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Kartik Purnima: इस तारीख को पड़ रहा है कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, दान में दें ये चीजें; मिलेंगे कई लाभ

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) 26 नवंबर रविवार दोपहर 03 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी जबकि 27 नवंबर सोमवार को शाम 04 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है और कार्तिक पूर्णिमा की रात को बछड़ा दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है। कार्तिक महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है।

By ashok sharmaEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 03:18 PM (IST)
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कार्तिक रात्रि पूर्णिमा व्रत 26 जबकि कार्तिक दिवा पूर्णिमा व्रत 27 नवंबर को मनाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, जम्मू। कार्तिक पूर्णिमा 26 नवंबर रविवार दोपहर 03 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 27 नवंबर सोमवार को शाम 04 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। जो भक्त रात्रि पूर्णिमा का व्रत करते हैं, वह 26 नवंबर रविवार को व्रत करें और जो दिवा पूर्णिमा का व्रत करते हैं, वह 27 नवंबर सोमवार को करें।

श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima Vrat 2023) के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था।

त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक प्रयाग में भारी तपस्या कर ब्रह्मा जी से मनुष्य और देवताओं के हाथों ना मारे जाने का वरदान हासिल किया था। इसके बाद भगवान शिव ने ही उसका वध कर संसार को उससे मुक्ति दिलाई थी।

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इस दिन उपवास करने से मिलते हैं ये लाभ

इस दिन उपवास करने से हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर का फल प्राप्त होता है और कार्तिक पूर्णिमा की रात को बछड़ा दान करने से शिव लोक की प्राप्ति होती है।

जब चंद्रोदय हो रहा हो, तो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी का आशीर्वाद मिलता है क्योंकि ये स्वामी कार्तिक की माता है।

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कार्तिक महीना माना जाता है पवित्र

कार्तिक महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। विशेषकर कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान और दान का बड़ा महत्व है।

इस दिन गंगा नदी, नदी, सरोवर आदि में स्नान करने से सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालु स्नान कर दीप, दान, हवन, यज्ञ, घी, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, तेल, तिल दक्षिणा दान करते हैं।

इस दिन मनाई जाती है गुरू नानक जयंती 

इस विशेष दिवस पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करना ना केवल पवित्र माना जाता है बल्कि इससे समृद्धि भी आती है और इससे सभी कष्ट दूर हो सकते हैं। इस दिन पूजा करने से श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान शिव और शनि देव की कृपा प्राप्त होती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सिखों के गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। अतः इसलिए इस दिन गुरू नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2023) भी मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन उत्तरी भारत का सबसे बड़ा मेला बावा जित्तो देव स्थान झिड़ी सामाचक में लगता है।

पौराणिक कथा भी है प्रचलित

जम्मू में अधिकतर कुल देव और देवी स्थानों पर मेले लगते हैं। पूर्णिमा के दिन घर के आस पास जरूरतमंद लोगों यथा शक्ति दान अवश्य करें।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवता अपनी दिवाली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं। भीष्म पंचक 27 नवंबर सोमवार को समाप्त होंगे।

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