Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Terror Attack: पढ़े-लिखे युवाओं को आतंकी बना रहा कश्मीर टाइगर्स, डेढ़ साल तक नहीं थी कोई भनक; अब सेना के लिए बनी बड़ी चुनौती

कश्मीर टाइगर्स नामक संगठन इन दिनों जम्मू-कश्मीर में चर्चाओं का विषय हुआ है। मई से डोडा और कठुआ में हुए आतंकी हमलों की कश्मीर टाइगर्स ने जिम्मेदारी ली है। इस संगठन की शुरूआत में सुरक्षा एजेंसियां इसके अस्तित्व को लेकर इंकार करती रहीं लेकिन अब ये संगठन सुरक्षाबलों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। कश्मीर में पहला कमांडर मुफ्ती अल्ताफ जो दिसंबर 2021 में मुठभेड़ में मारा गया।

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 17 Jul 2024 09:34 PM (IST)
Hero Image
सुरक्षा एजेंसियों के लिए मुसीबत बना कश्मीर टाइगर्स (फाइल फोटो)।

नवीन नवाज, जम्मू। डोडा के देस्सा में आतंकी हमले में एक कैप्टन समेत चार सैन्यकर्मियों के वीरगति को प्राप्त होने के बाद कश्मीर टाइगर्स नामक संगठन एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। वर्ष 2020 में गठित यह आतंकी संगठन भी पीपुल्स एंटी फासिस्ट फोर्स (फासिस्ट फ्रंट , पीएएफएफ) की तरह ही जैश-ए-मोहम्मद का एक हिट स्क्वाड है जो पहले सिर्फ दक्षिण कश्मीर और मध्य कश्मीर में ही सक्रिय था।

कश्मीर में मौजूदा समय में इसकी कमान संभाल रहे आतंकी को सुरक्षा एजेंसियां चिह्नित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन उनके हाथ कोई सुराग नहीं लग रहा है। अलबत्ता, इसका कश्मीर में पहला कमांडर मुफ्ती अल्ताफ था जो दिसंबर 2021 में एक मुठभेड़ में मारा जा चुका है।

कश्मीर टाइगर्स ने ली थी डोडा और कठुआ हमले की जिम्मेदारी

विगत मई से डोडा और कठुआ में सुरक्षाबलों पर हुए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स ने ही ली है। गत वर्ष नवंबर में अखनूर में एक नाके के पास हुए संदिग्ध बम विस्फोट की जिम्मेदारी भी इसी संगठन ने ली थी। इस संगठन के कश्मीर में बीते चार वर्ष में अब तक छह से आठ स्थानीय आतंकी मारे जा चुके हैं।

सुरक्षा एजेंसियां नकारती रहीं कश्मीर टाइगर्स की उपस्थिति

कश्मीर टाइगर्स में जैश-ए-मोहम्मद ने पहले सिर्फ स्थानीय आतंकियों को भर्ती कर उनकी गतिविधियां टारगेट किलिंग और बम धमाकों तक सीमित रखी। इसके साथ ही इंटरनेट मीडिया पर इस संगठन के बयान जारी होते थे। पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां इसकी उपस्थिति लगभग डेढ़ वर्ष तक नकारती रही।

दिसंबर 2021 में दर्ज किया गया पहला मामला

दिसंबर 2021 में पहली बार इसकी उपस्थिति को दर्ज किया गया। वहीं, सुरक्षा बलों की एक बस पर हुए हमले के बाद इसकी उपस्थिति को अधिकारिक तौर पर स्वीकारा गया। शुरुआत में कश्मीर में इस संगठन की कमान मुफ्ती अल्ताफ उर्फ अबु जार ने संभाली थी। वह दक्षिण कश्मीर में पीरपोरा नाठीपोरा का रहने वाला था। वह अगस्त 2020 में घर से लापता हुआ था।

