Jammu News: नई स्ट्रेटेजी से आतंक को मिट्टी में मिलाने की तैयारी, प्लानिंग के साथ सेना 'खोजो और मारो' अभियान करेगी तेज
जम्मू-कश्मीर में पुलिस खोजो और मारो अभियान तेज करते हुए आतंकियों का एक नई रणनीति के साथ सफाया करने में जुट गई है। सजगता समन्वय और जनभागीदारी की रणनीति जम्मू-कश्मीर से आतंकियों का सफाया करने में कारगर साबित होगी। इसके लिए स्थानीय लोगों से समन्वय बढ़ाया जा रहा है ताकि वे बिना किसी डर के प्रशासन पर भरोसा जताते हुए हर जानकारी सेना या पुलिस को उपलब्ध करा सके।
नवीन नवाज, जम्मू। जम्मू में सिर उठा रहे आतंकवाद को कुचलने के लिए सजगता, समन्वय और जनभागीदारी की रणनीति को कार्यान्वित किया जा रहा है। इसी रणनीति के तहत राजौरी-पुंछ और कठुआ-ऊधमपुर-डोडा के अलावा पीरपंजाल की पहाड़ियों में नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए जा रहे हैं।
इन शिविरों में संबंधित सुरक्षाबल अपने स्थानीय अधिकारियों व कर्मियों को प्राथमिकता पर तैनात करेंगे। ग्राम सुरक्षा समूहों (वीडीजी) को एसएलआर व अन्य स्वचालित हथियारों से लैस करने के अलावा उन्हें नियमित तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
सीमांत इलाकों में पुलिस और सीमा सुरक्षाबल अलग-अलग और संयुक्त गश्त करेगी। अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर घुसपैठरोधी तंत्र की संबंधित वरिष्ठ अधिकारी साप्ताहिक समीक्षा करेंगे।
बता दें कि जम्मू में राजौरी-पुंछ,रियासी, डोडा,किश्तवाड़, उधमपुर व कठुआ में कुछ महीनों में अचानक ही आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है। इन इलाकों में सुरक्षाबलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इससे प्रदेश में आतंकी हिंसा पर काबू पाए जाने के दावों पर सवाल उठने लगे हैं।
नई रणनीति बनेगी आतंक के सफाए में मददगार
जम्मू कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कुछ महीनों में हुए आतंकी हमलों और घुसपैठ के मामलों की जांच के दौरान कई लोगों से पूछताछ की गई।
उसके आधार पर नई रणनीति बनाई गई है। इसमें स्थानीय लोगों विशेषकर युवाओं के साथ संवाद और समन्वय को बढ़ाया जा रहा है ताकि उनके क्षेत्र में होने वाली किसी भी संदिग्ध गतिविधि की वे बिना किसी हिचक जानकारी दे सकें।
उन्हें अपने क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों के साथ सहयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा कि वे किसी भी अंजान को मोबाइल फोन इस्तेमाल न करनें दें, इंटरनेट डेटा साझा न करे और न किसी को हाटस्पाट प्रदान करें।
अगर इस तरह का कोई संदिग्ध दिखे तत्काल निकटवर्ती सुरक्षा चौकी को सूचित करें। ग्राम रक्षा समूहों के सदस्यों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी उनके क्षेत्र में स्थापित सुरक्षा शिविरों की रहेगी।
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ग्राउंड खुफिया तंत्र किया जा रहा विकसित
उन्हें एसएलआर व अन्य स्वचालित हथियार प्रदान किए जा रहे हैं। सभी क्षेत्रों में सीआरपीएफ, सेना और पुलिस के सुरक्षा शिविर व चौकियां स्थापित की जा रही हैं।
इनमें संबंधित बल यथासंभव अपने स्थानीय अधिकारियों व जवानों को प्राथमिकता पर तैनात करेंगे,क्योंकि वे स्थानीय सामाजिक और भौगोलिक परिवेश से परिचित होते हैं। भीतरी इलाकों में आन ग्राउंड खुफिया तंत्र को विकसित किया जा रहा है। आतंकियों के प्रभाव वाले इलाकों में नियमित तौर पर खोजो और मारो अभियान तेजी से चलाए जा रहे हैं।
एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठरोधी तंत्र की समीक्षा कर बेहतर बनाया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कठुआ से अखनूर तक दर्जन नालों और दरियाओं के उन भागों को चिह्नित किया है, जहां आतंकी घुसपैठ कर सकते हैं।
अत्याधुनिक तकनीक का किया जा रहा प्रयोग
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरंगों का पता लगाने के लिए अग्रिम इलाकों में लगातार जांच की जा रही है। अत्याधुनिक तकनीक का भी प्रयोग किया जा रहा है।
बीएसएफ की दो अतिरिक्त बटालियनों को ओडिशा से जम्मू कश्मीर में स्थानांतरित किया गया है। यह बटालियनें सांबा और कठुआ सेक्टर में तैनात की जाएंगी।
सीमांत इलाकों में पुलिस की सीमांत वाहिनियों के जवान भी अपने स्तर पर और आवश्यकता अग्रिम इलाकों में गश्त करेंगे। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को सभी आवश्यक सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुनिश्चित बनाने और उनके आधार तत्काल कार्रवाई को सुनिश्चित बनाने के लिए कहा गया है।
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