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Kargil Vijay Diwas: जवानों ने नगालैंड से कारगिल तक बाइक से की 3700 KM यात्रा, बलिदानियों के घर से लाए मिट्टी

Kargil Vijay Diwas 2023 भारतीय सेना की दो नगा बटालियन के 20 सैन्यकर्मी नगालैंड के कोहिमा टू कारगिल मोटरसाइकिल अभियान में 3700 किलोमीटर की यात्रा करके बलिदानियों की जन्मस्थली की मिट्टी लाए हैं। सेना के बाइकसवार कारगिल की चोटी और प्वाइंट 4875 की वह मिट्टी भी साथ ले गए थे जिसमें बलिदानियों के देश के लिए बहाए खून के अंश हैं।

By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 25 Jul 2023 05:16 PM (IST)
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कारगिल में शौर्यगाथा का बखान करेगी बलिदानियों के गांव की माटी। फोटो- जागरण
जम्मू, विवेक सिंह। आज भी कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के जांबाजों की शौर्यगाथा सुनकर सीना गर्व से तन जाता है। कारगिल युद्ध के 24 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना के जवानों ने बलिदानियों की अमर गाथा को नया आयाम दिया है। एक विशेष मोटरसाइकिल अभियान से पांच राज्यों से 16 बलिदानियों के घरों की माटी लाई गई है जो 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर कारगिल वार मेमोरियल में रखी जाएगी। यही नहीं, इन बलिदानियों के गांव वाले भी उस स्थान की पवित्र माटी को नमन कर सकेंगे जहां उनके गांव के वासी जवान ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। इस अनूठे अभियान में कारिगल की माटी बलिदानियों के गांव तक भी पहुंचाई गई है।

सेना की दो नगा बटालियन के 20 सैन्यकर्मी नगालैंड के 'कोहिमा टू कारगिल' मोटरसाइकिल अभियान में 3,700 किलोमीटर की यात्रा करके बलिदानियों की जन्मस्थली की मिट्टी लाए हैं। सेना के बाइकसवार कारगिल की चोटी और प्वाइंट 4875 की वह मिट्टी भी साथ ले गए थे, जिसमें बलिदानियों के देश के लिए बहाए खून के अंश हैं। कारगिल की चोटी की मिट्टी दो नगा के मणिपुर, बंगाल, उत्तराखंड, बिहार व दिल्ली में बलिदानियों के स्वजन को सौंपी गई और लौटते समय मोटरसाइकिल सवार जवान उनके घरों की मिट्टी भी लाए।

सैन्य अधिकारी भी बने अभियान का हिस्सा

इस अभियान में सेना के जवान जम्मू, ऊधमपुर, कश्मीर होते हुए 22 जुलाई को कारगिल पहुंचे। अब उनके द्वारा लाई गई बलिदानियों के घरों की मिट्टी कारगिल वार मेमोरियल में रखी जाएगी। बीते शुक्रवार को ऊधमपुर स्थित सेना के उत्तरी कमान मुख्यालय पहुंचे इस दल के साथ कारगिल युद्ध में वीर चक्र जीतने वाले कर्नल डीकेएस शेरावत भी द्रास के लिए रवाना हुए। कर्नल डीकेएस शेरावत कारगिल युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट पद पर थे। उन्होंने कारगिल की चोटी प्वाइंट 4875 से दुश्मन को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।

लंबी थी यात्रा

बलिदानियों के घरों तक पहुंचने की यात्रा लंबी थी, लेकिन अपने जांबाज साथियों को शृद्धांजिल देने के संकल्प में यह कठिन नहीं लगी। द्रास पहुंचने के लिए इस दल के सदस्यों ने दो जुलाई को कोहिमा से मोटरसाइकिलों पर यात्रा आरंभ की थी। अभियान में शामिल होने के लिए सेना के जवान मोटरसाइकिल समेत सवार विमान से कारगिल से नगालैंड की राजधानी कोहिमा पहुंचे थे। जून के अंत में उन्हें कारगिल युद्ध में दो नागा की कमान संभालने वाले सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर डीके बडोला व मौजूदा कमान अधिकारी कर्नल शैलेंद्र सिंह गोसाईं ने रवाना किया।

राह में आयोजित हुए कार्यक्रम भी

ये बाइक सवार बलिदानियों के घर पहुंचने के साथ राह में सैन्य कार्यक्रमों में भी शामिल हुए। यात्रा के अंतिम चरण में कमान मुख्यालय ऊधमपुर में इन सवारों ने चीफ आफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल आनिंदय सेन गुप्ता को अभियान के अनुभव की जानकारी दी। कारगिल के लिए रवाना होते समय उन्होंने ऊधमपुर के ध्रुव वार मेमोरियल में बलिदानियों को सलामी भी दी।

दो नगा की वीरता का इतिहास

कारगिल युद्ध में सेना की दो नगा ने वीरता का इतिहास लिखा था। मशकोह घाटी में प्वाइंट 4875 पर लड़ी गई लड़ाई में असाधारण वीरता के लिए दो नगा के अकुम एओ को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। यूनिट के कैप्टन डीकेएस शरावत को वीर चक्र मिला। वहीं ट्विन बंप और रेड आन की लड़ाई में सैनिकों ने वीरता का परिचय दिया। सेना की 2 नगा को बैटल आनर मशकोह व थियेटर आनर से भी सम्मानित किया गया।

-प्वाइंट 4875 के बलिदानी

मेजर संदीप कुमार

हवलदार मोलन पुन नागर

नायक हरि बहादुर गाले

सिपाही संजय गुरूंग

सिपाही हिम्मत सिंह

सिपाही जय सिंह नेगी

लांस नायक मोहन सिंह

सिपाही राजेश गुरूंग

नायक अरविंद सिंह

नायक आनंद सिंह

नायक रत्न कुमार प्रधान

सिपाही कैलाश कुमार

लांस नायक शिव चरण प्रसाद

लांस नायक एस गेरनीथांग

सिपाही एनजी बेनिंगवीर मोयोन

नायक देवेन्द्र सिंह

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