मुफ्ती अल्ताफ बेरीनाग मदरसे का था संचालक

कश्मीर टाइगर्स में सक्रिय होने से पहले मुफ्ती अल्ताफ बेरीनाग में एक मदरसे का संचालक था, जहां वह बच्चों को इस्लाम की तालीम देने के साथ-साथ उनमें हिंदुस्तान और गैर मुस्लिमों के प्रति जहर भरता था। उसने कश्मीर टाइगर्स की कमान संभालने के बाद उसने सवा चार मिनट का एक वीडियो जारी कर कश्मीरियों को कश्मीर में जिहाद और इस्लाम की दुहाई देतेकिसी भी गैर कश्मीरी को अपनी जमीन मकान इत्यादि ना बेचने का फरमान सुनाया था।

वीडियो बनाकर पुलिस जवानों और अधिकारियों को देते धमकी

इस वीडियो में उसने धमकाया था कि अगर किसी बाहरी व्यक्ति ने अपना डोमिसाइल बनवाया या फिर कोई जमीन जायदाद खरीदी तो वह अपने अंजाम का खुद जिम्मेदार होगा। मुफ्ती अल्ताफ हुसैन उर्फ अबुजार ने अपने इस वीडियो में जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों व अधिकारियों को भी धमकाते हुए कहा कहा था कि पुलिसकर्मियों को मुजाहिदीन (आतंकी खुद को मुजाहिदीन कहते हैं) का साथ देना चाहिए अगर वह साथ नहीं दे सकते तो उन्हें मुजाहिदीन के खिलाफ किसी भी आतंकरोधी अभियान में शामिल नहीं होना चाहिए।

ये भी पढ़ें: Jammu News: सैन्य शिविर में गोली चलने से मचा हड़कंप, लांस नायक की मौत

साल 2021 मुठभेड़ में मारा गया था मुफ्ती अल्ताफ

मुफ्ती अल्ताफ अपने दो अन्य साथियों संग 30 दिसंबर 2021 को नौगाम, अनंतनाग में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। अल्ताफ हुसैन के मारे जाने के कुछ समय बाद कश्मीर टाइगर्स पूरी तरह खामोश रहा, लेकिन 2022 की गर्मियों में यह फिर सक्रिय हो उठा, मुफ्ती अल्ताफ उर्फ अबु जार के उत्तराधिकारी को लेकर रहस्य अभी तक बरकरार है।

पढ़े लिखे युवा हो रहे कश्मीर टाइगर्स में भर्ती

संबधित सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, कश्मीर टाइगर्स में भर्ती स्थानीय आतंकियों में से अधिकांश धर्मांध जिहादी मानसिकता से ग्रस्त पढ़े लिखे युवक हैं। इनमें से कई कथित तौर पर देश के अन्य राज्यों में घूमने या विदेश में पढ़ाई और रोजगार की आड़ में पाकिस्तान स्थित जैश की जिहादी फैक्टरियों का दौरा कर चुके हैं। कश्मीर में सक्रिय रह चुके हरकतुल जिहादे इस्लामी और अल-बदर के कई आतंकी और ओवरग्राउंड वर्कर इसका हिस्सा बन चुके हैं।

कश्मीर टाइगर्स और पीएएफएफ दोनों में बताते नाम का ही अंतर

कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रही सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों के अनुसार, कश्मीर टाइगर्स और पीएएफएफ दोनों में सिर्फ नाम का ही अंतर है। दोनों ही जैश-ए-मोहम्मद के हिट स्क्वाड हैं। एक उत्तरी कश्मीर और राजौरी-पुंछ में सक्रिय है और दूसरा मध्य कश्मीर व दक्षिण कश्मीर से लेकर जम्मू प्रांत के डोडा, कठुआ के ऊपरी इलाकों में सक्रिय हो रहा है।

दोनों में शामिल आतंकी पूरी तरह से गुरिल्ला युद्ध में पारंगत हैं। दोनों संगठनों ने जो भी हमले किए हैं, उनमे इस्तेमाल हथियार, हमलों के लिए अपनाई गई रणनीति लगभग एक जैसी है। दोनों संगठनों के आतंकी अपनी गतिविधियों का, सुरक्षाबलों पर हमले का वीडियो बनाते हैं, जो बाद में इंटरनेट मीडिया पर भी वायरल किया जाता है।

ये भी पढ़ें: Jammu News: नगरोटा के नदोर गांव में दिखा संदिग्ध, सुरक्षा बलों ने इलाके में चलाया तलाशी अभियान

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर