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Amarnath Yatra 2022 : भोले के द्वार पर डेढ़ माह मेहनत करने पर साल भर जलता है घर का चूल्हा, यात्रा से कश्मीर के लोग उत्साहित

Amarnath Yatra 2022 बालटाल मार्ग की बात करते को घोड़े और पालकी उठाने वाले लोग जिला गांदरबल के गांव हांग गगनगीर गुंड चेरवन हारीगनिवन कुलन व वांगत गांव के रहने वाले है। जो पूरा वर्ष अमरनाथ यात्रा के शुरू होने का इंतजार करते है।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 12:37 PM (IST)
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वर्ष 2019 के बाद अब इस वर्ष 2022 में अमरनाथ यात्रा बहाल हुई है।
जम्मू, दिनेश महाजन :  देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु वार्षिक अमरनाथ यात्रा में हिमलिंग के दर्शनों के लिए पहुंच रहे है। कठिन पर्वतीय माला से होकर गुजर रही इस यात्रा में आए श्रद्धालुओं को उनके गतंव्य यानि पवित्र गुफा तक पहुंचाने में स्थानीय कश्मीर के नागरिकों की अहम भूमिका रहती है। जो श्रद्धालुओं को अपने घोड़ों, पालकी या उनका पिट्टू के तौर पर उनका सामान उठा कर उन्हें दर्शनों के लिए ले जाते है।

स्थानीय लोगों को इस काम के लिए श्रद्धालुओं से रुपये मिलते है, जिससे उनकी कमाई होती है। इसी कमाई से अमरनाथ यात्रा में सहयोग दे रहे स्थानीय लोगों के घरों में चूल्हे जलते है। एक अनुमान के अनुसार अमरनाथ यात्रा के दोनों रूट पहलगाम और बालटाल में दस हजार के करीब घोड़े, पालकी, पिट्टू और यात्रा मार्ग में टेंट व खाने पीने का सामान बेचने वाले स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।

बालटाल मार्ग की बात करते को घोड़े और पालकी उठाने वाले लोग जिला गांदरबल के गांव हांग, गगनगीर, गुंड, चेरवन, हारीगनिवन, कुलन व वांगत गांव के रहने वाले है। जो पूरा वर्ष अमरनाथ यात्रा के शुरू होने का इंतजार करते है। इन गांवों में रहने वाले लोगों के लिए अमरनाथ यात्रा या फिर पर्यटक ही की कमाई का एक मात्र साधन है।

पिछले दो वर्ष घर का चूल्हा जलाना मुश्किल हो गया था : 

  • वर्ष 2019 के बाद अब इस वर्ष अमरनाथ यात्रा बहाल हुई है। उनके परिवार से सात सदस्य है, जिनमें चार बच्चे है। यात्रा में श्रद्धालुओं से मिलने वाले रुपयों को जमा कर वह साल भर का राशन घर में जुटा लेते है। पिछले दो वर्ष उनके लिए इतने बुरे निकले कि खाने के लाले पड़ गए थे। - अमरनाथ यात्रा में घोड़ा चलाने वाले अब्दुल रशीद निवासी गुंड, गांदरबल, कश्मीर
साल भर रहता है अमरनाथ यात्रा का इंतजार : 

  • अमरनाथ यात्रा जैसे जैसे करीब आती है। हममें उत्साह भर जाता है। बाबा बर्फानी की कृपा से उनके परिवार का पालन पोषण होता है। श्रद्धालुओं से मिलने वाले रुपयों से वह अपने घर पर वर्ष भर का राशन जुटा लेते है। वर्ष भर हमे जून व जुलाई माह का इंतजार रहता है। - अमरनाथ यात्रा में घोड़ा चलाने वाले सैफ अली निवासी जिला गांदरबल, कश्मीर
यात्रा में खलल डालने वाले कश्मीरियों के दुश्मन : 

  • वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं से पूरे जम्मू कश्मीर की अर्थ व्यवस्था में खासा असर पड़ता है। जो लोग यात्रा में खलल डाल कर इस बंद करवाने का प्रयास करते है वे कश्मीर के लोगों के असली दुश्मन है। कश्मीर में धार्मिक पर्यटन ही एक मात्र कमाई का जरिया है। जिस वर्ष अमरनाथ यात्रा नहीं होती उस वर्ष कई घरों के चूल्हे नहीं जलते। - बालटाल मार्ग के बरेरीमार्ग चाय और खाने पीने का सामान बेचने वाले आदिल मुश्ताक निवासी गांव निलग्राथ, जिला गांदरबल, कश्मीर
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