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Coronavirus Effect In Kashmir: कश्मीर के किन्नरों ने अपनाया ‘अपनी मदद खुद करो’ का मंत्र

कश्मीर में किन्नर समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 600 के करीब बताई जाती है और इनमें से अधिकांश श्रीनगर शहर में ही रहते हैं। खुशी मीर के मुताबिक उसने 400 के करीब किन्नरों की सूची बना रखी है। इनमें से अधिकांश ब्यूटीशियन मेहंदी लगाने का काम करते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Updated: Thu, 27 May 2021 12:49 PM (IST)
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कश्मीर में किन्नर समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 600 के करीब बताई जाती है।
श्रीनगर, नवीन नवाज: कोरोना महामारी से उपजे हालात और लाकडाउन में कश्मीर के किन्नरों का जीवन मुश्किल में डाल दिया है। टीकाकरण हो या सरकारी राहत समाज में हर जगह उपेक्षित इन किन्नरों के सामने जब खाने के लाले पड़े तो उन्होंने आत्मनिर्भर होने के लिए आपस में एक-दूसरे का हाथ थाम लिया। ‘अपनी सहायता खुद करो’ के मंत्र के साथ आगे बढ़े और फिर उनका कारवां बनता गया। आज कुछ युवा स्वयंसेवी भी उनके साथ जुड़ गए हैं। अब उनकी मदद के लिए और भी हाथ बढ़ने लगे हैं।

किन्नर खुशी मीर ने कहा कि हम भी इंसान हैं, हमें भी रोटी-कपड़ा और मकान चाहिए। हम भी बीमार होते हैं, लेकिन हमारी तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं है। जैसे हम किसी के लिए कोई मायने नहीं रखते। मैं ब्यूटीशियन का काम करती हूं, लेकिन एक साल से काम बंद है। ब्यूटी पार्लर की मालिकिन भी घर में ही हैं। शादियां स्थगित हैं या फिर बिल्कुल सादगी से हो रही हैं। ऐसे में कमाई नहीं हो रही है। हमारी स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। कुछ दिन पहले मुझे मेरी एक सहेली का फोन आया, उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं था।

बड़ी मुश्किल से मैने उसकी मदद की। फिर दो और लोगों के फोन आए। मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं। फिर मुझे ध्यान आया कि यहां कुछ लोगों ने एक बार हम जैसों के कल्याण की बात करते हुए हमारे साथ संपर्क किया था। व्हाट्स ऐप पर भी एक समूह बनाया। इस दौरान उजैर समेत चार लड़कों का एक समूह मेरे साथ शामिल हुआ। अब हम पांच लोग हैं, जो किन्नरों के लिए काम कर रह हैं। सिर्फ किन्नर ही नहीं, जो भी जरूरतमंद है, हम उसकी मदद का प्रयास कर रहे हैं।

वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रफी रज्जाकी ने बताया कि किन्नरों का टीकाकरण नहीं हो रहा है। वे अस्पताल में टीका लगवाने नहीं जा रहे क्योंकि उनको लगता है कि वहां लोग तरह-तरह की बातें करेंगे, बेइज्जत करेंगे। वे चाहते हैं कि उनके लिए अलग से टीकाकरण केंद्र खोला जाए। घाटी में किन्नर समुदाय मुख्यत: शादी के लिए लड़के-लड़कियों के रिश्ते कराते हैं। इसके अलावा कई किन्नर दर्जी या फिर ब्यूटीशियन का काम भी करते हैं,लेकिन इनकी संख्या बिल्कुल नगण्य है। घाटी में 2019 से ही लगभग कारोबारी गतिविधियां ठप हैं। विवाह शादी समारोह भी बंद हैं।

श्रीनगर के किन्नरों में ज्यादातर ब्यूटीशियन और मेहंदी लगाने वाले: कश्मीर में किन्नर समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 600 के करीब बताई जाती है और इनमें से अधिकांश श्रीनगर शहर में ही रहते हैं। खुशी मीर के मुताबिक, उसने 400 के करीब किन्नरों की सूची बना रखी है। इनमें से अधिकांश ब्यूटीशियन, मेहंदी लगाने का काम करते हैं। कुछ नाचने-गाने वाली मंडलियों में भी शामिल हैं। खुशी ने कहा कि हम भी अब राशन के पैकेट, आवश्यक दवाएं और कुछ अन्य सामान जमा कर किन्नर समुदाय के लोगों में पहुंचा रहे हैं। हमने कुछ बैंक खाते भी बनाए हैं, जिनमें हम दानी सज्जनों से र्आिथक मदद के लिए कह रह हैं। किन्नरों की मदद में जुटे मीर जुनैद और उजैर डार ने कहा कि यह लोग हमारे समाज का हिस्सा हैं, लेकिन कुछ लोग इन्हेंं हेय दृष्टि से देखते हैं, जो अमानवीय है। हमने इनकी मदद के लिए क्राउडफंडिंग का भी सहारा लिया। हमें देश के विभिन्न हिस्सों से कई दानियों और सामाजिक संगठनों ने इन तक राहत पहुंचाने के लिए मदद भेजी है। 

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