Jammu : सिल्क इंडिया प्रदर्शनी में कांजीवरम, कलमकारी और पटोला साड़ियों की धूम
Silk India Exhibition असम के भूपेंद्र मूंगा सिल्क साड़ियां लाए है तो भागलपुर के संतोष सिल्क का ड्रेस मटेरियल साड़ियां और सूट लाए है। तेलंगाना के अप्पन रामूलु इक्कत कलमकारी और मंगलगिरी कॉटन की साड़ियां सूट और ड्रेस मटेरियल लाए है।
जागरण संवाददाता, जम्मू: बिक्रम चौक के निकट स्थित कला केंद्र में हस्तशिल्पी की ओर से आयोजित 14 दिवसीय सिल्क इंडिया प्रदर्शनी में सोमवार को बड़ी संख्या में कद्रदान व खरीदार उमड़े। इस प्रदर्शनी में देशभर के बुनकर अपने हाथ की कारीगरी से सजे वस्त्र लाए हैं।
यहां तमिलनाडु की कांजीवरम, भागलपुर की टस्सर, असम की मूंगा सिल्क, कश्मीर की कानी, बंगाल की बालूचरी, जामदानी से लेकर तेलगांना की इक्कत सहित और भी कई राज्यों के हैंडलूम मौजद हैं। रेशम की पटोला साड़ियां वैसे तो गुजरात की खासियत हैं पर अब ये बनारस में भी बनती हैं। बनारस के कलीम अहमद कतान सिल्क से बनी पटोला लाए हैं। उन्होंने बताया कि सात रंगों से बनने वाली पटोला की बुनाई इतनी जटिल होती है कि दो कारीगर एक दिन में केवल 20 सेंटीमीटर ही बन पाते हैं। वजह है सात रंग के धागों का एक साथ चलना।
50 हजार से एक लाख तक कीमत की ये साड़ियां करीब दो महीने में तैयार हो पाती हैं। बनारस से तनछुई और जामावार साड़ियां भी प्रदर्शनी में लाई गई हैं। तमिलनाडु से आई है कांजीवरम की पूरी रेंज, एक माह में बनती है एक साड़ी तमिलनाडु से विश्वजीत कांजीवरम की पूरी रेंज लाए हैं। सोने-चांदी की जरी से बनी ये साड़ियां 50 हजार से तीन लाख तक कीमत की हैं। विश्वजीत बताते हैं कि कांजीवरम की साड़ी तैयार होने में कम से कम एक महीना लगता है।
असम के भूपेंद्र मूंगा सिल्क साड़ियां लाए है तो भागलपुर के संतोष सिल्क का ड्रेस मटेरियल साड़ियां और सूट लाए है। तेलंगाना के अप्पन रामूलु इक्कत, कलमकारी और मंगलगिरी कॉटन की साड़ियां, सूट और ड्रेस मटेरियल लाए है। इनके साथ ही कश्मीर, लद्दाख और गुजरात का हैंडलूम भी है। गुजरात के कच्छ से ब्लॉक ¨प्रट की बेडशीट और रजाइयां भी खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
दूध में भिगोकर तैयार की जाती है कलमकारी की साड़ियां कलमकारी ऐसी साड़ी है, जिसे दूध में भिगो कर तैयार किया जाता है। कलमकारी में राम वनवास के दृश्य, राम दरबार और दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों की प्रकृति को बखूबी दर्शाया गया है। आंध्रप्रदेश के पास श्री कलाहस्ती के बुनकरों के अनुसार कलमकारी साड़ी से दूध की महक ही इसकी पहचान है। बुनकर ऐसे ही ट्रेडिशन और रेयर फ्रेब्रिक, साड़िया लेकर आए हैं।
आयोजक टी अभिनंद ने बताया कि प्रदर्शनी 23 सितंबर तक चलेगी। कला प्रेमी सुबह दस बजे से लेकर रात नौ बजे तक इस प्रदर्शनी में सिल्क बुनकरों की कला को देखने आ सकते हैं।