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जम्मू-कश्मीर के किसान छोटी भूमि से भी अच्छी कमाई कर सकते हैं: अनिल नरगोत्रा

एकीकृत खेती का जमाना है इसलिए गांव के युवाओं को नए तरीके से सोचना होगा। अगर आपके पास चार-पांच कनाल भूमि भी है तो भी बहुत कुछ किया जा सकता है। आपकाे खेती के साथ-साथ इससे जुड़े काम भी साथ-साथ चलाने होंगे।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Mon, 16 Nov 2020 08:36 AM (IST)
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कृषि विभाग किसानों की परेशानियों को दूर करने में जुटा हुआ है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: भारत कृषि प्रधान देश है जोकि आबादी के लिहाज से विश्व में दूसरे स्थान पर है। पेट भरने के लिए सबको अनाज चाहिए । इसलिए देश के लोगों की नजरें किसानों पर है। किसान अपने खेतों में दालें, गेहूं, धान उगाता है और लोगों की जरूरत को पूरा कर रहा है। मगर उसको भी शिकायतें हैं कि उसकी रोजी रोटी नही निकल पा रही। जम्मू-कश्मीर की बात की जाए तो यहां पर अधिकांश किसान छोटे हैं जिनके पास बहुत ज्यादा जमीन नहीं है। ऐसे में इनकी नजर खेती की बजाय सरकारी नौकरियों पर रहती है। सबको तो नौकरी नहीं मिल सकती। लेकिन खेती में भी किसान छोटे से भूमि के टुकड़े से भी अच्छी कमाई कर सकता है। इस बारे में कृषि विभाग जम्मू के संयुक्त निदेशक अनिल नरगोत्रा से दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता गुलदेव राज ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश।

सवाल: आज युवा किसान खेती नहीं करना चाहता, नौकरी चाहता है। उनको कैसे समझाएंगे?

जवाब: देखो सरकारी नौकरी तो सबको नही मिल सकती। जीवन चलाने के लिए काम धंधा तो करना ही पड़ेगा। लेकिन जिन लोगों को अपने बुजुर्गों से खेती मिली है, चाहे वह थोड़ी ही है, उसका सही इस्तेमाल करें। योजनाबद्ध् तरीके से खेती कर आप नौकरी करने वालों से भी अच्छी आमदनी पा सकते हैं। एकीकृत खेती का जमाना है, इसलिए गांव के युवाओं को नए तरीके से सोचना होगा। अगर आपके पास चार-पांच कनाल भूमि भी है, तो भी बहुत कुछ किया जा सकता है। आपकाे खेती के साथ-साथ इससे जुड़े काम भी साथ-साथ चलाने होंगे। जैसे मशरूम, मधुमक्खी पालन, फिशरी, वर्मी कंपोस्ट आदि शामिल हैं। वहीं मूल्य संवर्धन करके अपने उत्पाद के अच्छे दाम पाए जा सकते हैं। बहुत कुछ करने काे हैं, बस जज्बा ग्रामीण युवा में होना चाहिए।

सवाल: जैसे आप ने मशरूम का जिक्र किया। इस साल मशरूम की खेती की क्या संभावनाएं हैं?

जवाब: जम्मू में मशरूम की खेती लगातार बढ़ रही है। मशरूम के लिए जम्मू डिवीजन में इस बार 6750 किलो बीज वितरित हुआ। ऐसे में इस बार पूरी संभावना है कि 2020-21 में जम्मू डिवीजन में मशरूम की पैदावार बढ़कर 16000 क्विंटल तक पहुंच जाएगी। मैं युवाओ से कहना चाहता हूं कि वे मशरूम के यूनिट लगाएं, अब तो पूरे साल भर मशरूम की खेती के विकल्प उपलब्ध है।

सवाल: किसानों के लिए कौन सी योजनाएं हैं जिसका लाभ किसान उठाएं?

जवाब: फार्म मशीनरी खरीदने के लिए केंद्र सरकार ने आकर्षक योजना शुरू की है। ट्रैक्टर, रीपर व दूसरी खेती की मशीनें अब किसानों को आसानी से मिल सकती हैं। इन पर 20 से 25 फीसद की सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। इसलिए किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए और अपने अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी के समक्ष आवेदन करना चाहिए।

सवाल: खाद-बीज के लिए किसान परेशान रहता है। इस बारे में आप क्या कहेंगे?

जवाब: ऐसा नही है। कृषि विभाग किसानों की परेशानियों को दूर करने में जुटा हुआ है। इस रबी सीजन में कृषि विभाग ने 65000 क्विंटल बीज जम्मू डिवीजन के विभिन्न केंद्राें में पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है और इसमें अभी तक 80 प्रतिशत बीज विभिन्न केंद्रों में पहुंचा दिया गया है। रही बात खाद की तो पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन के कारण खाद जम्मू पहुंच नहीं पा रही। मगर हम इस दिक्कत का हल निकालने में लगे हुए हैं। उच्चस्तर पर बातचीत चल रही है। मुझे लगता है कि जल्दी ही फैसला आ जाना है। पंजाब सरकार से हमें सहयोग मिलेगा।

सवाल: किसानों को क्या संदेश देना चाहेंगे?

जवाब: यही कि दूसरे किसानों से सीखें जिन्होंने अपनी मेहनत व योजनाबद्ध् तरीके से काम कर अपना नाम बुलंदियों पर पहुंचाया। बताना चाहूंगा कि कठुआ जिले के किसान का शहद अब एमजोन पर बिक रहा है। ऐसे ही दूसरे किसान कर सकते हैं। बस खेती में कुछ करने का जज्बा लाना होगा। कृषि विभाग किसानों का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार है। 

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