता लगाने व उन्हें निष्क्रिय करने में समर्थ अत्याधुनिक सेंसर व जैमर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित रक्षा उपकरण और संचार उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं।

तीन हफ्तों में पांचवीं बड़ी मुठभेड़

ढाई माह में जम्मू संभाग में काफी बढ़ी आतंकी हिंसा पिछले तीन हफ्तों में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच यह पांचवीं मुठभेड़ है। जबकि पिछले सप्ताह आतंकियों ने कठुआ जिला के बदनोता में सैन्य वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था।

पिछले करीब ढाई माह में जम्मू संभाग विशेषकर सीमावर्ती जिलों में आतंकी हिंसा में वृद्धि आई है। इस दौरान आतंकी हमलों व मुठभेड़ में सेना के एक कैप्टन सहित 12 सुरक्षाकर्मियों ने वीरगति पाई व 18 घायल हुए। 10 नागरिक मारे गए व करीब 42 घायल हुए। जवाबी कार्रवाई में पांच आतंकी भी ढेर हुए।

आतंकी साजिशों का दौर नहीं थम रहा

तीन वर्ष पूर्व राजौरी-पुंछ से शुरू हुआ हिंसा का दौर अब पूरे जम्मू क्षेत्र में फैला, लगातार बढ़ रही साजिशें सुरक्षाबल को निशाना बनाने की आतंकी साजिशों का दौर थम नहीं रहा है।

तीन वर्ष से राजौरी-पुंछ में चल रहा हिंसा का यह दौर अब पूरे जम्मू जम्मू परिक्षेत्र में व्याप्त हो गया लगता है और जम्मू का कोई क्षेत्र नहीं बचा जहां आतंकी अपनी उपस्थिति न दिखा चुके हों।

सोमवार रात को डोडा के देसा क्षेत्र में हुए आतंकी हमले में एक कैप्टन समेत चार जवान बलिदान हो गए। कुछ अन्य घायल हैं। यह कोई अप्रत्याशित हमला नहीं कहा जा सकता।

2021 से अब तक 50 जवान बलिदान

मई माह में उधमपुर और डोडा सीमा पर सयोजधार क्षेत्र में आतंकियों के हमले में एक ग्राम रक्षा समूह के सदस्य को आतंकियों ने निशाना बनाया था, उसके बाद से स्पष्ट हो गया था कि स्थिति हाथ से निकल रही है। अक्टूबर 2021 से अब तक जम्मू संभाग में सुरक्षाबल के 50 से अधिक जवान सदगति को प्राप्त हो चुके हैं।

सुरक्षा से जुड़े पूर्व अधिकारी बताते हैं कि कश्मीर पर दबाव बढ़ने के बाद सुरक्षाबल ने पहले राजौरी-पुंछ को निशाना बनाया और एक के बाद एक बड़े हमले हुए पर आतंक पर लगाम नहीं लगी और न ही कोई ठोस रणनीति आतंक से निपटने के लिए दिखाई दी।

उसके बाद से डोडा व उधमपुर लगातार निशाने पर दिख रहे हैं। सुरक्षा तंत्र से जुड़े लोग स्वीकार करने लगे हैं कि आतंकियों ने चार वर्ष के दौरान जम्मू प्रांत के आतंकमुक्त हो चुके इलाकों धीरे-धीरे अपना नेटवर्क मजबूत बनाया है।

उन्होंने इन इलाकों में अपने लिए ओवरग्राउंड वर्करों का एक नया नेटवर्क तैयार किया है। वह बताते हैं कि पहले यह मान लिया जाता था कि आतंकी इस रूट से कश्मीर जा रहे हैं पर एक के बाद एक हमलों से स्पष्ट है कि निशाने पर जम्मू की शांति है।

उनका लक्ष्य है कि ऐसा कर वह चाहते हैं कि सुरक्षाबल दबाव में कश्मीर का सुरक्षा घेरा कुछ कम करें और उन्हें फिर से कश्मीर में जड़ें जमाने का अवसर मिल जाएगा।

सीमा पार से आने वाले अफगानिस्तान में लड़ चुके आतंकी भी कश्मीर घाटी के बजाय डोडा-किश्तवाड़ में ही डेरा जमाते रहे हैं।

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