35 साल पहले वीपी मलिक ने संभाला 'कारगिल' का जिम्मा, आज उसी पद पर रहकर बेटा सचिन मलिक कर रहा अपने कर्तव्य का पालन
कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले थलसेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक के बेटे सचिन मलिक के पास इस दौरान 8 माउंटेन डिवीजन की कमान है। यह कमान 25 साल पहले वीपी मलिक ने संभाली थी। उन्होंने ऑपरेशन विजय का नेतृत्व किया था। उनका कहना है कि इस दौरान पाक कारगिल की चोटियों पर घुसपैठ नहीं कर सकता। वर्ष 1999 में हालात दूसरे थे।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध का नेतृत्व करने वाले पूर्व थलसेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक के परिवार की दूसरी पीढ़ी इस समय सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कारगिल की सुरक्षा का दायित्व संभाल रही है।
कारगिल में नियंत्रण रेखा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले सेना की जिस 8 माउंटेन डिवीजन की कमान जनरल मलिक ने संभाली थी। आज उसकी कमान उनके पुत्र मेजर जनरल सचिन मलिक के पास है।
कारगिल की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त जनरल वीपी मलिक का मानना है कि अब पाकिस्तान की सेना कारगिल की चोटियों पर घुसपैठ नही कर सकती है। वर्ष 1999 के हालात कुछ और थे।
'विपरीत हालात में दर्ज की थी जीत'
जनरल वीपी मलिक हर साल कारगिल विजय दिवस पर द्रास आकर उन युद्ध के उन नायकों का मनोबल बढ़ाते हें जो वर्ष 1999 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना से असाधारण जीत हासिल करने को विपरीत हालात में लड़े थे।
जनरल मलिक का कारगिल से नाता बहुत पुराना है। उन्होंने फारेवर इन ऑपरेशन डिवीजन के नाम से जाने जाने वाली 8 माउंटेन डिवीजन को वर्ष 1989 में कमान किया था।
'कारगिल की चोटियों पर घुसपैठ ने चौंकाया'
कारगिल युद्ध की रजत जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों के चलते जनरल मलिक ने कहा है कि वर्ष 1999 में पाकिस्तान सेना का कारगिल की चोटियों पर घुसपैठ कर चौंका दिया था। इसे सर्वेलांस की नाकामी भी कहा जा सकता है।
यही माना था कि कारगिल की चोटियों पर घुसपैठिए हैं। हम कश्मीर में घुसपैठियों का सामना करते रहे हैं, लेकिन यहां पर पाकिस्तानी सेना ने आहिस्ता आहिस्ता जमावड़ा बना लिया था। घुसपैठ के लिए दुश्मन ने ऐसे इलाके इस्तेमाल किए हैं यहां पर हमारी चौकियां नही थी। अब बदले हालात में चौकियों पर पैनी नजर रखने के लिए यूएवी, सेटेलाइट इमेजरी, सेंसर्स व रडार हैं।
जनरल मलिक तीस सितंबर 1997 से लेकर 30 सितंबर 2000 तक भारतीय सेना के प्रमुख थे। इस दौरान उन्होंने विपरीत हालात में युद्ध लड़ने वाली सेना की कमान की थी। उनकी कमान में ही सेना की 8 माउंटेन डिवीजन को उत्तरी पूर्वी सेक्टर से कश्मीर स्थानांतरित किया था।
उस समय सेना की चौदह कोर का गठन नही हुआ था। तब सेना की पंद्रह कोर ही लद्दाख की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती थी। आज सेना की 8 माउंटेन डिवीजन कारगिल में नियंत्रण रेखा की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कई गुणा सक्षम हो चुकी है। इसका मुख्यालय कारगिल के खुंबाथांग इलाके में है।
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