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Mahashivratri 2023: कश्मीर में महाशिवरात्रि पर दिखा दो धर्मों का मेल, जश्न में शामिल हुआ मुस्लिम जोड़ा

Kashmir News शानिवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के मार्तंड सूर्य मंदिर में हिंदू भगवान शिव को जल चढ़ाने वाले दर्जनों भक्तों की भीड़ उमड़ी। इसी भीड़ में शिव का आशीर्वाद लेने के लिए राजस्थान का एक मुस्लिम जोड़ा भी शामिल हुआ।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Sat, 18 Feb 2023 05:05 PM (IST)
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कश्मीर में महाशिवरात्रि के जश्न में शामिल हुआ मुस्लिम जोड़ा।
जम्मू, जागरण संवाददाता। शानिवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के मार्तंड सूर्य मंदिर में हिंदू भगवान शिव को जल चढ़ाने वाले दर्जनों भक्तों की भीड़ उमड़ी। इसी भीड़ में शिव का आशीर्वाद लेने के लिए राजस्थान का एक मुस्लिम जोड़ा भी शामिल हुआ।

यह मुस्लिम जोड़ा हरियाणा के कुरुक्षेत्र का निवासी है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र की रहने वाली जोया खान ने कहा कि  'यह हिंदुओं के लिए (महाशिवरात्रि) और मुसलमानों के लिए (शब-ए-मेराज) दोनों के लिए एक शुभ अवसर है और ऐसा नहीं है कि हम मुसलमान (मुस्लिम) मंदिर में नहीं जा सकते।

आगे जोया ने बताया कि यह हमारे लिए प्रार्थना का दिन है और आज शिवरात्रि है। हमने सोचा कि  हम देखेंगे कि हिंदु इस पर्व को यहाँ कैसे मनाते हैं। जोया ने बताया उनकी शादी राजस्थान के फैजान खान से हुई है।

हम मुस्लिम हैं लेकिन हमें यह परंपरा पसंद है

उन्होंने आगे कहा, "मैंने शिव जी को जल चढ़ाया है। यह जोड़ों के लिए अच्छा माना जाता है। मेरी मां ने भी मुझे इसके बारे में बताया है। हम मुस्लिम हैं लेकिन हमें यह पर्व पसंद है। इसलिए हम इसका पालन करते हैं। 

जोया ने कहा कि कश्मीर आने से पहले उन्हें लगा था कि घाटी में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तनाव है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। लोगों को इसके बारे में तब तक पता नहीं चलेगा जब तक वे वहां नहीं जाते।" महाशिवरात्रि का उत्सव श्रीनगर शहर के डलगेट स्थित शंकराचार्य मंदिर में भी मनाया गया।

रैना ने शिव से प्रार्थना और कामना

एक कश्मीरी पंडित राकेश रैना वह भी आधी रात में पूजा में शामिल होने वाले भक्तों में से एक थे। रैना ने कहा कि, "हम प्रार्थना और कामना करते हैं कि भगवान शिव सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें ताकि हाल ही में तुर्की में जो कुछ हुआ, जैसी आपदाएं दोबारा न आएं। 

शकराचार्य ने की थी तपस्या

वहीं दूसरी ओर जम्मू के शुभम ने बताया कि, "मैं यहां अपने चाचा के साथ पंडित के रूप में शिवरात्रि पूजा में हिस्सा लेने आया था। हमने सुबह 3 बजे पूजा शुरू की। यह मंदिर महत्वपूर्ण है क्योंकि बताया जाता है कि यहां पर स्वय शकराचार्य ने तपस्या की थी। उन्होंने ही शिवलिंग को अपने कंधों पर रखा और इसे यहां रख दिया।

मुंबई की एक पर्यटक ज्योति ने कहा कि हमने यहां दर्शन किए, यहां का प्रबंधन बहुत अच्छा है, और वह पूजा के लिए की गई व्यवस्था से काफी प्रभावित हुई।

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