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Kargil Vijay Diwas: तीन महीने की लंबी लड़ाई, 674 जवान बलिदान, आसान नहीं थी 'ऑपरेशन विजय' की सफलता

दुश्मन को कारगिल की चोटियों से खदेड़ना कोई छोटी बात नहीं थी। साल 1999 में जब पाक सैनिकों ने कारगिल पर कब्जा जमाया तो इसके एवज में भारतीय सैनिकों ने ऑपरेशन विजय चलाया। अभियान की शुरुआत 10 मई 1999 को की गई। इस दौरान कारगिल की ऊंची चोटियों त्वरित जवानों को अभियान के लिए तैयार करना सेना के सम्मुख बड़ी चुनौती थी।

By Prince Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 26 Jul 2024 02:42 PM (IST)
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कारगिल युद्ध: ऑपरेशन विजय क्या था (कारगिल वॉर मेमोरियल)
डिजिटल डेस्क, जम्मू। देश में हर साल 26 जुलाई को कारगिल दिवस मनाया जाता है। साल 1999 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस और शौर्य के साथ पाक सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। पाक की नापाक हरकत का हमारे वीर जांबाजों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। आज देश कारगिल दिवस की 25वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है।

कारगिल की ऊंची चोटियों को दुश्मन से छुड़ाने के लिए भारतीय सेना ने एक अभियान चलाया, जिसे 'ऑपरेशन विजय' कहा गया।  इस अभियान में सेना को कई चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। कारगिल की सिल्वर जयंती के अवसर पर आइए, इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन (Operation Vijay) के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच तीन महीने तक चली लंबी लड़ाई थी। इसकी शुरुआत मई 1999 में उस दौरान हुई। साल 1999 में पाक ने कश्मीर और लद्दाख के बीच सम्बंध तोड़ने के लिए एक षड्यंत्र रचा। उस दौरान करीब 1500 पाक सैनिकों ने दबे पांव तत्कालीन जम्मू और कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की और वहां की पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया।

10 मई को चलाया गया ऑपरेशन विजय

पाक की सेना ने 5 मई, 1999 को भारतीय सेना के 5 सैनिकों की हत्या कर दी थी। इसके बाद दुश्मन को नेस्तनाबूद करने और कारगिल की चोटियों को पाक सैनिकों से मुक्त कराने के उद्देश्य से 10 मई, 1999 को ऑपरेशन विजय चलाया गया। 

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20 जुलाई को किया कारगिल फतेह

मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी सेना के जांबाज संकल्पबद्ध होकर दुश्मन का पूरी बहादुरी के साथ सामना करते रहे। जंबाजों का यह प्रदर्शन काफी अनूठा था। साल 1999 की 20 जुलाई को भारतीय सेना कारगिल की ऊंचाइयों पर फिर से कब्जा जमा पाने में कामयाब रही।

ऑपरेशन विजय की चुनौतियां

  • कारगिल क्षेत्र की विशेषता खड़ी पहाड़ियां रही हैं, इन पर युद्ध सामाग्री लेकर चढ़ना सेना के लिए बड़ी चनौती थी।
  • कारगिल में लड़ने वाले कई भारतीय जांबाज ऊंचाई पर कठोर परिस्थितियों में चढ़ने के लिए तैयार नहीं थे।
  • युद्ध के लिए सीमित समय में रणनीति बनाना बड़ी चुनौती थी।
  • पाक ने हजारों सैनिकों को कारगिल की चोटियों पर खाली पड़े भारतीय बंकरों में भेज दिया।
  • इससे दुश्मन को बंकरों से खदेड़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
  • जब पाक सैनिक कारगिल में कब्जा जमा रहे थे, इसकी भनक रॉ या आईबी तक को भी नहीं लगी।

675 जवान हुए बलिदान

ऑपरेशन विजय के दौरान भारतीय सेना के रणबांकुरों ने अपने अदम्य साहस के साथ अंतिम सांस तक दुश्मन का मुकाबला किया। इस अभियान में 674 भारतीय सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। इनमें चार को परमवीर चक्र, 10 को महावीर चक्र और 70 जवानों को वीर चक्र से सम्मानिक किया गया।

कारगिल युद्ध के हीरो

इस युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर के पद पर तैनात योगेंद्र सिंह यादव, गोरखा राइफल्स में लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, 18 ग्रेनेडियर्स में लेफ्टिनेंट बलवान सिंह और कैप्टन एन केंगुरुसे ने बहादुरी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था।

नोट: उपरोक्त जानकारी नेशनल वॉर मेमोरियल की आधिकारिक वेबसाइट से ली गई है....

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